22 जनवरी की तारिख ऐतिहासिक होने वाली है क्योंकि इस दिन अयोध्या में बन रहे हैं राम मंदिर का उद्घाटन होगा और यहाँ पर रामलला विराजमान होंगे. अयोध्या में 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा करने वाले हैं लेकिन इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा राम मंदिर पर दिया गया बयान वायरल हो रहा है. जो कि इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है.
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वाजपेयी ने संसद में दिया था ऐतिहासिक भाषण
देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1996 में संसद में रामजन्मभूमि मामले का जिक्र करते हुए कहा था कि हमें इसीलिए दोषी ठहराते रहे हैं कि हम राम मंदिर बनाना चाहते हैं. 370 खत्म करने की हम बात कर रहे हैं क्योंकि हमारे पास बहुमत नहीं है. राष्ट्रपति के अभिभाषण में राम मंदिर की चर्चा नहीं है, धारा 370 की चर्चा नहीं है.
भाषण में पूर्व पीएम ने ये भी कहा था ‘ भगवान राम ने कहा था मैं मृत्यु से नहीं डरता, डरता हूं तो बदनामी से डरता हूं… लोक उपहास से डरता हूं। आज मैं प्रधानमंत्री हूं थोड़ी देर बाद नहीं रहूंगा… मेरे ऊपर आरोपों की झड़ी लगाई जा रही है… लेकिन आपने अनेक महहत्वपूर्ण मुद्दों को छोड़ दिया… राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को छोड़ दिया है. उनके भाषण में राम मंदिर का मुद्दा नहीं है, धारा 370 समाप्त करने का उल्लेख नहीं है. इसके अलावा शादी-ब्याह का समान कानून का भी जिक्र नहीं है. आपने स्वदेशी का भी परित्याग कर दिया। और ये बातें इस तरह से कही गई हैं, जैसे ये हमारे परित्याग से काफी दुखी हैं. वो तो इन बातों की आलोचना करते रहे हैं, हमें इसलिए दोषी ठहराते हैं क्योंकि हम राम मंदिर बनवाना चाहते हैं. हम देश की एकता कि बात करते हैं इसलिए हम आर्टिकल 370 हटवाना चाहते हैं.
जब अटल ने किया था इंडोनेशिया ने रामलीला का जिक्र
इसी के साथ वाजपेयी का वो भाषण भी वायरल हो रहा है जब उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया के बाली द्वीप में एक महीने रामायण की लीला होती है. वो इस समारोह में गये थे और उस समय उस देश के विदेश मंत्री से सवाल किया ये क्या हो रहा है? तब उन्होंने कहा कि ये रामायण है. ये राम हैं और ये लक्ष्मण हैं. ये सीता हैं. फिर वाजपेयी ने पूछा कि इससे आपका क्या संबंध है? आप तो मुसलमान हैं, तो वो कहने लगे हमारा संबंध बहुत पुराना है, हमारा तबका संबंध है, जब हम मुसलमान नहीं हुए थे.
इसी के साथ अटल ने इंडोनेशिया से आए शख्स का जिक्र किया अटल ने बताया कि इंडोनेशिया से आए शख्स ने कहा कि हम तो समझते थे कि राम के लिए सारे भारत में आदर होगा, सम्मान होगा. हमने कहा कि ये आपने कैसे समझा? तो उन्होंने कहा कि आप तो इंडोनेशिया आ चुके हैं. इंडोनेशिया में बहुत से लोगों ने इस्लाम स्वीकार कर लिया लेकिन श्रीराम को विस्मृत नहीं किया. भुलाया नहीं.
वाजपेयी ने थाईलैंड का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि थाईलैंड की राजधानी अयोध्या कही जाती है. थाईलैंड के राजा को आज भी राम कहा जाता है. सावरकर जी ने हिंदू राष्ट्र की बात कही थी, हिम्मत के साथ कही थी. बुनियादी तौर पर भारत हिंदू राष्ट्र है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता. इसे कोई अस्वीकार नहीं कर सकता. मेरे लिए हिंदू राष्ट्र और भारतीय राष्ट्र पर्यायवाची शब्द है.
वाजपेयी ने 1992 में भी दिया था भाषण
पूर्व पीएम वाजपेयी के 1992 में लखनऊ में दिए गए एक भाषण का काफी जिक्र होता है. इस भाषण में वाजपेयी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला लिया है, उसका अर्थ मैं ये निकालता हूं कि वो कार सेवा रोकता नहीं है. सचमुच में सुप्रीम कोर्ट ने हमें दिखा दिया है कि हम कार सेवा करेंगे, रोकने का तो सवाल ही नहीं है. कल कार सेवा करके अयोध्या में सर्वोच्च न्यायालय के किसी निर्णय की अवहेलना नहीं होगी. कार सेवा करके सर्वोच्च न्यायलय के निर्णय का सम्मान किया जाएगा. वहां नुकीले पत्थर निकले हैं. तो उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता है. तो जमीन को समतल करना पड़ेगा. बैठने लायक करना पड़ेगा. यज्ञ का आयोजन होगा.
आपको बता दें, बीजेपी ने अपने चुनावी मुद्दों में राम मंदिर बनाने, धारा 370 खत्म करने की बात कही गयी थी. वहीँ जहाँ धारा 370 जहाँ हो गया है तो वहीं अब 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होगा. अटल ने संसद से स्पष्ट संकेत दे दिया था कि जब भी उनकी पार्टी को जनता बहुमत देगी, ये काम होकर रहेंगे और ये काम अब पूरे हो गये हैं.