आज कल हमारे देश के नेताओं को अपनी संसदीय या विधायकी जाने से भी बड़ा खतरा ED से लगता है। वे हमेशा इस बात से सहमें रहते हैं कि कहीं उनके घर ED यानि परिवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) का छापा ना पड़ जाएं। खास तौर पर विपक्ष के नेताओं को भूत से ज्यादा डर ED के छापे से लगता है। क्यूंकि बीते कुछ वर्षों में देखा जाएं तो ED की ओर से सबसे ज्यादा शिकंजा विपक्ष के नेताओं पर ही कसा गया हैं। जिसको देखते हुए विपक्ष के नेताओं का डर लाजमी लगता है। ED के लगातार विपक्ष के नेताओं पर छापे पर देश के तमाम बड़े विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार को घेरा हैं। विपक्ष हमेशा ED (Enforcement Directorate) पर हमेशा यह आरोप लगाता है कि ED मोदी सरकार के इशारों पर डिस्को डांस करती है। लेकिन बीजेपी के नेताओं के सामने ED अपना डांस अचानक भूल जाती हैं, जिससे साफ़ पता चलता है कि ED की चाभी किसके पास है। विपक्ष तो विपक्ष देश में भी कहीं न कहीं लोगों को भी लगने लगा हैं कि ED , CBI , NCB जैसी देश की बड़ी जाँच एजेंसियां सरकार के तलवें चाट रहीं हैं।
बीते दिनों कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड केस में ED ने जमकर लपेटे में लिया था। ऐसा लग रहा था कि राहुल ED के दफ्तर में वीकेंड मानाने गए हैं। राहुल से सवाल करने की ED ने एक लंबी फेहलिस्ट बना राखी थी, तभी तो राहुल की पुछ ताछ तकरीबन 3 दिनों में राहुल से 30 घंटों की ED ने पूछताछ की। हालांकि ED की तरफ से राहुल गांधी की मेजबानी पहली बार नहीं की गई है। ED ने तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी समन भेजा था। लेकिन ख़राब तबियत के कारण सोनिया गांधी ED के दफ्तर नहीं जा सकी। सोनिया गांधी का भी नाम नेशनल हेराल्ड मामले में है। इस बार राहुल पर ED के शिकंजे पर कांग्रेस नेतओं समेत कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में जमकर बवाल किया था।
हाल-फिलाल में ED के छापे की गाज
हाल ही में Ed ने उद्धव ठाकरे के करीबी और शिवसेना के विधायक अर्जुन खोड़कर पर छापा मारा था और उनकी की 78 करोड़ 38 लाख की जमीन जब्त कर ली थी। जैसा कि हम सब जानते हैं कि ठीक कुछ दिनों पहले जब महाराष्ट्र की राजनीति में अभी भूचाल आया था। जिसके चलते ऐसा लग रहा रहा कि कब उद्धव सरकार कब गिर जाएगी। ये किसी को नहीं पता था। हालांकि कुछ ही दिन बाद में उद्धव सरकार गिर गई और शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली। लेकिन ठीक महाराष्ट्र के सियासी संकट के बीच ED का शिवसेना के विधायक पर छापा मारा जाना एक संयोग मात्र था या फिर इसके पीछे की कुछ और वजह। ये तो सोचने का विषय है ही। खैर आगे बढ़ते हैं। ED ने राहुल गांधी से पहले दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग के केस में पूछताछ की थी। ED ने 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर सत्येंद्र जैन के आवास पर छापा मारा था। ED ने राज्यसभा सांसद, शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत और उनकी पत्नी पर भी शिकंजा कसा है। ED ने इस मामले में 11 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच की है, जिसमें से 9 करोड़ की प्रॉपर्टी प्रवीण राउत की है। वहीं 2 करोड़ की प्रॉपर्टी संजय राउत की पत्नी की है।
ED की लिस्ट यहीं खत्म नहीं। ED ने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस सरकार में रहें पूर्व वित्त मंत्री पी.चितरमबरम, महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास मंत्री, एनसीपी नेता नवाब मलिक,जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर भी बड़ी करवाई की है। वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर भी ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में अबतक 11 बार पूछताछ की है। लेकिन बीते कुछ सालों में कोई ऐसा नाम जहन में नहीं आया, जिसमें ED ने विपक्षी नेताओं के अलावा किसी अन्य नेताओं के घर छापा मारा हो और शायद यहीं वजह है कि आज हमारे देश के विपक्ष के नेता ED के छापे से बचने के लिए बीजेपी में शामिल होना ज्यादा पसंद करते हैं। चलिए अब इसी फैक्ट की ब्रीफिंग पर नज़र डाल लेते हैं। सबसे पहले बात कांग्रेस के हाल ही में शामिल होने वाले नेताओं की कर लेते हैं, हार्दिक पटेल , आरपीएन सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद जब कांग्रेस में हुआ करते थे। तब ED के कट्टर दुश्मन हुआ करते थे लेकिन जैसे ही ये नेता बीजेपी में शामिल हुए इनका ED से दोस्ताना अलग ही लेवल का हो गया। अब तो ये ED के काम की गुणगान करते फिरते हैं।
विपक्षी नेताओं ने ED को नया नाम दिया
अगर देखा जाएं तो विपक्ष के शीर्ष नेताओं की ऐसी सोच भी देश को एक तगड़ा और हमलावर विपक्ष देने में नाकामयाब कर रहीं है। हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस के पूर्व युवा नेता हार्दिक पटेल , आरपीएन सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद पर भी विपक्ष ने आरोप लगाया था कि ED कहीं इनकी दुश्मन न बन जाएं। इसीलिए बीजेपी को इन्होनें अपना दोस्त बना लिया और बीजेपी में जाते इनसब के दाग धूल जायेंगे, ये लोग रातों-रात भ्रष्टाचार मुक्त वाले नेता हो जायेंगे। ED और मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए विपक्ष के कई नेताओं ने तो (Enforcement Directorate) अर्थात परिवर्तन निदेशालय को बीजेपी का ‘इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’ तक घोषित कर दिया है। वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ED पर तंज कस्ते हुए ED को एग्जामिनेशन इन डेमोक्रेसी कहा था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने तो ED को खुली चुनौती दी है कि जितनी मन करें उतना सरकार के दवाब पर काम करलो, हमें परेशान करलो। लेकिन कभी हमें और हमारी पार्टी को खत्म नहीं कर सकते। ED के विपक्षी नेताओं के घरों पर ताबड़तोड़ छापों पर कांग्रेस के बड़े नेता अजय माकन ने मोदी सरकार और ED पर सरकार उठाते हुए कहा है कि ‘ED हमेशा बीजेपी के नेताओं पर मेहरबान रहती हैं। जिसके तहत केंद्र के दबाव में ED एवं CBI द्वारा एक स्कीम चलाई जा रही है। इसका नाम है ‘ग्लो एंड लवली’ स्कीम। जिसमें, सरकार के खिलाफ मत बोलो, चुप हो जाओ, या बीजेपी में आ जाओ, तो सब गुनाह माफ हो जाते हैं।
विपक्ष के दावों में कितना दम
अगर विपक्ष के दावों पर एक नज़र डालें। तो कुछ ऐसे तथ्य सामने आते हैं, जो थोड़े अटपटे लगते हैं। जैसे अभी असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा हैं, जो अब बीजेपी शासित राज्य के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन जब वे कांग्रेस में थे, तो लुईस बर्जर केस व शारदा घोटाले में उनपर ED और CBI का शिकंजे की तलवार लटक रहीं थी। क्यूंकि ED ने हिमंता बिस्वा को समन भी भेजा था। लेकिन जब हिमंता बिस्वा कांग्रेस से दौड़कर बीजेपी में चले गए। तो शारदा घोटाला व लुईस बर्जर केस कहां चले गए, अब तो इसकी कोई खबर ही नहीं है। ऐसे ही कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और उनके बेटे पर ED का केस दर्ज है। अब ये केस कहां गया? कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और NCP के पूर्व नेता नारायण राणे के बीजेपी में शामिल होते ही इन दोनों के खिलाफ दर्ज हुए ED के केस कहां हैं?
छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह जिनपर भी ED का केस दर्ज था। उस केस में ED की और से कोई करवाई क्यों नहीं हुई। मोदी सरकार में HRD मंत्री रहे निशंक पोखरियाल पर दो घोटाले के आरोप लगें, लेकिन ED ने इनपर आज तक कोई करवाई नहीं की। TMC से बीजेपी में शामिल हुए मुकुल रॉय और सुवेंदु अधिकारी के पीछे एक समय ED हाथ धो कर पड़ी थी। लेकिन बीजेपी में जाते ये लोग पाक साफ़ हो गए। इन बड़े बीजेपी के नेताओं के अलावा पूर्व कांग्रेस और TMC नेता सोमेन मित्रा का नाम भी इस लिस्ट में है, जो अब बीजेपी में है , ED के सामने इनकी पेशी भी हुई थी लेकिन अब ED इनपर मेहरबान है। आखिर इन सब बीजेपी के नेताओं पर ED क्यों करवाई नहीं कर रहीं, ऐसा लगता है कि ED को इन नेताओं पर करवाई करने के टाइम सांप सूंघ गया हो।
बीते वर्षों में ED का रिकॉर्ड
अगर बात जुलाई, 2005 से फरवरी 2022 तक ED की रिपोर्ट कार्ड की करें तो, ED ने 3086 Number of searches conducted किए। 4964, Number of ECIRs recorded की और 943 Prosecution complaints filed की। लेकिन अगर बात ED के Number of convictions convicted की बात करें तो वो मात्र 23 है। अर्थात ED अपराध सिर्फ 23 लोगों पर ही सिद्ध कर पाई, जिससे साफ पता चलता है कि ED दर्ज किए केसों में मात्र 1 प्रतिशत ही अपराध सिद्ध कर पाती है और बाकी केसों की बस जांच करती रहती है। वहीं दूसरी ओर NDA और UPA सरकार के कार्यकाल में ED के एक्शन की तुलना करें तो, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार UPA सरकार जो 2005 से 2014 तक थी। उसमें ED ने 112 केस दर्ज किए और 4156 करोड़ की सम्पतियां जब्त की जबकि 2014 से 2022 फरवरी तक मोदी सरकार में ED ने 2974 केस दर्ज किए और 1 लाख करोड़ की सम्पतियाँ जब्त की।
ED का इतिहास
फॉरेन एक्सचेंस रेग्युलेशन एक्ट (FERA),1947 के अंतर्गत एक्सचेंज नियंत्रण कानून के उल्लंघन को रोकने के लिए इकोनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट के नियंत्रण में एक ‘प्रवर्तन इकाई’ 1 मई, 1956 को गठित की गई थी। बाद में 1957 से इस इकाई को ED के रूप में जाना जाने लगा। ED का मुख्यालय दिल्ली में है। इसका नेतृत्व प्रवर्तन निदेशक करते हैं। अभी ED के प्रवर्तन निदेशक संजय कुमार मिश्रा हैं। ED ‘हवाला’ के मामलों की जांच करता है। यानि रुपये को दुनिया की एक जगह से दूसरे पर ग़ैरक़ानूनी रूप से भेजना ही हवाला है और इसमें सबसे अहम भूमिका एजेंट या बिचौलिए होते हैं, जिसे बीच वाला कह सकते हैं। बता दें, ये बिचौलिए शायद ही कभी किसी भी लेन देन का रिकॉर्ड छोड़ते हो।
ED (PMLA) मामलों की भी जांच करता है। ये (Prevention of Money Laundering Act) अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के उपयोग को रोकता है। मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करता है। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े अन्य प्रकार के संबंधित अपराधों को रोकने का प्रयास करना सब (PMLA) के तहत होता है। PMLA कानून को 2002 में अधिनियमित किया गया था और इसे 2005 में लागू किया गया। इन सब के अलावा ED विदेशों में संपत्ति की खरीद, भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा का कब्जा, विदेशी मुद्रा का अवैध व्यापार से जुड़े मामले भी जांचती है। ED की नजर Finance से जुड़े अपराधों पर भी रहती है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि ED को इनसब गैर क़ानूनी कामों और अपराधों की सूचना कहां से मिलती है? तो आपको बता दे, ED को केंद्रीय और राज्य सूचना एजेंसियों या लोगों की दर्ज की गई शिकायतों से मिलती हैं।
देश की बड़ी जांच एजेंसी ED एक सेलेक्टिव अजेंडे के साथ काम करती दिख रहीं है , जो एक लोकतंत्र देश के लिए कहीं से भी सही नहीं है। नेता किसी भी पार्टी का हो या उद्योगपति जो किसी भी पार्टी के प्रति झुकाव रखता हो लेकिन ED का फर्ज है कि देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी होने के नाते सभी को बराबरी के तराजू में तौले नाकि किसी भी सरकार के दवाब में काम करें और अगर कोई दोषी है तो शिकंजा सत्ता में बैठे हुए लोगों पर भी कसा जाएं साथ ही विपक्ष के नेताओं को भी घेरा जाएं।