कॉमन सिविल कोड लाने की तैयारी में केंद्र सरकार? जानें क्या है ये कानून और इससे जुड़ी कुछ बड़ी बातें…

By Reeta Tiwari | Posted on 11th Feb 2020 | देश
Uniform civil code, Modi government

दोबारा से सत्ता में आने के बाद केंद्र सरकार कई ऐतिहासिक फैसले ले चुकी है. वो चाहे तीन तलाक कानून हो या फिर जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को निष्प्रभावी करने का फैसला हो. इतना ही नहीं मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में राम मंदिर पर भी बड़ा फैसला आया है. इसके अलावा अब इन दिनों यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक बहस छिड़ी हुई है. ऐसा कहा जा रहा है कि मोदी सरकार अब जल्द ही यूनिफॉर्म सिविल कोड को भी लाने जा रही है. तो ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर ये कानून क्या है?…

क्या है कॉमन सिविल कोड?

यूनिफॉर्म सिविल कोड या यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब ये है कि देश में हर व्यक्ति, हर नागरिक के लिए एक समान कानून हो. चाहे उसका नाता किसी भी धर्म, जाति या फिर समुदाय से हो. वैसे अभी देश में हर अलग धर्म के अलग पर्सनल लॉ हैं, लेकिन अगर ये कानून लागू हो जाता है तो हर धर्म के लोगों के लिए एक कानून का पालन करना होगा. फिर चाहे वो हिंदू, मुसलमान, सिख या ईसाई हो. सबके लिए शादी, तलाक, पैृतक संपत्ति जैसे मामलों पर एक कानून लागू हो जाएगा.

ये है कानून के विरोध का कारण…

हालांकि जब भी इस तरह के कानून की बात होती है, तो इसका विरोध जरूर होता है. वहीं इस कानून का विरोध होना भी हो सकता है. भारत के आजाद होने के बाद 1951 में तत्कालीन कानून मंत्री डॉ. बीआर अंबेडकर ने हिंदू समाज के लिए एक बिल लाने की कोशिश की थी. उन्होनें हिंदू कोड बिल लाने का प्रयास किया था, लेकिन उस समय इसका बहुत विरोध हुआ और एक धर्म के लोगों ने इस कानून पर सवाल भी खड़े किए थे. विरोध के बाद बिल को चार हिस्सों में बांटा गया.

जब भी देश में कॉमन सिविल कोड लाने की बात हुई है, तो इसको लेकर विरोधियों का तर्क रहा है कि ये कानून सभी धर्मों पर हिंदू धर्म को थोपने जैसा है. भारत विविधताओं वाला देश है, जहां पर ना सिर्फ अलग धर्म के लोग रहते हैं, बल्कि कई समुदाय, जनजातियां की अपनी अलग-अलग सामाजिक व्यवस्था होती है. उन पर एक समान कानून लागू करना उनकी परंपरा को खत्म करना जैसा है.

समर्थकों के ये हैं तर्क

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब एक ऐसा निष्पक्ष कानून है जो किसी भी धर्म से नाता नहीं रखता. इस कानून का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के पर्सनल लॉ में समानता आएगी. इस कानून से धर्म, जाति, लिंग, वर्ग से भेदभाव खत्म होने का दावा किया जाता है. समर्थकों के अनुसार अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर दबाव पड़ता है.

अगर ये कानून आता है तो न्यायपालिका पर से बोझ कम होगा और सालों से अटके हुए मामलों का निपटारा जल्द होगा. देश के हर नागरिक के लिए कानून में एक समानता से एकता को बढ़ावा मिलेगा और देश के विकास में भी तेजी आएगी.

इस कानून से ऐसा नहीं होगा कि लोगों से उनकी धार्मिक मान्यताएं मानने के हक को छिन लिया जाएगा. हर नागरिक के बाकी सभी धार्मिक अधिकार रहेंगे, लेकिन शादी, तलाक, प्रॉपटी, संतान जैसे कुछ मामलों पर हर किसी को एक नियम का पालन करना पड़ेगा. गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है. वैसे संविधान के अनुच्छेद 44 में इसका पक्ष लिया गया है. हालांकि कानून को लागू करना या फिर नहीं करना पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है.

Reeta Tiwari
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रीटा एक समर्पित लेखक है जो किसी भी विषय पर लिखना पसंद करती है। रीटा पॉलिटिक्स, एंटरटेनमेंट, हेल्थ, विदेश, राज्य की खबरों पर एक समान पकड़ रखती हैं। रीटा नेड्रिक न्यूज में बतौर लेखक काम करती है।

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