नोएडा के लोगों के लिए अब हिंडन नदी के किनारे की जमीन को बचाने, उसे सुंदर बनाने और विकसित करने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है। इस योजना के तहत न केवल नदी के किनारे की जमीन को विकसित करने की योजना बनाई गई है, बल्कि इसमें नेशनल हाईवे 9 से लेकर नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे तक की करीब 2971 हेक्टेयर जमीन को शामिल करने की योजना भी शामिल है। इस योजना से करीब 2911 हेक्टेयर जमीन को पुनः प्राप्त कर विकसित करने का प्रस्ताव है।
इस योजना का अध्ययन अब नोएडा प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना को तीन चरणों में विकसित किया जाना है और इसकी कुल लागत लगभग 29,000 करोड़ रुपये है। उम्मीद है कि खरीदी जाने वाली भूमि की कीमत इस राशि से दोगुनी होगी। फिलहाल इस योजना को हिंडन फ्लडप्लेन डेवलपमेंट नाम दिया है।
10,000 परिवार विस्थापित होंगे
तटबंध बनने के बाद हिंडन नदी के किनारों पर अवैध अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। नदी के किनारे की जमीन सिंचाई विभाग के पास है और यह प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में शामिल है, जहां कई गांवों ने अपनी अविकसित जमीन छोड़ रखी है। हिंडन नदी को नहर से जोड़ने और रिवरफ्रंट बनाने के बाद उपलब्ध जमीन का विकास किया जाएगा।
खबरों की मानें तो नदी के किनारे कुल 375 हेक्टेयर सरकारी जमीन, 135 हेक्टेयर सिंचाई विभाग की जमीन और करीब 300 हेक्टेयर विभागीय जमीन है। इसके बाद किसानों से जमीन खरीदनी होगी। इस जमीन को खरीदने के लिए करीब 1500 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। वहीं, बाढ़ क्षेत्र में घर बनाने वाले परिवारों के पुनर्वास के लिए रणनीति बनाई गई है। माना जा रहा है कि इस तरह के करीब 10,000 परिवार हैं। इनके पुनर्वास पर करीब 4,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
6 लेन रोड और 12 फ्लाईओवर का भी होगा निर्माण,
सिंचाई विभाग ने हिंडन के किनारे छिजारसी से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग तक बंधा बनाया है। तैयार योजना में प्रस्ताव दिया गया है कि यहां अधिग्रहित भूमि के बेहतर विकास के लिए कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना होगा। इसके लिए बंधे के साथ-साथ 6 लेन की सड़क बनाई जाए। बीच में 12 छोटी-बड़ी सड़कें हैं, इनके ऊपर फ्लाईओवर बनाए जाएं। अनुमान है कि 6 लेन की सड़क बनाने में करीब 625 करोड़ रुपये और 12 फ्लाईओवर बनाने में करीब 150 करोड़ रुपये खर्च होंगे। ये फ्लाईओवर ज्यादा बड़े नहीं होंगे।
साथ ही, इस प्रॉजेक्ट में सबसे पहले हिंडन नदी के किनारों की खुदाई करके उन्हें नया आकार दिया जाएगा और फिर डायाफ्राम दीवार बनाकर उसे चैनलाइज किया जाएगा। इसके अलावा मिट्टी भरने की भी जरूरत होगी। इस काम की अनुमानित लागत करीब 380 करोड़ रुपये है।
नोएडा में इस प्लान की क्या जरूरत?
नोएडा में इस योजना को लाने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि शहर की आबादी बढ़ती जा रही है और एक्सप्रेसवे के किनारे कुछ ही सेक्टर विकास के लिए बचे हैं। प्राधिकरण के पास बहुत कम जमीन बची है और अगर हिंडन नदी के किनारे खाली पड़ी जमीन पर योजनाबद्ध तरीके से विकास नहीं किया गया तो अतिक्रमण बढ़ता जाएगा और नदी का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। वहीं नदी के किनारे तक प्लॉटिंग पहुंच गई है। ऐसे में अब प्राधिकरण, सिंचाई विभाग और प्रशासन को इस परियोजना की उपयोगिता देखनी होगी। अगर यह परियोजना शुरू होती है तो यह शहर के लिए बड़ा फैसला होगा।