Former ED officer Niranjan Singh News: प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पूर्व उप निदेशक निरंजन सिंह ने रिटायरमेंट के बाद कई बड़े खुलासे किए हैं। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखकर दावा किया है कि उन्हें कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच से हटा दिया गया। साथ ही, उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जांच की मांग भी की है। उनके इस पत्र ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है।
65 पन्नों के पत्र में किए गंभीर आरोप- Former ED officer Niranjan Singh News
‘द ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, सिंह ने 65 पन्नों के पत्र में बताया कि उन्हें कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच जारी रखने से रोका गया और कई मामलों को उनसे लेकर अन्य कार्यालयों को ट्रांसफर कर दिया गया। उनका दावा है कि ये सभी कदम ‘बड़ी मछलियों’ को बचाने के लिए उठाए गए थे।
किन मामलों से हटाया गया?
निरंजन सिंह के पत्र के अनुसार, उन्हें जिन मामलों की जांच से हटाया गया, उनमें शामिल हैं:
- इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह मामला
- एआईजी राजजीत सिंह केस
- अवैध शराब घोटाला
- सिंचाई घोटाला, जिसमें 3 IAS अधिकारी और कई राजनेता शामिल थे
उनका आरोप है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने जानबूझकर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, ताकि आरोपियों को बचाया जा सके।
कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जांच पर दबाव
सिंह ने पत्र में यह भी लिखा कि 2020 के अवैध शराब मामले में कम से कम 10 कांग्रेस विधायक, एक मंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री के करीबी लोग शामिल थे। उनके अनुसार, इस केस को नई दिल्ली कार्यालय में ट्रांसफर कर दिया गया, ताकि जांच प्रभावित हो सके।
उन्होंने बताया कि 28 अगस्त को जालंधर कार्यालय में उन्होंने ECIR क्रमांक 33 दर्ज कराई थी, जिसमें अवैध शराब माफिया की गतिविधियों का खुलासा किया गया था।
जगदीश भोला ड्रग केस में विक्रम मजीठिया से पूछताछ का मामला
निरंजन सिंह ने आरोप लगाया कि 2014 में ड्रग तस्करी के आरोपी विक्रम मजीठिया को पूछताछ के लिए बुलाने पर वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच में हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा कि जब मजीठिया से पूछताछ हो रही थी, तो दिल्ली से एक वरिष्ठ अधिकारी भी वहां मौजूद थे। इसके बाद उनका ट्रांसफर कोलकाता कर दिया गया।
न्याय की लड़ाई जारी रहेगी
सिंह ने पत्र में लिखा कि वह पहले भी वित्त मंत्रालय को कई बार पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने अक्तूबर 2023, अक्तूबर 2024 और 31 जनवरी 2025 को भी अपनी शिकायतें दर्ज कराई थीं।
अब उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अगर मंत्रालय इस मामले की जांच नहीं करता है, तो वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रुख करेंगे।
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