‘जब देश का राजा अनपढ़ हो…उसके पास कोई डिग्री न हो…जो बिना देखे कुछ बोल नहीं पाता हो…जिसकी पूरी बुनियाद ही झूठ पर टिकी हो…वो भला कैसे चाहेगा कि उसके ‘साम्राज्य’ में रहने वाले लोग शिक्षित हों, पढ़ें लिखें, काबिल बनें और उससे सवाल कर सकें’, मेरे एक मित्र ने देश में लगातार हो रही पेपर लीक की घटनाओं पर यह तर्क दिया और मैं भी काफी हद तक इससे सहमत दिखा. देश में पेपर लीक की समस्या मगरमच्छ के 4 पेटों में से 1 पेट में फैला ऐसा विकट रोग है, जिसे आप मगरमच्छ के मुंह में हाथ डालकर तो बिल्कुल भी ठीक नहीं कर सकते. यह एक ऐसा कोढ़ हो है, जिसका दूर दूर तक कोई भी ईलाज किसी के पास नहीं दिखता.
हर छोटे बड़े मसलों पर ट्वीट-ट्वीट खेलने वाले हमारे ‘प्रधानसेवक’ की ओर से ऐसे मामलों पर कभी भी कोई टिप्पणी नहीं की जाती. हालांकि, पढ़ाई-लिखाई जैसे मसलों पर उनसे टिप्पणी की उम्मीद करना भी ‘पाप’ के समान ही है! हमारे शिक्षा मंत्री ऐसे मामलों पर क्या बोलते हैं, कई बार उन्हें खुद भी नहीं पता होता. इसे नकारापन कहें, सत्ता के नशे में अंधा होना कहें या फिर हर मामले की लीपा-पोती करना कहें, समझ नहीं आता! एक तो देश भयंकर बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है, लाखों सरकारी पद खाली होने के बावजूद गिनी चुनी भर्तियां निकलती हैं और उसके भी पेपर लीक हो जाते हैं.
फिर मामले की जांच की बात कही जाती है और समय ऐसे ही बीतता चला जाता है. कितने लोगों की उम्र निकल जाती है, कितने लोग दोबारा पेपर देने में सक्षम नहीं हो पाते वहीं, कितने लोग सुसाइड कर लेते हैं. प्रधानसेवक की टोली कहती है कि ‘देखो, हमारी सरकार ने कार्रवाई कर दी, इस जगह पर तो बुलडोजर भी चल गया…पेपर लीक करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा…’ इन्हीं बातों को दोहराते हुए भक्तों की टोली ताली थाली पीटते हुए वाहवाही करने लगती है और मूल मामला फिर से दब जाता है.
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कथित तौर पर अब तक की सबसे बेहतरीन सरकार के कार्यकाल के दौरान इतने बार पेपर लीक के मामले सामने आ चुके हैं कि उसे उंगलियों पर नहीं गिना जा सकता. लेकिन क्या मजाल कि हमारे प्रधानसेवक के मुंह से एक लफ्ज़ भी निकला हो! नहीं निकला, और निकलता भी कैसे? सारी मशीनरी अपनी है, सारे लोग अपने हैं, सब कुछ अपने कंट्रोल में है और इसके बावजूद अगर ऐसी चीजें हो रही है तो यह सत्ताधारियों के मुंह पर कालिख के समान है. ऐसे में कोई काला हो चुके अपने मुंह को दोबारा अपने ही हाथ से काला क्यों ही करेगा? यही कारण है कि हमारे प्रधानसेवक ऐसे फिजूल के मामलों पर चुप्पी साध लेते हैं!
हाल ही में NEET की परीक्षा हुई. यह भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. मेडिकल के छात्रों के लिए इसे निकालना किसी सपने से कम नहीं होता…बच्चे कई-कई साल इसकी तैयारी करते हैं और तब परीक्षा देते हैं लेकिन जैसे ही परीक्षा देकर घर आते हैं तो उन्हें पता चलता है कि किसी ‘अमीरजादे’ ने अपने किसी ‘फालतू और बिगड़ैल’ औलाद को पास कराने के लिए किसी सरकारी अधिकारी को खरीद कर उससे पेपर खरीद लिया. इस बार भी यही हुआ है. इस बार NEET की परीक्षा में करीब 24 लाख बच्चों ने भाग लिया था लेकिन इसका भी पेपर लीक हो गया. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA की ओर से यह परीक्षा आयोजित कराई गई थी, जिसके कारण अब इस सरकारी एजेंसी पर भी सवाल उठ रहे हैं.
NEET का पेपर लीक हुआ. पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया. पेपर लीक के सुबूत भी मिल गए. जला हुआ प्रश्नपत्र भी मिल गया. FIR दर्ज हो गई. लेकिन जैसे ही यह खबर सामने आई, NTA की ओर से पहले स्पष्ट रूप से पहले तो इसे नकारा गया और इसके सफलतापूर्वक संपन्न होने का दावा किया. उसके बाद सोशल मीडिया पर NTA पर सवाल उठे. फिर क्या था हमारे ‘काबिल’ शिक्षा मंत्री जी ने सामने आकर कह दिया कि NTA पर सवाल उठाया ही नहीं जा सकता! ऐसे ही दिन बीतते रहे और जब यह स्पष्ट होने लगा कि कितना भी तिकड़म लगाकर इस मामले की लीपापोती नहीं की जा सकती तो मंत्री जी ने फाइनली यह स्वीकार किया कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ी हुई है. अब इस मामले की जांच चल रही है.
5 मई को पूरे भारत में NEET का पेपर हुआ था औऱ उसी दिन सवाल उठ गए थे. इस भयंकर घटना के अभी डेढ़ महीने भी पूरे नहीं हुए थे कि NTA द्वारा आयोजित एक और बड़ी परीक्षा में पेपर लीक की घटना सामने आ गई. जी हां, 18 जून को पूरे भारत में NTA द्वारा UGC-NET की परीक्षा आयोजित कराई गई, जिसमें करीब 11 लाख से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया था. परीक्षा खत्म हुए अभी 24 घंटे भी नहीं हुए थे कि इसमें भी पेपर लीक की घटना सामने आ गई और 19 जून की रात को मिनिस्ट्री और एजुकेशन ने परीक्षा में गड़बड़ी को स्वीकार करते हुए परीक्षा ही कैंसिल कर दिया.
Government is committed to ensure the sanctity of examinations and protect the interest of students.
Ministry of Education has decided that the UGC-NET June 2024 Examination be cancelled on the basis of inputs from Indian Cyber Crime Coordination Centre (I4C) under the Ministry…
— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) June 19, 2024
अब जरा सोचिए, हमारी और आपकी सरकार हमारे और आपके भविष्य को संवारने को लेकर कितनी सजग है, कितनी एक्टिव है. 2 महीने में 2 बार देश की सबसे टॉप परीक्षाओं के पेपर लीक हो जा रहे हैं और हमारा प्रधानसेवक एक ट्वीट तक नहीं करता. हमारा शिक्षा मंत्रालय ट्वीट कर कार्रवाई का आश्वासन देता है और मामले से पल्ला झाड़ लेता है! NTA पर कोई कार्रवाई नहीं होती, संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती, आरोपियों पर एक्शन तक नहीं लिया जाता, सबके सब मुंह में दही जमा कर बैठे हैं, किसी को कोई फिक्र नहीं है! अभी तक किसी भी अधिकारी को हटाने की खबरें भी सामने नहीं आई हैं.
सोशल मीडिया से लेकर जमीन तक, लोगों की शांति देख कर तो यही प्रतीत होता है कि देश के नौजवानों ने भी यही सोच लिया है कि ‘कोई बात नहीं, पेपर ही तो लीक हुआ है..दोबारा दे देंगे!’ अगर आप भी ऐसा ही सोच रखते हैं तो पहली बात यह है कि आप अपने आप को मृत घोषित कर चुके हैं. आपकी आत्मा मर चुकी है. आपकी नैतिकता मर चुकी है. आप सत्ता की गोद में बैठकर भांगड़ा कर रहे हैं. अगर कोई कहे कि हम जितनी बार पेपर देंगे निकाल लेंगे तो उससे बड़ा बेवकूफ कोई नहीं है. तमाम यूपीएससी कोच भी ये दावा करते हैं कि एक बार यूपीएससी निकालने वाला बच्चा दोबारा भी यूपीएससी निकाल ले, इसकी संभावना न के बराबर होती है. UPSC, NET, NEET या सरकार के अंतर्गत होने वाली कोई भी परीक्षाएं आसान नहीं होती. लोगों की उम्र निकल जाती है लेकिन वे पेपर नहीं निकाल पाते और उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल पाती.
देश का मध्यम वर्ग जो खुद को पहले ही सत्ता के चरणों में समर्पित कर चुका है, उनके बच्चे भी सरकारी नौकरियों की तैयारी में सालों निकाल देते हैं और जब परीक्षा देते हैं तो पेपर लीक हो जाता है. इसके बावजूद लोगों के कानों पर जूं नहीं रेंगती. आज भी इस मामले का विरोध करते हुए सड़कों पर आपको ज्यादा लोग नहीं दिखेंगे! ऐसा लगता है कि भारत अपना संघर्ष भूल चुका है. भारत के लोग अपना संघर्ष भूल चुके हैं. लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ना नहीं चाहते, अपने हक की आवाज उठाना ही नहीं चाहते. सिर्फ NET और NEET को ही ले लिया जाए तो करीब 35 लाख से ज्यादा बच्चे मंझधार में फंसे हुए हैं. हालांकि, विपक्षी पार्टियों की ओर से इसे लेकर सरकार से लगातार प्रश्न पूछे जा रहे हैं लेकिन निश्चिंत रहिए, हमारे प्रधानसेवक अभी भी चुप हैं! आगे भी पेपर लीक होगा तो वो चुप ही रहेंगे, इसकी पूरी गारंटी है!
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