Income Tax: भारत की वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण ने आज वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अपना बजट पेश किया। इस बजट में उन्होंने खासतौर पर मिडिल क्लास को राहत देने की घोषणा की है। नई इनकम टैक्स व्यवस्था के तहत, अब 12 लाख रुपये तक की टैक्सेबल आय पर किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लिया जाएगा। यह कदम मिडिल क्लास के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
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सीतारमण ने बजट भाषण में क्या कहा? (Income Tax)
सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि धारा 87ए के तहत, टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दी गई है। इसका मतलब यह है कि अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जबकि पहले यह सीमा 7 लाख रुपये थी। इसके अलावा, 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी नई टैक्स व्यवस्था में शामिल किया गया है, जिससे 12.75 लाख रुपये तक की टैक्सेबल आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इससे सैलरीड लोगों को राहत मिलेगी, क्योंकि उनका टैक्स बोझ कम होगा।
सीतारमण ने अपने भाषण में विस्तार से बताया कि आय के विभिन्न स्तरों पर टैक्स दरों में क्या बदलाव होंगे। उन्होंने कहा, “अब शून्य से लेकर चार लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। चार से आठ लाख रुपये तक 5%, आठ से 12 लाख रुपये तक 10%, 12 से 16 लाख रुपये तक 15%, 16 से 20 लाख रुपये तक 20%, 20 से 24 लाख रुपये तक 25% और 24 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% टैक्स लागू होगा।” यह व्यवस्था पुराने और नए दोनों कर सिस्टम में लागू होगी, जिससे मिडिल क्लास को पर्याप्त राहत मिलेगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
बजट में किए गए इन बदलावों पर प्रतिक्रिया देते हुए, Infomerics Ratings के चीफ इकनॉमिस्ट, मनोरंजन शर्मा ने कहा कि यह घोषणा मिडिल क्लास के लिए एक स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने बताया कि महंगाई और घटती डिस्पोजेबल इनकम के कारण मिडिल क्लास पहले ही दबाव महसूस कर रहा था। देश की जीडीपी में सुस्ती और शहरी क्षेत्रों में खपत में कमी ने मिडिल क्लास के लिए स्थिति को और भी कठिन बना दिया था। इस संदर्भ में, अधिक टैक्स छूट देने की जरूरत महसूस हो रही थी, ताकि मिडिल क्लास को अपनी आय बढ़ाने और आर्थिक रूप से सशक्त बनने का मौका मिल सके।
शर्मा ने कहा कि इस बदलाव से मिडिल क्लास के पास ज्यादा पैसे होंगे, जिसे वे खर्च करेंगे, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उनका मानना है कि इस तरह के कदम से आम आदमी की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और इसके परिणामस्वरूप घरेलू खपत और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।
आगे की राह
नए टैक्स नियमों से मिलने वाली राहत से मिडिल क्लास के अलावा, देश की समग्र अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से न केवल उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी, बल्कि इससे सरकारी राजस्व में भी सुधार हो सकता है। साथ ही, वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह बजट समग्र रूप से विकास पर केंद्रित रहेगा, जिससे आने वाले समय में रोजगार सृजन और आर्थिक सुधार की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।