दिल्ली की बॉर्डरों पर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को लगभग साढ़ें तीन महीनें से ज्यादा हो गए। किसान नेताओं की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि जब तक केंद्र सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती, वे वापस नहीं लौटेंगे।
खबरों के मुताबिक अभी तक आंदोलन में करीब 300 लोगों के मौत की खबर भी सामने आई है। किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से देश के कई राज्यों में में महापंचायत का आयोजन कराया जा रहा है। हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान के बाद अब इस आंदोलन की गूंज पश्चिम बंगाल में भी सुनाई देने वाली है।
किसान संगठनों ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। संगठन के नेता बंगाल पहुंच चुके हैं, जो बंगाल के किसानों को बीजेपी को वोट ने देने के लिए समझा रहे हैं। किसानों का प्लान है कि बीजेपी का बहिष्कार करके सरकार का दंभ तोड़ा जाए। इस आंदोलन का केंद्र बन चुके किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) आज कोलकाता और नंदीग्राम में किसान रैली करेंगे।
‘बीजेपी का बहिष्कार करें किसान’
बीते दिन शुक्रवार को किसान नेताओं ने कोलकाता में प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कोलकाता के किसानों को संदेश दिया कि वे बीजेपी का बहिष्कार करें, उसे वोट न दें। बंगाल विधानसभा चुनावों को देखते हुए 294 किसान दूतों ने 294 विधानसभा क्षेत्रों के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी है।
रंगारंग जुलूस के साथ ये किसान दूत पूरे बंगाल में ट्रैक्टर से यात्रा करेंगे। दूसरी ओर आज भारतीय किसान यूनियन के नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) कोलकाता में किसान रैली करेंगे और नंदीग्राम महापंचायत में बीजेपी के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे।
नंदीग्राम में ममता VS सुवेंदु
नंदीग्राम विधानसभा सीट (Nandigram Seat) इस चुनाव में काफी चर्चे में है। क्योंकि प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके पूर्व सहयोगी सुवेंदु अधिकारी इस सीट पर आमने-सामने है। पश्चिम बंगाल 2021 में बीजेपी ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी को कड़ी टक्कर देने का दावा कर रही है। सुवेंदु अधिकारी भी इस सीट से ममता बनर्जी को मात देने की बात कह चुके हैं। इसी बीच नंदीग्राम में बीजेपी के विरोध में राकेश टिकैत की किसान रैली भी एक बड़ा अंतर पैदा कर सकती है।
MSP पर कानून बनाने की मांग कर रहे किसान
बता दें, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कानून के विरोध में किसान काफी लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच 11 दौरे की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक किसी भी तरह का समाधान निकल कर सामने नहीं आया है। किसान लगातार इन कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, सरकार की ओर से स्पष्ट रुप से कहा गया है कि कानून में संशोधन हो सकता है लेकिन कानून रद्द नहीं होगा।