एक साल के लंबे संघर्ष के बाद किसानों को अपने आंदोलन में सफलता तो मिल गई। किसानों के इस संघर्ष ने केंद्र सरकार को अपने आगे झुकने को मजबूर कर दिया और तीनों कृषि कानून को सरकार ने वापस ले लिया। 19 नवंबर को गुरु पर्व के दिन पीएम मोदी देश की जनता के सामने आए और उन्होंने इन कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। इसे किसानों की एक बहुत बड़ी जीत माना गया। क्योंकि बीते एक साल से किसान इन कानूनों को वापस लेने के लिए ही आंदोलन कर रहे थे। उन्होंने कंडकंडाती ठंड, कोरोना महामारी, बारिश हर चीज का सामना किया। इस दौरान वो अपनी मांगों को लेकर डटे रहे।
किसानों की पीएम मोदी को चिट्ठी
लेकिन कानून तो भले ही वापस हो गए हो, लेकिन किसानों का आंदोलन अब तक खत्म नहीं हुआ। पीएम मोदी ने जब कानूनी वापसी का ऐलान किया था, तब किसानों से अपील की थी कि वो अपने घर वापस लौट जाएं। लेकिन किसान अभी इसकी तैयारी में नहीं दिख रहे। क्योंकि किसानों ने सरकार के सामने 6 मांगें और रखी है, जिसके बाद ही वो आंदोलन वापस लेने की बात कहते नजर आ रहे हैं।
रखी ये 6 मांगें…
दरअसल, रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर एक खत लिखा, जिसमें उन्होंने 6 प्वाइंट्स में अपनी मांगों के बारे में बताया। चिट्ठी में किसानों ने लिखा कि वो सरकार के कानून वापसी के ऐलान के फैसले को लेकर खुश हैं। इस घोषणा का हम स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपकी सरकार इस वादे को पूरा भी करेगी।
किसानों ने चिट्ठी में आगे लिखा कि प्रधानमंत्री जी, आपको अच्छे से पता है कि कानून रद्द करना ही आंदोलन की इकलौती मांग नहीं थी। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से बातचीत शुरू करने से पहले 3 और मांगे रखी थीं…
1. किसानों की पहली मांग MSP को लेकर हैं। खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP )को सभी कृषि के उपज के ऊपर किसानों का कानूनी हक बना दिया जाए। इससे किसानों को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार के द्वारा घोषित MSP पर खरीद की गारंटी हो सके।
2. किसानों ने दूसरी मांग रखी कि सरकार के प्रस्तावित ‘विद्युत अधिनियिम संशोधन विधेयक 2020/2021’ का ड्राफ्ट वापस लिया जाए। इस दौरान ये भी कहा कि बातचीत के दौरान सरकार की तरफ से ये वादा किया गया था कि वो इसे वापस लेगी, लेकिन फिर वादाखिलाफी की गई और इसको संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया।
3. तीसरी मांग ये रखी गई कि ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम 2021’ में किसानों को सजा देने के प्रावधान को हटाया जाया। चिट्ठी में लिखा गया कि सरकार ने इस साल किसान विरोधी कुछ प्रावधानों को तो हटा दिया था, लेकिन सेक्शन 15 के माध्यम से किसानों को फिर से सजा की गुंजाइश बना दी गई।
4. किसानों की चौथी मांग ये रही कि आंदोलन के दौरान दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, यूपी समेत अन्य राज्यों में हजारों किसान आंदोलन के दौरान सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया। इन सभी केसों को तत्काल वापस लिया जाए।
5. पांचवीं मांग लखीमपुर खीरी कांड को लेकर किसानों ने रखी, जिसमें उन्होंने कहा कि इस कांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी अभी तक खुले घूम रहे हैं और मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं। वो पीएम और दूसरे वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच शेयर करे रहे हैं। उनको बर्खास्त किया जाए और साथ ही गिरफ्तारी भी हो।
6. आंदोलन के दौरान 700 किसान शहादत दे चुके हैं। इन किसानों के परिवार के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। शहीद किसान स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर जमीन दी जाए।