देश में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध जोर-शोर से हो रहा है। दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान आंदोलन (Farmers Protest) को 100 दिन से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अभी तक इस मामले में किसी भी तरह का कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। बीजेपी की ओर से लगातार किसान आंदोलन को लेकर बयानबाजियां हो रही है।
तो वहीं, बीजेपी और उसके समर्थक पार्टियों के कई नेता खुलकर किसानों के समर्थन में भी सामने आए हैं। इसी बीच मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) ने किसान आंदोलन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा है कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए, उन्हें खाली हाथ न लौटाएं।
किसानों पर बलप्रयोग उचित नहीं
बीते दिन रविवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) ने अपने गृह जिला बागपत के अमीननगर सराय में आयोजित अपने अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा किसानों पर बलप्रयोग करना उचित नहीं है, सिख कौम 300 साल तक किसी बात को नहीं भूलती।
राज्यपाल ने कहा, कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिख चुका हूं। पत्र में लिखा है कि किसानों को खाली हाथ मत लौटाना। यदि ऐसा हुआ तो नुकसान होगा। एमएसपी को मान्यता दे देनी चाहिए। कृषि कानून किसानों के पक्ष में नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि जिस देश में किसान और संघर्षशील होगा वह देश कभी विकास नहीं कर सकता।
‘कब मेरी छुट्टी हो जाए पता नहीं’
सत्यपाल मलिक ने आगे कहा कि किसान दिल्ली से खाली हाथ वापस जाने के लिए नहीं आए हैं, अगर एमएसपी को कानून की बाध्यता दे दें तो किसान भी कानून में संशोधन में अपनी सहमति देकर चले जाएंगे। अगर ये सब ज्यादा दिन चलता रहा तो पता नहीं इसका परिणाम क्या होगा।
उन्होंने कहा, राज्यपाल का काम चुप रहना, हस्ताक्षर करना और आराम करना होता है लेकिन मेर से चुप नहीं रहा जाता। इसलिए किस दिन मेरी छुट्टी हो जाए पता नहीं। हां, इतना जरूर है कि रिटायरमेंट के बाद आपके बीच रहूंगा और किताब लिखूंगा। उम्मीद है कि आप सभी को मेरी लिखी हुई किताब पसंद आएगी।
‘जरुरत पड़ी तो वार्ता के लिए तैयार हूं’
मेघालय के राज्यपाल ने आगे कहा, मैं भी किसानों का बेटा हूं और किसानों का दर्द जानता हूं। यदि मेरी जरूरत पड़े तो मैं भी किसानों के साथ वार्ता करने के लिए तैयार हूं। उन्होंने अपने संबोधन में जयंत चौधरी पर लाठीचार्ज और राकेश टिकैत को पर भी टिप्पणी की। मलिक ने कहा कि जब किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की सुगबुगाहट सुनी तो फोन करके इसे रुकवाया।