दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को एक बार फिर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां के लोगों में डर का माहौल है। लोग अपने घरों से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं और बार-बार सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि अब वे कहां जाएंगे। दरअसल, दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने शहर के ‘मजनू का टीला’ में चलाए जा रहे तोड़फोड़ अभियान को लेकर एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। इस नोटिस की वजह से वहां कई सालों से रह रहे पाकिस्तानी हिंदू चिंतित हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार डीडीए ने फिलहाल कार्रवाई स्थगित कर दी है।
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क्यों खाली कराना चाहता है DDA?
डीडीए के अनुसार, एनजीटी ने आदेश दिया है कि मजनू का टीला गुरुद्वारे के पास नदी की जमीन से सभी अतिक्रमण हटा दिए जाएं, क्योंकि यह शिविर यमुना के बाढ़ क्षेत्र में स्थित है। डीडीए ने शिविर को खाली करवाने के लिए पहले भी प्रयास किए हैं। जब प्रवासी दिल्ली उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त करने में सफल रहे, तो मार्च में इसी तरह का प्रयास असफल रहा। प्रवासी खुद की तुलना मजनू का टीला के तिब्बती बाजार क्षेत्र के लोगों से करते हैं। उनके अनुसार, दोनों स्थानों के निवासी अपने-अपने देशों में उत्पीड़न से भागकर सुरक्षा और संरक्षा की तलाश में भारत में बस गए।
पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों का क्या कहना है?
मजनू का टीला के नज़दीक ग़रीब इलाकों में रहने वाले हिंदू शरणार्थियों के नेता धर्मवीर के अनुसार, पाकिस्तान में हुई भयावह घटनाओं और अपराधों के बाद सुरक्षा की तलाश में वे भारत भाग आए। हमें उम्मीद थी कि जल्द ही हर परिवार को भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। हाल ही में भारतीय संसद द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किए जाने के बाद कई परिवार अब भारतीय नागरिक बन गए हैं। अब तक पचास लोगों को नागरिकता मिल चुकी है। कुल 1100 निवासी हैं, जिनमें से लगभग 250 बच्चे हैं और बाकी लोग पुरुष और महिला दोनों हैं।
उन्होंने कहा कि हम नागरिकता समेत कई मामलों को लेकर लगातार गृह मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के संपर्क में हैं। हमारा पुलिस वेरिफिकेशन भी हो चुका है। हमारी मांग है कि सभी हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता और स्थायी आवास की सुविधा दी जाए। हम सभी अपने धर्म को बचाने के लिए पाकिस्तान से भारत आए हैं।
उन्होंने आगे कहा, इसके बाद हमने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इस मामले में उच्च न्यायालय के सहयोग से हमें डीडीए की तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक मिल गई है। अब न्यायालय इस मामले की सुनवाई 10 सितंबर को करेगा। नतीजतन, शुक्रवार को कोई तोड़फोड़ नहीं हुई, लेकिन नोटिस ने निवासियों के डर को कम नहीं किया है।
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