बीते डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय से किसानों का आंदोलन लगातारी जारी है। दिल्ली कूच करते समय किसानों ने ये फैसला लिया था कि वो केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानून के वापस होने के बाद ही वापस लौटेंगे और किसान अभी भी अपने इन इरादों पर अड़े हुए हैं। ठिठुर देने वाली इस ठंड में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर अपने मजबूत हौसलों के साथ डटे हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए तीनों कानून पर रोक लगा दी और विवाद सुलझाने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया। लेकिन अभी भी किसानों का यही कहना है कि वो जब तक ये कानून वापस नहीं हो जाते, वापस नहीं जाएंगें। हालांकि अब इसी बीच ऐसा कुछ हो गया, जिसकी वजह से ऐसा लग रहा है कि आंदोलन के बीच किसानों के बीच फूट पड़ने लगी हैं।
गुरनाम सिंह चढ़ूनी को किया गया संस्पेंड
दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा ने भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रधान गुरनाम सिंह चढ़ूनी को सस्पेंड कर दिया। ऐसा इस वजह से किया गया क्योंकि चढ़ूनी ने हाल ही में राजनीतिक दलों के साथ एक बैठक की थी। ये बैठक दिल्ली में हुई थी, जिसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 11 दलों के नेताओं के मौजूद थे।
गुरनाम सिंह चढ़ूनी पर ये आरोप लगाए घए कि वो किसान आंदोलन का हिस्सा राजनीतिक दलों को भी बनाना चाहते हैं। जबकि शुरू से ही किसान इन सबके विरोध में हैं।
चढ़ूनी ने शिव कुमार कक्का पर साधा निशाना
वहीं अपने ऊपर लगे इन आरोपों को लेकर गुरनाम सिंह चढ़ूनी की तरफ से सफाई दी गई। इस दौरान उन्होनें अपने ही संगठन के शिव कुमार कक्का पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें RSS का एजेंट तक बता दिया।
चढ़ूनी ने कहा कि उनके बढ़ते कद से कुछ लोग जल रहे हैं। उन्होनें ये भी कहा कि ये भी हो सकता है कि उनके खिलाफ बदले की कार्रवाई की गई हो। ये संयुक्त किसान मोर्चा के आरोप नहीं हो सकते बल्कि एक व्यक्ति के आरोप हैं। शिव कुमार मक्का खुद RSS के एजेंट हैं और वो नहीं चाहते कि कोई आगे निकले। वो लंबे समय त क खुद आरएसएस की शाखा राष्ट्रीय किसान संघ के प्रमुख रहे हैं।
उन्होनें ये भी कहा कि वो नेताओं को इस आंदोलन से दूर रखना चाहते हैं। लेकिन अगर कोई नेता घर बैठे अपनी ओर से सरकार पर दबाव बनाते हैं, तो आंदोलन को इसका फायदा मिलेगा।
वहीं शिव कुमार कक्का ने इस पर कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा से सस्पेंड होने की वजह से चढ़ूनी इस तरह के बयान दे रहे हैं। चढ़ूनी को सस्पेंड किया जा चुका है। साथ ही उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की करने के लिए कमेटी का गठन किया गया है।
कल होगी अगले दौर की बातचीत
बता दें कि किसानों का ये आंदोलन नवंबर 2020 में शुरू हुआ था, जो अब तक जारी है। सरकार और किसानों के बीच गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा। जहां एक तरफ किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं, तो वहीं सरकार कानून वापसी के सिवाए बाकी मांगों को मानने के लिए तैयार होती नजर आ रही हैं। अब कल यानी मंगलवार 19 जनवरी को सरकार और किसान नेताओं के बीच अगले दौर की बातचीत होगी। देखना होगा कि किसानों और सरकार के बीच जारी ये गतिरोध आगे क्या मोड़ लेता है…?