Hydrogen Train trial run: भारत ने अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन का निर्माण पूरा कर लिया है, जो जल्द ही आम यात्रियों के लिए उपलब्ध होगी। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Union Railway Minister Ashwini Vaishnaw) ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ट्रेनों को रेलवे अनुसंधान, डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा डिजाइन किया गया है और चेन्नई स्थित इंटिग्रल कोच फैक्ट्री में निर्मित किया गया है।
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डिजाइन और विकास में भारतीय कौशल का योगदान- (Hydrogen Train train run)
हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का डिज़ाइन दिसंबर 2021 में पूरा हुआ और तब से निर्माण कार्य जारी है। ट्रेन का ट्रायल अगले साल की पहली तिमाही में होने की संभावना है। आरडीएसओ के महानिदेशक उदय बोरवंकर ने कहा कि यह परियोजना टिकाऊ ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि होगी। उन्होंने कहा कि भारत ने सड़क परिवहन में हाइड्रोजन ईंधन का सफलतापूर्वक उपयोग किया है, लेकिन रेलवे में अभी भी इस तकनीक का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाना बाकी है।
तकनीकी विशेषताएं- Hydrogen Train Technical Features
यह ट्रेन (Hydrogen Train Trial Run) हरियाणा के जींद से सोनीपत के बीच चलेगी और इसकी रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। ट्रेन में आठ कोच होंगे। इसके इंटरनल डिजाइन की बात करें तो हाइड्रोजन को फ़्यूल में कन्वर्ट करने के लिए चार बैटरियों का इस्तेमाल होगा। ड्राइवर डेस्क के पीछे कंट्रोल पैनल होगा, जिसके साथ 210 किलोवॉट की बैटरी, फ्यूल सेल और हाइड्रोजन सिलेंडर कास्केड-1, 2, और 3 लगे होंगे। ट्रेन के पावर सिस्टम की कुल क्षमता 1200 हॉर्स पावर होगी, जो इसे दुनिया की अन्य हाइड्रोजन ट्रेनों से अधिक उन्नत बनाती है।
दुनिया में भारत का विशेष स्थान
अब तक केवल जर्मनी, स्विट्जरलैंड और चीन ने हाइड्रोजन ट्रेन का निर्माण किया है। इनमें से जर्मनी में यह ट्रेन सीमित स्तर पर चल रही है। भारत ने 1200 हॉर्स पावर पर काम करके इस तकनीक में मास्टरी हासिल करने का लक्ष्य रखा है। रेल मंत्री ने बताया कि भारत इस तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाने और इसे ट्रक, बोट और टग बोट में उपयोग करने की योजना बना रहा है।
क्या होगा ट्रेन का नाम?
फिलहाल, RDSO ने ट्रेन का नाम “नमो ग्रीन रेल” रखा है, लेकिन रेल मंत्री ने स्पष्ट किया कि अभी इस नाम को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इसका नाम आधिकारिक घोषणा के समय तय किया जाएगा।
हरित भविष्य की ओर भारत का कदम
यह हाइड्रोजन ट्रेन न केवल भारत में रेलवे के भविष्य को पर्यावरण के अनुकूल बनाएगी, बल्कि देश को टिकाऊ ऊर्जा की दिशा में वैश्विक मंच पर अग्रणी स्थान दिलाने में मदद करेगी। इस प्रयास से भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में मजबूत योगदान देगा और अपनी तकनीकी क्षमता को भी प्रदर्शित करेगा। मार्च-अप्रैल 2025 तक इस ट्रेन के आम लोगों के लिए उपलब्ध होने की उम्मीद है।
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