हिजाब बैन पर बंटा सुप्रीम कोर्ट का मत
कर्नाटका (Karnataka) में स्कूल एवं कॉलेजों में हिजाब बैन के खिलाफ अर्जी पर सुप्रीम कोेर्ट (Supreme Court) की बेंच में अभी तक फैसला नहीं हो सका है। दो सदस्यों सुप्रीम कोेर्ट की बेंच में इस मसले पर निर्णय को लेकर मतभेद था। ऐसे में इस केस को अब तीन जजों की बेंच के पास भेज दिया गया है। हिजाब मसले पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में एकमत से या फिर बहुमत से ही अब फैसला हो सकेगा। गुरुवार 12 अक्टूबर को जस्टिस हेमंत गुप्ता ने अपना फैसला सुनाते हुए कर्नाटक सरकार के हिजाब बैन को समर्थन सिया वहीं विरोध करने वालों की अर्जी को भी खारिज कर दिया। दूसरी तरफ, जस्टिस धूलिया ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले को गलत माना और कर्नाटक हाईकोर्ट के बैन जारी रखने के आदेश को रद्द कर दिया। इस स्थिति में दो जजों के अलग-अलग फैसलों के कारण निर्णय मान्य नहीं हो पाया। अब आखिरी फैसला अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच तय करेगी।
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला उन याचिकाओं पर आया जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी। जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में सरकार के हिजाब बैन के फैसले पर अपना समर्थन दिखाया था। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने 10 दिनों की लगातार सुनवाई के बाद 22 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हिजाब पर बैन सही है या गलत, इस पर फैसला अब CJI यूयू ललित करेंगे।
जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर एक मत से अपना फैसला नहीं सुना पाती तब-तक कर्नाटका हाईकोर्ट का ही फैसला इस मसले में लागू रहेगा ।
सुप्रीम कोर्ट के जजों ने क्या कहा?
जस्टिस धूलिया ने अपना फैसला सुनते हुए कहा कि, “मेरे दिमाग में सबसे बड़ा सवाल बच्चियों की शिक्षा का है। मेरी नजर में यह चयन का मामला है। न तो इससे ज्यादा कुछ और न इससे कम। मेरा नजरिया अलग है और मैं इन याचिकाओं को मंजूरी देता हूं”। इससे आपको यह तो मालूम चल ही गया होगा की जस्टिस धूलिया हिजाब को एक व्यक्तिगत नजरिया मानते है। वहीं दूसरी तरफ जस्टिस गुप्ता का फैसला ने अपने फैसले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से अपना समर्थन दिखाया और इस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले से 11 सवाल पूछे। इसके बाद उन्होंने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि हमारे विचारों में भिन्नता है।
सुप्रीम कोर्ट में आखिरी नतीजा क्या निकला?
सुप्रीम कोर्ट में दो जज के मतों में भिन्नता के कारण जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि अब यह मामला CJI को भेजा जायेगा, ताकि वे इस मामले में उचित निर्देश दे सकें। याचिकाकर्ता के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि अब CJI यह तय करेंगे कि इस मामले पर सुनवाई के लिए बड़ी बेंच गठित की जाएगी। अभी फिलहाल के लिए हिजाब बैन बरकरार रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी नागेश ने बताया कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला अभी अंतरिम तौर पर लागू रहेगा। इस कारण स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब बैन बरकरार रहेगा। मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की दलील थी कि ‘छात्राएं स्टूडेंट्स के साथ भारत के नागरिक भी हैं। ऐसे में ड्रेस कोड का नियम लागू करना उनके संवैधानिक अधिकार का हनन होगा’।
हिजाब इंसान का व्यक्तिगत निर्णय
भारत के इस माहौल को आप अगर गौर से देखे तो ये मुद्दा कोई कोर्ट-कचहरी में तय करने वाला नहीं है। कुछ दिन पहले ही ईरान की एक महिला माहसा अमिनी को हिजाब के कारण अपनी जान गवानी पड़ी थी। अमिनी की मौत हिजाब के कारण पुलिस कस्टडी में हुई थी जिस कारण ईरान और दुनिया भर की महिलाओं ने अपने बाल काट कर समर्थन दिखाया था। इस घटना से कर्नाटका सरकार और हमारे देश को कुछ सिख भी मिल सकती है और वो ये है कि हिजाब या कोई और धार्मिक पहनावा किसी भी इंसान का व्यक्तिगत मामला होना चाहिए। दूसरी तरफ धारण को भी ये समझना चाहिए की किसी देश का कानून हो या किसी स्कूल का वहां के नियम सब के लिए एक समान होना चाहिए।
हिजाब मामले पर राजनीति हुई तेज़
एक ओर जहां इस मुद्दे पर देश के सुप्रीम कोर्ट का भी मत बंट गया है वहीँ दूसरी तरफ नेताओं और धार्मिक विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर राजनीति तेज़ कर दी है। उत्तर प्रदेश के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि अगर हिजाब हटाया जाएगा तो लड़कियां बेपर्दा होकर घूमेंगी जिस वजह से आवारगी बढ़ेगी और देश के हालात बिगड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सारा माहौल भाजपा का बिगाड़ा हुआ है, पर रहमान साहब को एक बार ये भी सोचना चाहिए था की अगर लड़के इतने अशिक्षित है तो इसमें लड़कियों का क्या दोष।
शफीकुर रहमान बर्क पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि सपा के सांसद गैरजिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं, इसके लिए उन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए। मोहसिन ने आगे कहा कि “वह देश की लड़कियों को पढ़ते हुए नहीं देखना चाहते हैं, वह तालिबानी समर्थक रहे हैं। दुर्भाग्य से वह संसद के सदस्य हैं, जो इस तरह की भाषा बोलते हैं। मोहसिन रजा ने पूछा कि क्या आप इस्लामिक कल्चर लेकर आना चाहते हैं?”
क्या है यह हिजाब विवाद ?
कर्नाटक में हिजाब विवाद जनवरी के शुरुआत में उडुपी के ही एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जिसके तहत मुस्लिम लड़कियों को कॉलेज में हिजाब पहनकर आने से मना किया गया था। स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था। जिसके बाद इस सोशल मीडिया के दौर में दूसरे शहरों में भी यह विवाद तेज़ी से फैल गया। मुस्लिम लड़कियां ने जब इसका विरोध किया, तब इसके खिलाफ हिंदू संगठनों से जुड़े युवकों ने भी भगवा शॉल पहनकर जवाबी विरोध शुरू कर दिया था। जबकि एक कॉलेज में इस तरह के विरोध के कारण हिंसक झड़प भी देखने को मिला था। जहां पुलिस को सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए टियर गैस छोड़नी पड़ गई थी।
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