केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 6 महीनें से आंदोलन हो रहे हैं। दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। अभी तक करीब 500 किसानों के मौत की खबर सामने आई है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आंदोलन जारी है।
किसान नेता और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच जनवरी के बाद आधिकारिक तौर पर अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है। इसी बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की है कि 26 जून को किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर किसान देश भर में राजभवन का घेराव करेंगे और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे।
‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’
संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि राजभवन का घेराव, ‘तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनके विरोध के सात महीने पूरे होने का प्रतीक होगा। किसान 26 जून को राज्यों में राज्यपालों के आधिकारिक आवास के बाहर प्रदर्शन करेंगे और काले झंडे दिखाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा हर राज्य के राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजेगा।‘
संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता इंद्रजीत सिंह का कहना है कि इस दिन को ‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस’ के रुप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम राजभवनों में काले झंडे दिखाएंगे। प्रत्येक राज्य के राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन देकर विरोध करेंगे, जो कि राष्ट्रपति के प्रतिनिधि हैं।‘
उन्होंने कहा, ‘यह (26 जून) वह दिन भी है जब 1975 में आपातकाल घोषित किया गया था। और हमारे विरोध के सात महीने भी पूरे हो रहे हैं। तानाशाही के इस माहौल में खेती के साथ-साथ लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर भी हमला किया गया है। यह एक अघोषित आपातकाल है।‘
MSP पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं किसान
बता दें, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और केंद्र सरकार से नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसान मोदी सरकार से लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने की मांग करते आ रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि नए कृषि कानूनों के लागू होने से उन्हें बड़े कॉरपोरेट्स की दया पर छोड़ दिया जाएगा और एमएसपी शासन समाप्त हो जाएगा।