देश में बेरोजगारी हमेशा से एक गंभीर समस्या रही है। 2014 से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार सत्ता में है। सत्ता में आने से पहले भी पार्टी के लिए बेरोजगारी एक मुद्दा था और अब वही मुद्दा विपक्ष के हाथ में है। दरअसल, पिछले आम चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने देश में हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन आज जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर नजर आ रही है। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर युवाओं को हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने में नाकाम रहने का आरोप लगा चुके हैं।
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2014 से अब तक सरकारी नौकरी का हाल
लोकसभा में सरकार के मुताबिक, 2014 और जुलाई 2022 में पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के दौरान कुल 7 लाख 22 हजार 311 उम्मीदवारों को विभिन्न विभागों में सरकारी नौकरी की पेशकश की गई थी। 2018-19 में केवल 38,100 लोगों को सरकारी नौकरी मिली। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि वहीं वर्ष 2018-19 में सर्वाधिक 5 करोड़ 9 लाख 36 हजार 479 लोगों ने आवेदन किया था। लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 में कुल 1,47,096 किशोर सरकारी नौकरी हासिल करने में सफल रहे। थे। प्रति वर्ष 2 करोड़ रोजगार के दावे के विपरीत, ये आंकड़े बताते हैं कि सरकार उस दावे का एक प्रतिशत भी, यानी हर साल दो लाख रोजगार देने में विफल रही है।
बढ़ रही है बेरोजगारी
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक, साल 2021 में भारत में बेरोजगारी दर 7.9 फीसदी रही। जबकि साल 2020 में यह दर 7.11 फीसदी थी। मुंबई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 से देश में बेरोजगारी दर 7 फीसदी से ऊपर बनी हुई है। वहीं, बिहार के 40 फीसदी लोग बेरोजगार हैं और उत्तर प्रदेश में 22 फीसदी बेरोजगार हैं। दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट के प्रमुख अजीत बसोले भारत में बेरोजगारी पर सालों से काम कर रहे हैं। बेरोजगारी पर बात करते हुए उन्होंने BBC को बताया कि, पिछले 20 वर्षों में सरकारी नौकरियों में लगातार गिरावट आई है जिससे देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। वहीं, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज‘ के पूर्व निर्देशक डीएम दिवाकर ने बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया, ‘देश में हर साल 80 लाख नए लोग नौकरी के तैयार हो रहे हैं, जबकि सरकार एक लाख लोगों को भी नौकरी नहीं दे पा रही है।‘ उन्होंने आगे कहा कि ये आंकड़ा भी साल 2013 तक का है, सरकार ने इसके बाद आंकड़े देने ही बंद कर दिए। सरकार रिटायरमेंट के बाद खाली हुई नौकरियों पर भी भर्ती नहीं कर पा रही। देश के कई संस्थानों में पद खाली पड़े हैं।”