‘मैं मंदिर दान के लिए डकैत के पास जाऊं तो…’ दिशा मामले में जज ने दिल्ली पुलिस से पूछे कड़े सवाल, जानिए कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
टूलकिट को लेकर दिशा रवि की हुई गिरफ्तारी का मामला लगातार सुर्खियों में छाया हुआ है। किसान आंदोलन के समर्थन में ग्रेटा थनबर्ग ने जो टूलकिट शेयर की थीं, उसको लेकर ही दिशा रवि इस मामले में घिरीं। बेंगलुरु से एक्टिविस्ट दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया था। सोशल मीडिया पर इसको लेकर काफी चर्चाएं हो रही है। एक तरफ कई लोग इस गिरफ्तारी को सही ठहरा रहे, तो कुछ लोग गिरफ्तारी का विरोध करते हुए दिशा को रिहा करने की मांग करते नजर आ रहे हैं।
वहीं इसी बीच इस मामले को लेकर दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में भी सुनवाई हुई। इस दौरान दिल्ली पुलिस और दिशा रवि के वकील के बीच काफी तीखी बहस हुई। इसके अलावा एडिशन सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस से कुछ सवाल भी पूछे। जज ने पुलिस से पूछा कि “अगर मैं मंदिर का चंदा मांगने डकैत के पास जाऊं, तो क्या मैं भी डकैती में शामिल हो जाऊंगा?”
सुनवाई के बाद इस मामले पर अपने फैसले को पटियाला हाउस कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया। 23 फरवरी को दिशा की जमानत याचिका पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।
दिशा रवि के वकील ने रखीं ये दलीलें…
बीते दिन दिशा रवि की जमानत याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान दिशा रवि के वकील ने अपनी दलीलें रखीं। वो बोले कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन पर भारत में बैन नहीं लगा। क्या उस दिन जो लोग सड़कों पर उतरे थे उनकी जेब में टूलकिट की कॉपी थी? 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए टूलकिट जिम्मेदार है, इसका सबूत नहीं है।
दिशा के वकील ने आगे कहा कि टूलकिट से लोगों को मार्च में हिस्सा लेने के लिए कहा गया था। अगर मैं किसी को किसी भी मार्च में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करता हूं तो क्या ये द्रेशदोह है? मैं ये कहूं कि आप रैली में हिस्सा लें, तो क्या ये मुझे देशद्रोही साबित कर देगा? टूलकिट में कहा गया था कि सरकारी दफ्तरों पर इकट्ठा हो, ये क्या देशद्रोह है? दिशा ने अपने वकील के जरिए कोर्ट में कहा कि अगर किसान आंदोलन को वैश्विक स्तर पर उठाना राजद्रोह है, तो मैं जेल में ही ठीक हूं।
दिशा के वकील ने आगे कहा कि मेरी मुवक्किल 22 साल की एक लड़की है, जो बेंगलुरु में रहती है। खालिस्तान मूवमेंट से उसका कभी कोई भी जुड़ाव नहीं रहा। अभियोजन का ये केस है कि खालिस्तान मूवमेंट किसान आंदोलन की आड़ में अपना मकसद पूरा करना चाहते है।
पुलिस की तरफ से ये कहा गया
वहीं कोर्ट में दिल्ली पुलिस के वकील ASG सूर्यप्रकाश वी. राजू ने दलीलें रखीं। वो बोले कि टूलकिट के पीछे साजिश साफ तौर पर नजर आ रही है। ये आपको ऐसी साइट पर ले जाता है, जो इंडियन आर्मी को बदनाम करती हैं। उसमें ये फैलाया जा रहा कि आर्मी ने कश्मीर में नरसंहार किया। ये नहीं है कि दिशा खालिस्तान है, लेकिन उनका खालिस्तानियों से लिंक है।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि दिशा पॉएटिक जस्टिज फाउंडेशन से कथित तौर पर जुड़ी है। किसान आंदोलन के समर्थन के नाम पर एक ग्रुप उन्होनें बनाया। ऐसे में उन पर राजद्रोह का आरोप बनता है। दिशा को पता था कि किस तरह लोगों को भ्रमित किया जा सकता है। हिंसा कर रहे लोगों की जेब में टूलकिट नहीं थी, लेकिन वो उसे पढ़कर आक्रोशित हुए।
पुलिस के वकील ने कहा कि दिशा पुलिस से झूठ बोल रही हैं। अभी दिशा को दूसरे आरोपियों से पुलिस का सामना करना है। लैपटॉप,फोन से मिटाए मटेरियल को रिकवर करना है। वहीं दिशा के वकील की ओर से कहा गया कि 5 दिन की कस्टडी के दौरान आप मुझे एक बार फिर बेंगलुरु नहीं लेकर गए कि कहां कोई मोबाइल छिपाकर रखा गया। लेकिन कोर्ट में कह रहे हैं कि दूसरा मोबाइल या लैपटॉप भी हो सकते हैं, जिनको अभी बरामद किया जाना है।
कोर्ट ने मामले पर की ये बड़ी टिप्पणियां
दिशा रवि और दिल्ली पुलिस की तरफ से पेस हुए वकील के बीच कोर्ट में इसको लेकर लंबी बहसबाजी चली। वहीं दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद एडिशनल जज ने दिल्ली पुलिस से इसको लेकर कई सवाल पूछे। जज धर्मेंद्र राणा ने पूछा कि ये चाय और योग वाला जो प्वाइंट है, इससे आप क्या कहना चाह रहे हैं? जिसके जवाब में सरकारी वकील ने कहा कि टूलकिट केवल भारतीय योग और चाय को ही टारगेट नहीं कर रही, बल्कि भारत के सिंबल्स को भी टारगेट करती है।
जज ने ये भी पूछा कि आखिर ये टूलकिट है क्या? जिसके जवाब में कहा गया कि टूलकिट के जरिए इंडिया गेट पर झंडा फहराने के लिए लाखों का इनाम रखा गया। ये संगठन किसान आंदोलन की आड़ में अपना मकसद पूरा करने में लगा था।
जज ने पूछा कि दिशा के खिलाफ अब तक क्या-क्या मटेरियल इकट्ठा हुआ है? जिसके जवाब में सरकारी वकील बोले कि दिशा के खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त सामग्री है। दिशा ने टूलकिट को एडिट किया था। फिर जज ने पूछा कि आपके पास ऐसा क्या सबूत है कि 26 जनवरी को हुई हिंसा का संबंध टूलकिट से है? इस पर वकील ने कहा कि अगर कोई खालिस्तानी समर्थक हिंसा की प्लानिंग कहीं पर लिखकर करता है और बाद में वहीं होता है, तो शक होगा ही। अभी इस पर जांच चल रही है।
सरकारी वकील की इन दलीलों के बाद जज ने कहा कि बेसिकली ये एक टूलकिट नहीं,बल्कि एख मुखौटा था। मान लें, मैं किसी आंदोलन से जुड़ा हूं और कुछ लोगों से किसी इरादों के साथ मिलता हूं तो आप मेरे लिए एक ही इंटेशन कैसे रख सकते है? अगर मैं मंदिर दान के लिए किसी डकैत के पास जाता हूं, तो क्या मैं भी डकैती के साथ हूं, आप ये कह सकते है? दोनों पक्षों की दलील और कोर्ट ने अपनी टिप्पणी के बाद इस पूरे मामले पर 23 फरवरी तक के लिए फैसला सुरक्षित रख दिया। कोर्ट की ओर से दिशा रवि की गिरफ्तारी पर मंगलवार को फैसला सुनाया जाएगा।