कोरोना वैक्सीन का भयंकर साया देश पर छाया हुआ है। इस वक्त देश कोरोना की प्रचंड लहर का सामना कर रहा है। दिन पर दिन हालात बद से बदतर होते चले जा रहे हैं। रिकॉर्ड स्पीड से बढ़ रहे केस के बीच कहीं पर अस्पताल में बेड कम पड़ रह हैं, तो कहीं वेंटिलेटर्स और ऑक्सीजन की कमी हो रही है। श्मशान घाटों में लाशों के ढेर लगे हैं।
देश इस स्थिति से कब बाहर निकलेगा? कब तक कोरोना की ये लहर काबू में आएगी? इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन कोरोना से लड़ने का एक मजबूत हथियार वैक्सीनेशन हमारे पास मौजूद है। बढ़ते कोरोना केस के बीच वैक्सीनेशन को बढ़ाना देने पर जोर दिया जा रहा है। कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगा दी जाए। इस वजह से केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए विदेश में बने टीकों की राह खोल दी। तो ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन सी विदेशी वैक्सीन भारत आ सकती है और उनकी कीमत क्या होगी
सरकार ने बदले क्या नियम?
अब अगर किसी वैक्सीन को विदेशी रेगुलेटर की मंजूरी मिली होगी, तो वो भारत में भी आ सकेगी। हां, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी तय की गई है, जिनको फॉलो करना जरूरी होगा। वो वैक्सीन जिनको विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) या फिर कुछ चुनिंदा देशों जैसे अमेरिका, यूरोप, यूके, जापान के रेगुलेटर्स से अप्रूवल मिलेगा, केवल उनका ही भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल हो पाएगा। इसके अलावा किसी भी विदेशी टीके के पहले 100 लाभार्थियों पर 7 दिन तक नजर रखी जाएगी। जिसके बाद ही बाकी आबादी पर उसके इस्तेमाल की मंजूरी मिलेगी।
वैक्सीन को अप्रूवल मिलने के बाद भी भारत की आबादी पर उसका क्लिनिकल ट्रायल चलेगा। साथ में टीके की क्या कीमत होगी और कैसे इसकी सप्लाई होगी, इसको लेकर सरकार वैक्सीन निर्माताओं से बात करेगी।
कौन-सी विदेशी वैक्सीन भारत आ सकती है?
देश में अभी केवल वहीं वैक्सीन उपलब्ध है, जिनका भारत में ही निर्माण हो रहा है। इसमें भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड शामिल है। इसके अलावा हाल ही में रूस की कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी को भी सरकार ने मंजूरी दी है।
इसके अलावा अमेरिकी दवा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने अपनी वैक्सीन की ट्रायल्स को लेकर भारत सरकार से बात की है। केंद्र द्वारा नियम बदले जाने के बाद बातचीत की इस प्रक्रिया में तेजी आ सकती है। हालांकि जॉनसन एंड जॉनसन की जो वैक्सीन लगाई जा रही है, उसमें कुछ दिक्कतों के भी मामले सामने आ रहे हैं। दरअसल, कुछ ऐसे केस मिले, जिनमें वैक्सीन लगाने के बाद खूब के थक्के जमने लगे। हालांकि WHO 12 मार्च को ही इस वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे चुका है। भारत में इस वैक्सीन का ट्रायल करना होगा। अगर उसमें ये सफल हो जाती है, तो इसे यहां इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है।
इसके अलावा भारत सरकार के द्वारा जो फैसला लिया गया, उसके बाद फाइजर दवा कंपनी भी अपनी वैक्सीन के भारत में अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के अप्रूवल के लिए दोबारा अप्लाई कर सकती है। वहीं इसके अलावा सरकार के इस फैसले से अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना को भी फायदा मिल सकता है। वो भी अपनी वैक्सीन को भारत ला सकती है। लिस्ट में अमेरिकी वैक्सीन कंपनी नोवावैक्स का भी नाम शामिल है। वो भारत में अपनी वैक्सीन के लिए अप्लाई कर सकती है। इसका उत्पादन भी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ही करेगी।
इन वैक्सीन की क्या हो सकती है कीमत?
अब बात कर लेते हैं विदेशी वैक्सीन की कीमत की। भारत में जो दो वैक्सीन लग रही है, कोविशील्ड और कोवैक्सीन उनकी कीमत प्राइवेट अस्पताल में तो 250 रुपये है, जबकि गर्वमेंट अस्पतालों में वैक्सीन मुफ्त में लगाई जा रही है। भारत में विदेश की कोरोना वैक्सीन की कीमत क्या है, इसको लेकर अभी कुछ तय नहीं।
हालांकि खबरों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने जनवरी महीने में कहा था कि फाइजर की एक डोज की कीमत 1431 रुपये हो सकती है। ये कीमत बिना टैक्स की बताई गई थी। वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन 2348 से 2715 रुपए प्रति डोज मिल सकती है। इसके अलावा चीनी कंपनी साइनोफॉर्म की वैक्सीन 5650 रुपए और साइनोवैक की वैक्सीन 1027 रुपए में मिल सकती है। बात रूस की वैक्सीन स्पुतनिक-V की करें तो इसकी कीमत 734 रुपए हो सकती है। साथ में अमेरिका की जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन की कीमत 734 रुपए हो सकती है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये कीमतें जनवरी में जारी की थीं। अब क्या इनकी कीमत होगी, इसके बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं।