1968 में भारतीय वायुसेना का AN-12 विमान लापता हो गया था और अब 56 साल बाद भारतीय सेना को इसके मलबे के साथ 4 शव मिले हैं। एक सैन्य ऑपरेशन दल ने बर्फ से ढके पहाड़ों से ये शव बरामद किए हैं। यह ऑपरेशन ‘चंद्र भागा’ नाम के एक बड़े ऑपरेशन का हिस्सा था। विमान जम्मू-कश्मीर से उड़ान भरने के बाद खराब मौसम का सामना कर रहा था और उसी दौरान लापता हो गया था। इसके बाद कई सालों तक विमान के मलबे या उसमें सवार लोगों का पता नहीं चल सका।
1968 में हुआ हादसा
7 फरवरी, 1968 को भारतीय वायुसेना का AN-12 विमान चंडीगढ़ से लेह के लिए नियमित मिशन पर था। विमान ने जम्मू-कश्मीर से उड़ान भरी और कुछ ही देर बाद लद्दाख की ऊंचाइयों के पास संपर्क टूट गया। विमान में वायुसेना के कर्मियों और चालक दल सहित 102 लोग सवार थे। विमान अचानक खराब मौसम में फंस गया और उसके बाद उसका पता नहीं चल पाया।
विमान की खोज
घटना के बाद भारतीय सेना और वायुसेना ने तुरंत खोज और बचाव अभियान चलाया, लेकिन खराब मौसम, ऊंचे पहाड़ और दुर्गम इलाके के कारण विमान का कोई सुराग नहीं मिल सका। इसके बाद भी कई प्रयास किए गए, लेकिन विमान का मलबा और उसमें सवार लोग कभी नहीं मिले। करीब 30 साल बाद 1997 में भारतीय सेना को हिमालय की ऊंचाई वाले इलाकों में विमान का मलबा और कुछ मानव अवशेष मिले। लेकिन उस समय भी सभी शव और विमान के सभी हिस्से नहीं मिल पाए थे।
लंबे समय से चल रहा था सर्च ऑपरेशन
2003 में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने विमान का मलबा खोजा था। इसके बाद सेना खासकर डोगरा स्काउट्स ने कई ऑपरेशन चलाए। 2005, 2006, 2013 और 2019 में चलाए गए सर्च ऑपरेशन में डोगरा स्काउट्स सबसे आगे रही। 2019 तक सिर्फ पांच शव बरामद हुए थे।
2024 में मिले 4 शव
2024 में, 56 साल बाद, भारतीय सेना के पर्वतीय अभियानों में शामिल दल को लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्र में हिमाच्छादित मलबे में 4 शव मिले। यह शव भारतीय वायुसेना के उस AN-12 विमान के सवार लोगों के हैं, जो 1968 में लापता हो गए थे। यह खोज हिमालय के दुर्गम और बर्फीले क्षेत्रों में की गई, जहाँ मौसम की अत्यधिक कठिनाइयों के कारण पहले कभी पूरी तरह से तलाशी नहीं ली जा सकी थी।
तीन जवानों की पहचान हुई
इस बार मिले चार शवों में से तीन शव सही सलामत मिले जबकि चौथे के अवशेष मिले। तीनों जवानों की पहचान उनके पास मिले दस्तावेजों से हुई। ये जवान हैं सिपाही नारायण सिंह (एएमसी), मलखान सिंह (पायनियर कोर) और थॉमस चेरियन (सीईएमई)।
डोगरा स्काउट्स ने किया ऑपरेशन का संचालन
एक अधिकारी ने बताया, ‘शव के साथ मिले दस्तावेजों से चौथे व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकी, लेकिन उसके परिजनों का पता लगा लिया गया है। चंद्रभागा ऑपरेशन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सेना अपने जवानों के परिवारों को सांत्वना देने के लिए कितनी दृढ़ संकल्पित है। उच्च ऊंचाई वाले ऑपरेशनों में अपनी विशेषज्ञता के लिए मशहूर डोगरा स्काउट्स ने इस ऑपरेशन का नेतृत्व किया है। इन शवों की बरामदगी से उन परिवारों को राहत मिली है, जो दशकों से इंतजार कर रहे थे। अन्य यात्रियों के अवशेषों की तलाश जारी है। यह ऑपरेशन 10 अक्टूबर तक जारी रहेगा।‘