Noida Farmer March live updates: किसान संगठनों ने एक बार फिर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भारतीय किसान परिषद (BKP) और कई अन्य किसान संगठन 2 दिसंबर से दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। उनकी प्रमुख मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, कृषि ऋण माफी, पेंशन और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय शामिल हैं। यह विरोध प्रदर्शन सरकारी नीतियों और 2020-21 के विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप किसानों की बढ़ती चिंताओं को उजागर करता है।
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नोएडा से शुरू हुआ मार्च- Noida Farmer March live updates
बीकेपी नेता सुखबीर खलीफा (BKP leader Sukhbir Khalifa) के नेतृत्व में, यह मार्च 2 दिसंबर को नोएडा के महामाया फ्लाईओवर से शुरू हुआ। खलीफा ने कहा, “हमारे पास अब खोने के लिए कुछ नहीं है। हम अपने अधिकारों और न्याय के लिए दिल्ली कूच करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। दोपहर तक हम दिल्ली पहुंच जाएंगे और नए कानूनों के तहत उचित मुआवजे और लाभ की मांग करेंगे।”
#WATCH | Noida, Uttar Pradesh: Massive traffic snarl at DND flyway as farmers from Uttar Pradesh are on a march towards Delhi starting today. pic.twitter.com/HPVgEiRQUV
— ANI (@ANI) December 2, 2024
अन्य संगठनों की भागीदारी
किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम-गैर-राजनीतिक) समेत कई संगठन 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करेंगे। इसके अलावा केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों में किसान यूनियनें प्रतीकात्मक मार्च निकालेंगी। पंजाब और हरियाणा सीमा पर डेरा डाले किसान भी इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा होंगे। किसान मजदूर संघर्ष समिति (KMSC) के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि उनके संगठन के किसान भी दिल्ली मार्च में शामिल होंगे।
मार्च का रूट
दिल्ली की ओर कूच करने वाले किसानों का मार्च महामाया फ्लाईओवर (नोएडा) से शुरू होगा (Protest against Agricultural Laws)। पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले किसान 6 दिसंबर को आंदोलन में शामिल होंगे। किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सुरिंदर सिंह चौटाला, सुरजीत सिंह फूल और बलजिंदर सिंह के नेतृत्व में किसानों का पहला जत्था दिल्ली की ओर कूच करेगा। हरियाणा में अंबाला, मोहरा अनाज मंडी, खानपुर जट्टान और पिपली इस मार्ग पर मुख्य पड़ाव होंगे। किसान सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक मार्च करेंगे और रात में सड़क पर आराम करेंगे।
किसानों की सात प्रमुख मांगें
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी
- कृषि ऋण माफी
- किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन
- पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज पुलिस मामलों को वापस लिया जाए
- लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली
- विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा
सरकार के साथ बातचीत में गतिरोध
केंद्र सरकार ने फरवरी में किसानों को दालों, मक्का और कपास जैसी फसलों पर MSP के तहत पांच साल तक खरीद की पेशकश की थी, जिसे किसान संगठनों ने खारिज कर दिया था। किसान नेताओं का कहना है कि MSP की उनकी कानूनी गारंटी और अन्य मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। केएमएससी के महासचिव पंधेर ने कहा, “सरकार ने हमारे साथ बातचीत बंद कर दी है। हम अनुबंध खेती को स्वीकार नहीं करेंगे।”
दिल्ली पर सबकी निगाहें
जैसे-जैसे यह आंदोलन (Delhi farmers’ movement) जोर पकड़ रहा है, सबकी निगाहें दिल्ली पर टिकी हैं। सरकार पर इन मांगों को हल करने का दबाव है। किसानों का यह विरोध एक बार फिर उनकी ताकत और संकल्प का प्रदर्शन कर रहा है। वहीं, इस आंदोलन का असर न केवल कृषि क्षेत्र पर बल्कि पूरे देश की राजनीति और नीतिगत फैसलों पर भी पड़ने की संभावना है।
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