भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद बीते करीबन कई महीनों से भी चल रहा है। इस दौरान भारतीय सेना के जवान ड्रैगन की हर चाल का मुंहतोड़ जवाब देते हुए नजर आ रहे हैं। आज यानी गुरुवार को राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा ऐलान करते हुए बताया कि चीन के साथ पेंगोग झील को लेकर समझौता हुआ है। दोनों देश की सेनाएं आपसी सहमति से पीछे हट रही हैं। राजनाथ सिंह ने बताया कि पेंगोंग के नॉर्थ और साउथ बैंक को लेकर दोनों देशों में समझौता हुआ।
ऐसे वापस लौटेगीं दोनों देश की सेनाएं
24 जनवरी को भारत-चीन के कोर कमांडर स्तर की नौवें बैठक के बाद दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति बनी। अब बुधवार से दोनों देशों ने अपने सैनिकों को पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्यसभा में रक्षा मंत्री ने बताया कि दोनों देशों के बीच सैनिकों की वापसी को लेकर जो ये समझौता हुआ, उसके अनुसार लेक इलाके में दोनों पक्ष अग्रिम मोर्चे पर सेना की वापसी करेंगे। चीन अपनी सेना की फिंगर 8 के पूरब की ओर रखेगा।
वहीं चीन के साथ हुए समझौते के मुताबिक भारत अपनी सेना की टुकियों को फिंगर 3 के पास स्थित धन सिंह थापा पोस्ट पर वापस लौटेगी। वहीं राजनाथ सिंह ने ये भी बताया कि 2020 में जो भी निर्माण किया गया, उसको साउथ बैंक से हटाया जाएगा और पहले वाली स्थिति को ही लागू किया जाएगा।
’48 घंटों के अंदर होगी बैठक’
इसके अलावा समझौते के अनुसार नॉर्थ बैंक से दोनों पक्ष अपनी गतिविधियों को अस्थायी रूप से बंद करेंगे, जिसमें पेट्रोलिंग भी शामिल है। पेट्रोलिंग तब ही शुरू होगी, जब राजनीतिक लेवल पर सेना बातचीत करके समझौता करेगी। रक्षा मंत्री ने संसद में बताया कि चीन की सेना के साथ पैंगोग झील से सैनिकों की वापसी के 48 घंटों के अंदर सीनियर कमांडर लेवल की बैठक की जाएगी, जिसमें बाकी मुद्दों को सुलझाने का प्रयास होगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि इस बातचीत से हमने कुछ भी खोया नहीं। LAC पर अभी भी कुछ पुराने मुद्दे हैं, जिन पर सरकार ध्यान देगी और आगे भी बातचीत करेगी।
‘एक इंच जमीन भी नहीं लेने देंगे’
राज्यसभा में राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत की ओर से चीन को ये साफ किया गया कि LAC पर कोई बदलाव ना किया जाए और दोनों देशों की सेना अपनी अपनी जगह पर पहुंच जाएं। हम अपनी एक भी इंच जगह किसी को नहीं लेने देंगे। चीन ने बीते साल भारी संख्या में गोला-बारूद इकट्ठा किया गया था। हमारी ओर से सेना ने चीन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की। विवाद को सुलझाने के लिए सितंबर से दोनों पक्ष के बीच बातचीत की गई। हमारी लक्ष्य LAC पर यथास्थिति करना ही है।
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच विवाद की शुरुआत बीते साल अप्रैल-मई के महीने में हुई थीं। ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब चीन ने पैंगोंग झील पर अपना दावा बढ़ाना चाहा। इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच गतिरोध बढ़ने लगा। जून के महीने में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प भी हो गई। गलवान घाटी में हुई इस झड़प के दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए। चीन को भी इस दौरान भारी नुकसान पहुंचा, लेकिन उसने अब तक ये नहीं बताया कि कितने सैनिक इस झड़प के दौरान मारे गए।
इस बाद से दोनों देशों के सैनिकों के बीच लगातार टकराव की स्थिति बनी रही। हालांकि अब पैंगोंग झील को लेकर जो समझौता हुआ है, उससे गतिरोध थमने के आसार दिखते हुए नजर आ रहे हैं।