दिल्ली की हवा जहरीली होती जा रही है और ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स AQI 400 के ऊपर पहुंच गया है. दरअसल, दिल्ली-NCR के कई इलाके प्रदूषण की चपेट में हैं और चारों तरफ धुंध की चादर छाई हुई है. वहीँ इस बीच एक्सपर्ट्स ने दिल्ली की हवा कितनी खतरनाक है इस बात की जानकारी दी है.
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पराली की वजह से बढ़ रहा है प्रदूषण
जानकारी के अनुसार, सोमवार की सुबह दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) AQI स्तर 450, नोएडा का 616, गुरुग्राम का 516 के पार रहा. वहीं ये प्रदूषण पंजाब और हरियाणा में बड़ी मात्रा में पराली जलाने के कारण हो रहा है और इसी का असर पूरी दिल्ली-NCR के कई इलाकों में नजर आ रहा है.
एक्सपर्ट्स ने बताया कितनी खतरनाक है ये हवा
वहीं इस प्रदूषण को लेकर एक्सपर्ट्स ने जानकारी दी है कि इस प्रदूषण में सांस लेने का मतलब है कि आप एक दिन में कम से कम 10 सिगरेट पी रहे हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वायु प्रदूषण से ब्रोंकाइटिस का खतरा बढ़ रहा है और ये समास्या बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा हो रही है. इसी के साथ अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी और ब्रोंकाइटिस समास्या हो रही है और जिन लोगों को ये समास्या पहले हैं उनेह ज्यादा परेशानी हो सकती है.
इसी के साथ एक्सपर्ट्स ने ये भी कहा कि इस वायु प्रदूषण के कारण आंखों में सबसे ज्यादा इफेक्ट पड़ता है. आंखें लाल हो सकती है, जलन पड़ सकती है, आंखों से धुंधला दिखाई पड़ सकता है और इसके कारण सिर दर्द और थकान जैसी समस्या भी हो सकती है.
वायु प्रदूषण के कारण हो सकती है स्किन संबंधी बीमारियां
वहीं इस वायु प्रदूषण के कारण हार्ट डिजीज का जोखिम भी बढ़ जाता है, इससे हार्ट और ब्लड वेसल्स में सूजन आ सकती है. कई रिपोर्ट से पता चला है कि यह प्रदूषण स्ट्रोक और हार्ट फेल्योर का कारण भी बन सकता है.
इसी के साथ इस वायु प्रदूषण से कई प्रकार की स्किन संबंधी बीमारियां भी हो सकती है. जिसमें एग्जिमा. सोरायसिस और मुंहासे शामिल है साथ ही स्किन पर लाल या काले धब्बे भी हो सकते हैं, जिन्हें कम करने में ज्यादा समय लगता है.
हर साल होता है ऐसा प्रदूषण
आपको बता दें, दिल्ली में हर साल अक्टूबर और नवम्बर के महीने में प्रदूषण होता है. जहाँ इस प्रदूषण से निजात पाने के लिए हरा साल कि तरह फायर ब्रिगेड प्रदूषण पर काबू पाने के लिए मैदान में उतारी हो तो वहीं सड़कों पर टैंकरों के जरिये पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि धूल नीचे बैठे और एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में सुधार आ सके.
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