उत्तर प्रदेश के बागपत के कोताना गांव में पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के परिवार के नाम दर्ज शत्रु संपत्ति की नीलामी की जाएगी। जानकारी के मुताबिक बागपत के कोताना गांव में स्थित 13 बीघा जमीन की नीलामी के लिए प्रशासन ने ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है। 5 सितंबर तक संपत्ति को नीलाम कर उसे खरीदने वाले मालिक के नाम दर्ज कर दिया जाएगा। इस मामले को लेकर प्रशासन का कहना है कि शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज करीब दो हेक्टेयर जमीन कोताना के नूरू की है, जो साल 1965 में पाकिस्तान चले गए थे।
बंटवारे से पहले बागपत रहता था पूर्व राष्ट्रपति का परिवार
ग्रामीणों के अनुसार, बागपत के कोताना गांव में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का परिवार रहता था। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था। लेकिन परिवार की जमीन और हवेली यहीं रह गई। यह संपत्ति शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज थी। अब बागपत प्रशासन ने शत्रु संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसकी नीलामी प्रक्रिया 5 सितंबर तक फाइनल कर दी जाएगी। बता दें कि परवेज मुशर्रफ का निधन 5 फरवरी 2023 को हुआ था।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कोताना गांव परवेज मुशर्रफ की मां बेगम जरीन और पिता मुशर्रफुद्दीन का घर था। कोताना में ही दोनों ने शादी की। इसके बाद वे 1943 में दिल्ली चले गए और वहीं बस गए। दिल्ली परवेज मुशर्रफ और उनके भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ का जन्मस्थान है। 1947 के बंटवारे के दौरान उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था।
उनके परिवार की हवेली और खेती की जमीन दिल्ली के अलावा कोताना में भी है। परवेज मुशर्रफ के भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ और उनके परिवार की 13 बीघा से ज्यादा कृषि भूमि को उनकी जमीन बेचे जाने पर बख्श दिया गया। इसके अलावा कोताना की संपत्ति उनके चचेरे भाई हुमायूं के नाम पर दर्ज है। पंद्रह साल पहले डॉ. जावेद मुशर्रफ, परवेज के भाई और परिवार के अन्य सदस्यों की जमीन को शत्रु संपत्ति के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
क्या है शत्रु संपत्ति?
भारतीय संसद ने 1968 के शत्रु संपत्ति अधिनियम को मंजूरी दी। इसमें कहा गया है कि भारत सरकार के पास शत्रु संपत्ति पर स्वामित्व अधिकार होगा। पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध के बाद, 1968 में शत्रु संपत्ति (संरक्षण और पंजीकरण) अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम ने 1965 और 1971 के संघर्षों के बाद पाकिस्तान भाग गए या वहां की नागरिकता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की सभी अचल संपत्ति को “शत्रु संपत्ति” घोषित किया। इसके बाद, भारतीय निवासी जिनके पूर्वज किसी ऐसे देश के नागरिक थे जिसे “शत्रु” माना जाता था, उन्हें पहली बार उनकी संपत्ति के आधार पर इस तरह वर्गीकृत किया गया। यह कानून केवल उनकी संपत्ति को संबोधित करता है; उनकी भारतीय नागरिकता अप्रभावित है।
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