ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने से कई मोड़ सामने आ रहे है। वहीं सोमवार से जिला अदालत में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के दावे पर सुनवाई होगी, लेकिन इस बीच अब काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत के दावे ने बहस का एक और नया रास्ता खोल दिया।
दरअसल, काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने दावा किया है कि ज्ञानवापी के भूतल में एक और शिवलिंग है। इसके साथ ही उन्होंने याचिका दाखिल करते हुए ये भी कहा कि इसकी पूजा पाठ की इजाजत मिलनी चाहिए ।
ज्ञानवापी केस में नया मोड़
वहीं अब वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में हुए सर्वे के बाद अलग-अलग दावे ठोके जा रहे हैं। हिंदू पक्ष की ओऱ से कोर्ट में पेश की गई सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्ञानवापी परिसर के अंदर कमल, नाग का फन और कई तरह के हिंदू निशान मिले है। अब लगातार केस में नए-नए मोड़ आ रहे है, जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जिला जज के हाथों में सौंप दी है। लेकिन अब इस मामले में आगे की सुनवाई किए जाने से पहले ही काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत ने बड़ा दावा कर दिया है। उनका कहना है कि मस्जिद के भूतल में एक और शिवलिंग है।
काशी मंदिर के महंत का नया दावा
गौरतलब है कि SC के आदेश के मुताबिक, सोमवार से जिला अदालत में सुनवाई होगी। वाराणसी जिला अदालत में कुल चार याचिकाएं हैं जिन पर सुनवाई होनी है। इस सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिला जज को केवल आठ सप्ताह में ज्ञानवापी विवाद पर अपना फैसला सुनाना है। इसी बीच काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत ने 154 साल पुरानी तस्वीर दिखाते हुए दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने के पास ही एक दरवाजा था जहां शिवलिंग है और यह भूतल में है। महंत ने आगे कहा कि यहां नंदी भगवान के पास लोग बैठते थे।
पूजा करने की मांगी अनुमति
महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने अपने दावे के बाद मांग की है कि शिवलिंग की पूजा पाठ की इजाजत मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, महंत का दायित्व है कि शिवलिंग की पूजा करें। मैं दावे के साथ कहता हूं कि वहां नीचे शिवलिंग है। नीचे के शिवलिंग का पूजा पाठ 1992 से बंद है उसे शुरू करना चाहिए। मैं यह नहीं कहता कि श्रद्धालुओं को जाने की इजाजत मिले। लेकिन हमें पूजा कि इजाजत मिलनी चाहिए, जिसके लिए मैं याचिका दाखिल कर रहा हूं।
मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?
बहरहाल शिवलिंग मिलने के दावे पर अब दोनों पक्ष में बहस छिड़ गई है। इस मामले में बनारस के मुफ्ती अब्दुला बातिन नोमानी ने कहा, यह शिवलिंग नहीं फव्वारा है। फव्वारा ही था और यह इस्तेमाल में आता था। आज भी उस फव्वारे को चलते हुए देखने वाले लोग मौजूद हैं और वे गवाही दे सकते हैं। मुफ्ती अब्दुला ने आगे कहा कि इस सर्वे में शामिल फोटोग्राफर ने भी कहा कि जो कुआं था वह वजूखाने में डूबा हुआ था। ऐसे में वह फव्वारा कैसा हो सकता है? ऐसा कौन सा फव्वारा होगा जो एक फीट से ज्यादा पानी में डूबा और और फिर पानी ऊपर फेंक सके।
बता दें कि इससे पहले वाराणासी स्थित ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के बाद जिस हिस्से में शिवलिंग मिला, वहां अदालत की ओर से सील करने का आदेश दिया गया। इसके साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए कम से कम लोगों के आने की अनुमति दी गई।