केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन नवंबर 2020 से ही चल रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में भी किसानों ने आंदोलन जारी रखा। केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच आखिरी बार बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। उसके बाद अभी तक दोनों पक्षों के बीच किसी भी तरह की कोई बातचीत नहीं हुई है।
किसान कानून रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। इसी बीच किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तीन कृषि कानूनों पर बातचीत फिर से शुरु करने का आग्रह किया है।
पत्र में सरकार के अहंकारी रवैये का जिक्र
बीते दिन शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम मोदी को पत्र लिखा। संगठन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ‘संयुक्त किसान मोर्चा ने आज प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने को कहा है। इस पत्र में किसान आंदोलन के कई पहलुओं और सरकार के अहंकारी रवैये का जिक्र है।‘
संगठन की ओर से कहा गया कि प्रदर्शनकारी किसान नहीं चाहते हैं कि कोई भी महामारी की चपेट में आए। साथ में वे संघर्ष को भी नहीं छोड़ सकते हैं, क्योंकि यह जीवन और मृत्यु का मामला है और आने वाली पीढ़ियों का भी।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया के रुप में…
पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा गया कि ‘कोई भी लोकतांत्रिक सरकार उन तीन कानूनों को निरस्त कर देती, जिन्हें किसानों ने खारिज कर दिया है, जिनके नाम पर ये बनाए गए हैं और मौके का इस्तेमाल सभी किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने के लिए करती…दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के मुखिया के रूप में, किसानों के साथ एक गंभीर और ईमानदार बातचीत को फिर से शुरू करने की जिम्मेदारी आप पर है।‘
26 मई को काला दिवस के रुप में मनाएंगे किसान
बता दें, किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर पिछसे साल नवंबर 2020 से ही आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसान नेताओं के बीच कई दौरे की बातचीत हो चुकी है लेकिन नतीजा अभी तक सामने नहीं आया है। जनवरी 2020 के बाद से अभी तक दोनों पक्षों के बीच अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई बातचीत नहीं हुई है। किसान केंद्र सरकार से इन कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में यह आंदोलन इतने दिनों से चल रहा है। इसमें 40 किसान संघ शामिल है। 26 मई को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने वाले हैं। किसान संगठनों ने इस दिन को काला दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की है।