रंगों के त्योहार होली का हर कोई काफी उत्सुकता से इंतेजार करता है। होली हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है। कई दिनों पहले से ही होली की धूम देखने को मिल जाती है। बाजार सज जाते है और घरों में भी इस त्योहार को लेकर तैयारियां करने में जुट जाते हैं।
लोग होली के दिन एक दूसरे के सारी कड़वाहट को भूलाकर इस त्योहार को देशभर में धूमधाम के साथ मनाते है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ जगह ऐसी भी है, जहां पर होली का त्योहार नहीं मनाया जाता। जी हां, कुछ जगहों पर रंगों के इस त्योहार को नहीं मनाया जाता और ऐसा करने की वजह भी काफी चौंकाने वाली है। आइए आपको बताते हैं कि देश में वो कौन-सी जगह है, जहां होली नहीं मनती और उसकी वजह क्या है…?
झारखंड के इस गांव में नहीं मनाई जाती होली
सबसे पहले बात करते हैं झारखंड के बोकारो के कसमार ब्लॉक स्थित दुर्गापुर गांव की। यहां होली नहीं मनाई जाती। इसके पीछे की वजह है यहां एक राजा के बेटे की होली के दिन ही मौत हो गई थीं। जिसके बाद से यहां जब भी होली का आयोजन किया गया, तो गांववालों को कभी सूखे का सामना करना पड़ता था, तो कभी महामारी आ जाती थीं, जिसके चलते लोगों की मौत होती है। फिर एक बार होली के ही दिन ही पास के इलाके रामगढ़ के राजा के साथ युद्ध हुआ, जिसमें वहां के राजा दुर्गादेव की मौत हो गई। इस खबर के बारे में जानते ही रानी ने भी आत्महत्या कर ली। ऐसा कहा जाता है कि मौत से पहले राजा ने होली नहीं मनाने का आदेश दिया था। तबसे यहां पर होली नहीं मनाई जाती।
उत्तराखंड में यहां नहीं मनी बरसों से होली
उत्तराखंड के क्वीली, कुरझण और जौंदली गांव में 150 सालों से होली नहीं मनाई गई। ये गांव रूद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि ब्लॉक में है। इन जगहों पर होली नहीं मनाने की कई वजहें बताई जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस गांव की इष्टदेवी मां त्रिपुर सुंदरी देवी हैं, जिन्हें हुड़दंग नहीं पसंद। इसके अलावा ये भी वजह बताई जाती है कि इस गांव में जब डेढ़ सौ साल पहले लोगों ने होली खेलने की कोशिश हुई थीं तो तीनों ही गांव हैजा की चपेट में आ गए थे। जिसके बाद किसी ने यहां होली मनाने की हिम्मत नहीं जुटाई।
इस घटना के बाद यहां नहीं मनाई जाती होली
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई तहसील के डहुआ गांव में 125 साल से ज्यादा होली नहीं मनाई गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब 125 साल पहले होली वाले दिन इस गांव के प्रधान बावड़ी में डूब गए थे जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी। इस मौत से गांव वाले बहुत दुखी हुए और उनके इस घटना के बाद जेहन में डर बस गया। अब होली ना खेलना यहां की धार्मिक मान्यता बन चुकी है।
यहां 150 सालों से नहीं मनाई गई होली
हरियाणा के कैथल के गुहल्ला चीका स्थित गांव में भी होली नहीं मनाई जाती। यहां 150 साल पहले गांव के एक ठिगने कद के बाबा रहा करते थे। होली के दिन कुछ लोगों ने उनका मजाक बनाया। जिससे बाबा क्रोधित हो गए और होलिका दहन की आग में ही कूद गए। मरने से पहले वो गांव वालों को ये श्राप दे गए कि जो भी आज के बाद यहां होली मनाएगा उसके परिवार का नाश हो जाएगा। इसके बाद से ही इस गांव में होली नहीं मनाई जाती।
ऐसा कहते हैं कि जब गांव वालों ने बाबा से माफी मांगी थीं तो उन्होनें कहा था कि अगर भविष्य में होली के दिन ही यहां जब किसी के घर पुत्र का जन्म होगा और उसी दिन गाय बछड़े को जन्म देगी, तब ये श्राप खत्म हो जाएगा। लेकिन अब तक ऐसा संयोग नहीं बना। गांव में तो श्राप का डर इस तरह है कि यहां लोग एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं तक नहीं देते।
यहां सिर्फ महिलाएं खेलती हैं होली
उत्तर प्रदेश के कुंडरा गांव में होली के त्योहार पर सिर्फ महिलाएं होली के रंगों से सराबोर होती हैं। यहां इस दिन पुरुष खेतों पर चले जाते हैं ताकि महिलाएं बेझिझक होकर होली खेल सकें। इस दिन महिलाएं जानकी मंदिर में एकत्र होती हैं और होली खेलती हैं। इस दौरान लड़कियों, पुरुषों और बच्चों को भी होली खेलने की परमिशन नहीं होती। ऐसा इसलिए है क्योंकि होली के दिन यहां मेमार सिंह नाम के एक डकैत ने ग्रामीण की हत्या कर दी थी। जिसके बाद से लोग होली नहीं खेलते थे। लेकिन फिर बाद में महिलाओं को होली खेलने की इजाजत मिल गई थीं।
यहां तो हमने आपको देश के कुछ ही जगहों के बारे में ही बताया है, जहां पर होली का त्योहार नहीं मनाया जाता। लेकिन इसके अलावा भी और कई जगहें हैं जहां इस त्योहार को अलग अलग वजह से नहीं सेलिब्रेट किया जाता।