केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की बॉर्डरों पर किसान पिछले 6 महीनें से ज्यादा वक्त से आंदोलन कर रहे हैं और इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। नवंबर 2020 से शुरु हुआ यह आंदोलन अभी भी चल रहा है और अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है।
अगले साल की शुरुआत में ही देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले किसान नेताओं को यह कहते हुए सुना जा रहा था कि वह चुनावी राज्यों में बीजेपी के विरोध में जनसभाएं करेंगे और बीजेपी को नुकसान पहुंचाएंगे।
अब किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के एक दिग्गज नेता ने कहा है कि पंजाब में 2022 में चुनाव होने वाले हैं, इसमें किसान चुनाव लड़ कर देश का पहला रोल मॉडल तैयार करें।
पंजाब में हर कोई किसानों के साथ
किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने एक वीडियो संदेश में यह बात कही। उनका बयान सामने आते ही बवाल मच गया है। अब किसान आंदोलन को लेकर तरह-तरह के सवाल भी उठने लगे हैं। किसान नेता का कहना है कि आज पंजाब में हर कोई किसानों के साथ है और लोग चाहते हैं कि किसान यूनियनें इकट्ठी होकर पंजाब का विधानसभा चुनाव लड़े और मिशन पंजाब के लिए अभी से शुरुआत करें। हमे मिशन पंजाब बनाना होगा, इसके लिए प्लान बनाना होगा।
अपने वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, पंजाब के किसान नेता चुनाव लड़े और सत्ता हाथ में ले और बदलाव करके बताएं की सरकार ऐसे चलाई जाती है। उन्होंने आगे कहा कि किसान नेता चुनाव लड़कर जीत हासिल करें और सरकार बनाएं। बीजेपी को हरवाने से मसले का हल नहीं होगा। बीजेपी सरकार से पहले भी अन्य सरकारों के दौरान किसानों की हालत खस्ता रही है। गुरुनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अब किसानों को व्यवस्था में आकर इसमें परिवर्तन करना होगा।
‘मिशन उत्तर प्रदेश नहीं, बल्कि मिशन पंजाब पर…’
इस दिग्गज किसान नेता ने आगे कहा, मैं कहना चाहता हूं कि हमें ‘मिशन उत्तर प्रदेश नहीं, बल्कि मिशन पंजाब’ चलाना चाहिए। एसकेएम (संयुक्त किसान मोर्चा) ने सितंबर में उत्तर प्रदेश में ‘महापंचायत’ और अन्य आयोजनों की योजना बनाई है जहां अगले वर्ष चुनाव होने है।
उन्होंने कहा कि ‘अब हम मिशन उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ रहे हैं। पांच सितंबर को वहां एक महापंचायत आयोजित की जाएगी, अन्य आयोजन होंगे। उसके बाद चुनाव आएंगे और हम भाजपा को हराने के लिए काम करेंगे। अगर मान लें कि भाजपा हार भी जाती है तो क्या केंद्र हमारी मांगों को मान लेगा? इसे अन्यथा मत लीजिए।‘
विपक्षी पार्टियों पर बरसे किसान नेता
गुरुनाम सिंह चढूनी ने बंगाल चुनाव में किसान नेताओं द्वारा बीजेपी के खिलाफ प्रचार को उदाहरण के तौर पर पेश किया। उन्होंने कहा, वहां बीजेपी की हार हुई लेकिन क्या केंद्र ने हमारी मांगे मान ली? किसान नेता ने विपक्षी पार्टियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि विपक्ष ने भी स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा है कि अगर वे सत्ता में आएंगे तो इन कानूनों को समाप्त किया जाएगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी वाला कानून बनाया जाएगा।