किसान आंदोलन को आज 100 के दिन पूरे हो चुके हैं। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून के विरोध में पिछले साल नवंबर महीने से किसानों ने अपना ये आंदोलन शुरू किया था, जो अभी भी जारी हैं। किसानों ने ना तो कोरोना काल की परवाह की, ना ही दिल्ली की सर्दी की और अब वो भीषण गर्मी में भी अपने आंदोलन को जारी रखने की पूरी तैयारी में हैं।
गर्मी के लिए तैयारियां जारी
किसानों का यही कहना है कि जब तक उनकी मांगे सरकार मान नहीं लेती, वो पीछे नहीं हटेंगे। वहीं अब दिल्ली में तापमान बढ़ने लगा है और आगे हालात और ज्यादा खराब होंगे। जिसके चलते अब किसानों ने भीषण गर्मी का सामना करने की भी पूरी प्लानिंग कर ली हैं। गर्मी से बचने के लिए किसान पंखे, कूलर, एसी, फ्रिज आदि चीजों की व्यवस्थ की जा रही है। साथ में टेंट भी पक्के कर रहे है। इसके अलावा मच्छरदानी और आरओ के इंतेजाम हो रहे हैं।
किसानों की ये तैयारी तो देखकर साफ तौर पर पता चलता है कि वो अभी अपना आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं। कंपकपाने वाली ठंड का सामना करने के बाद अब किसान भीषण गर्मी से निपटने की भी तैयार में है। जिसका मतलब ये है कि बदलते मौसम के साथ भी किसानों की सरकार के साथ ये तकरार जारी रहेगी।
किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे
गौरतलब है कि नए कृषि कानून के विरोध में नवंबर के अंत में किसानों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोला था। आज किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे हो गए हैं। कभी चक्का जाम कर, कभी ट्रैक्टर रैली निकाल, कभी रेल रोककर किसानों ने सरकार पर दबाव बनाने की काफी कोशिश की, लेकिन अब तक तो सरकार भी अपनी बातों पर अड़ी हुई है।
इस पूरे विवाद को सुलझाने के लिए सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन समाधान नहीं निकला। किसानों की मांग है कि नए कृषि कानून को वापस लेने के साथ सरकार MSP पर भी लिखित गारंटी दें। ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुलझाने के लिए एक कमेटी बनाई और साथ में कृषि कानून पर कुछ समय के लिए रोक दी।
वहीं इन 100 दिनों के संघर्ष के बीच किसान आंदोलन का नाम तब खराब हुआ था, जब गणतंत्र दिवस के दिन हुई ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा भड़क गई। 26 जनवरी को किसानों ने अपने आंदोलन को धार देने के लिए दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया। इस रैली के दौरान देश की राजधानी दिल्ली में कई जगहों पर हिंसा हुईं।
इसके बाद किसान आंदोलन की काफी बदनामी भी हुई। एक वक्त ऐसा लग रहा था कि अब ये आंदोलन अब खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत के आंसूओं ने उस दौरान सारी बाजी पलटकर रख दी थीं। इसके बाद किसानों ने अपने आंदोलन को दोबारा से तेज करने के लिए चक्का जाम और रेल रोको अभियान चलाया। वहीं अभी भी तमाम किसान यही बात कहते हैं कि मांगे पूरी नहीं होने तक ये आंदोलन जारी रहेगा। राकेश टिकैत तो ये भी ऐलान कर चुके हैं कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो देशभर में 40 लाख ट्रैक्टर के साथ संसद कूच करेंगे।