केंद्र सरकार ने हाल ही में बजट सत्र के दौरान संसद में बताया था कि देश भर में लगभग 18 लाख एकड़ भूमि भारतीय सेना के पास है और इस जमीन में से लगभग 10,249 एकड़ भूमि पर अवैध अतिक्रमण हुआ है यानी लोगों ने उस पर कब्जा जमा रखा है. रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने राज्यसभा में यह बात कही थी. देश के 3 राज्यों में सेना की जमीन पर सबसे ज्यादा कब्जा है, जिनमें उत्तर प्रदेश में 1759.2 एकड़, मध्य प्रदेश में 1757.9 एकड़ और महाराष्ट्र में 1010.3 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण है. इसी बीच भारतीय वायुसेना (IAF) ने हाल ही में गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश के नागली-सागपुर गांव में स्थित 161 एकड़ (65.3499 हेक्टेयर) जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर बेदखली नोटिस जारी किया है।
IAF ने जारी किया नोटिस
दरअसल, यह नोटिस सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम, 1971 के तहत एयर कमोडोर संजय चोपड़ा, एस्टेट ऑफिसर, भारतीय वायुसेना, हिंडन एयरफोर्स स्टेशन, गाजियाबाद द्वारा जारी किया गया है। जिसकी डेडलाइन 18 मार्च 2025 है.
इस नोटिस में क्या कहा गया है?
- अवैध कब्जा: इस नोटिस में कहा गया है कि कुछ लोग या लोगों का समूह, गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) के सदर तहसील स्थित नागली-सागपुर गांव में भारतीय वायुसेना की 161 एकड़ (65.3499 हेक्टेयर) भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किए हुए हैं।
- भूमि का स्वामित्व: यह भूमि भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय की है और इसे 1950 में भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन SRO 268 और 269 (दिनांक 6 और 7 नवंबर 1950) के माध्यम से अधिग्रहित किया गया था।
- कारण बताओ नोटिस: जिन लोगों ने इस भूमि पर कब्जा कर रखा है, उन्हें 18 मार्च 2025 तक यह बताने के लिए कहा गया है कि उन्हें इस भूमि से बेदखल क्यों न किया जाए।
- व्यक्तिगत सुनवाई: यदि वे चाहें, तो वे व्यक्तिगत रूप से या किसी अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से 18 मार्च 2025 को सुबह 10:00 बजे हिंडन एयरफोर्स स्टेशन, गाजियाबाद में पेश हो सकते हैं।
- एकतरफा निर्णय: यदि वे जवाब नहीं देते या निर्धारित तिथि पर उपस्थित नहीं होते हैं, तो मामले का निर्णय उनकी गैरमौजूदगी में मामले का एकपक्षीय निर्णय कर दिया जाएगा, जिससे उनके बेदखली का आदेश जारी हो सकता है।
इसका क्या है मतलब?
अगर वायुसेना के इस नोटिस के मतलब को समझें तो भारतीय वायुसेना अपनी जमीन से अवैध कब्जाधारियों को हटाने की कानूनी प्रक्रिया अपना रही है। यदि नोटिस में सूचीबद्ध लोग अपने दावे को साबित करने के लिए उपयुक्त प्रमाण नहीं देते हैं, तो उन्हें बलपूर्वक बेदखल किया जा सकता है। 18 मार्च 2025 तक उचित जवाब देना अनिवार्य है, अन्यथा सेना और सरकार कानूनी रूप से बेदखली की कार्रवाई करेंगी।
अवैध कब्जे से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा
ध्यान देने वाली बात है कि भारतीय सेना और रक्षा प्रतिष्ठानों की जमीन पर अवैध कब्जे का मुद्दा लगातार बढ़ता जा रहा है। कई बार यह कब्जे भूमाफिया और असामाजिक तत्वों द्वारा किए जाते हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, और हरियाणा जैसे राज्यों में भारतीय सेना की जमीन पर अतिक्रमण की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं।
रक्षा राज्य मंत्री सेठ ने संसद में सेना की जमीन पर राज्यवार अतिक्रमण की जानकारी दी थी। उनके मुताबिक सेना की जमीन पर सबसे ज्यादा अवैध कब्जा उत्तर प्रदेश (1759.2 एकड़) में हैं। इसके बाद 1757.9 एकड़ के साथ दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश है। फिर महाराष्ट्र में 1010.3 एकड़, प. बंगाल में 816 एकड़ और हरियाणा में 780 एकड़ रक्षा भूमि पर अतिक्रमण किया गया है।
सरकार और सेना की कार्रवाई
हालांकि, सेना की जमीन पर लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए सरकार की ओर से सख्त कदम उठाए जा रहे हैं. रक्षा मंत्रालय ने डिजिटल मैपिंग और सैटेलाइट सर्वेक्षण के जरिए अवैध कब्जे की निगरानी तेज कर दी है। भूमाफियाओं के खिलाफ कड़े कानून बनाए जा रहे हैं ताकि भविष्य में सेना की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
साल 2022 में सरकार की ओर से देश भर में डिफेंस इस्टेबलिसमेंट (Defense Establishment) की जमीन पर बढ़ रहे अवैध कब्जे को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया गया था. रक्षा मंत्रालय की ओर से केंद्र सरकार की कंपनी एनबीसीसी के साथ एक एमओयू साइन हुआ था. एमओयू के तहत देश भर में रक्षा भूमि पर चारदीवारी और पिलर का निर्माण करने की बात कही गई थी. हालांकि, धरातल पर अभी इसका असर देखने को नहीं मिला है.
क्या मिले हुए हैं अधिकारी?
आपको बता दें कि सेना की जमीन पर कब्जे का मामला लंबे समय से चला आ रहा है. हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक बात पहुंच चुकी है. कई जगहों पर सेना की जमीनों पर लोगों की रजिस्ट्री हो चुकी है. राजस्व रिकार्ड में सेना की जमीन भी लोगों के नाम से दर्ज हो चुकी है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि ऊपर से नीचे तक के अधिकारियों की देखरेख में चीजें होती चली गई हैं! अब जब सरकार और सेना की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं तो ऐसे मामले स्पष्ट रूप से खुल कर सामने आ रहे हैं.
भारतीय वायुसेना द्वारा जारी यह नोटिस सरकारी संपत्तियों की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। जो लोग इस जमीन पर अवैध रूप से काबिज हैं, उन्हें तुरंत वैध प्रमाणों के साथ अपना दावा प्रस्तुत करना होगा। अन्यथा, उन्हें जबरन बेदखल किया जा सकता है।