India Action on Pakistan: भारत ने सिंधु जल समझौता (IWT) को लेकर पाकिस्तान के साथ चल रही सभी बैठकों को रोकने और नई जल परियोजनाओं की दिशा में तेजी लाने की योजना बनाई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत अब पाकिस्तान को 6 महीने पहले नोटिस देने की जरूरत के बिना कई परियोजनाओं पर काम शुरू करने की तैयारी कर रहा है। ये परियोजनाएं चिनाब-झेलम-सिंधु एक्सिस पर स्थित हैं, जिनमें किरु से क्वार तक के हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।
भारत का नया कदम: हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट्स में तेजी– India Action on Pakistan
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इन परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने से हिमालयी क्षेत्र को 10,000 मेगावाट बिजली का फायदा हो सकता है। हालांकि, IWT के तहत पाकिस्तान ने कई बार इन परियोजनाओं पर आपत्ति जताई थी, जिस कारण पहले इनका काम रुका हुआ था। लेकिन अब भारत इन परियोजनाओं को अंजाम देने में तेजी लाने के लिए कदम उठा रहा है।
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि सिंधु जल समझौता के तहत इन परियोजनाओं को पाकिस्तान की मंजूरी से पहले ही मंजूरी दी जा सकती है, क्योंकि IWT के नियमों के तहत पाकिस्तान को नोटिस देने की प्रक्रिया को भारत अब रोकने की योजना बना रहा है।
पाकिस्तान को मिलेगा डेटा का झटका
इसके अलावा, भारत अब पाकिस्तान के साथ हाइड्रोलॉजिकल डेटा शेयर नहीं करने पर विचार कर रहा है, जिसमें बाढ़ से संबंधित डेटा भी शामिल है। IWT के तहत, भारत और पाकिस्तान को आपस में महीने में एक बार और हर तीन महीने में नदी के डेटा को साझा करने की आवश्यकता होती है। लेकिन भारत अब इस नियम पर पुनः विचार कर रहा है और पाकिस्तान के साथ डेटा साझा करने में रोक लगाने का मन बना रहा है।
क्या होंगे लाभ?
अगर भारत अपने हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट्स में तेजी लाता है, तो इससे जम्मू और कश्मीर को बिजली की आपूर्ति में भारी वृद्धि होगी। प्रमुख प्रोजेक्ट्स जैसे 540 मेगावाट क्वार, 1000 मेगावाट पकल दुल, 624 मेगावाट किरु और 930 मेगावाट किरथई जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स के पूरा होने से क्षेत्र में बिजली संकट को समाप्त किया जा सकता है। इन प्रोजेक्ट्स के तेजी से पूरा होने से कश्मीर के लिए बिजली की आपूर्ति बढ़ेगी, जो वर्तमान में कई संकटों का सामना कर रही है।
इसके अलावा, तुलबुल से बगलीहार, किशनगंगा, रतले, उरी और लोअर कलनई जैसे प्रोजेक्ट्स में भी गति आने की उम्मीद है, जिन्हें पाकिस्तान द्वारा आपत्ति जताए जाने के कारण पहले रोक दिया गया था। इन योजनाओं के पूरी होने से न सिर्फ कश्मीर को बल्कि पूरे भारत को फायदा होगा।
जलाशय फ्लशिंग तकनीक पर भी विचार
भारत ने अपनी बांध परियोजनाओं के फ्लशिंग प्रक्रिया पर भी ध्यान देना शुरू किया है। फ्लशिंग वह प्रक्रिया है, जिसके तहत जलाशयों में जमा गाद को बाहर निकाला जाता है और उच्च जल प्रवाह से जलाशय को साफ किया जाता है। इसके जरिए जलाशयों की कार्यक्षमता बढ़ाई जाती है, और यह नदियों में जल प्रवाह की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करता है।