MCD चुनाव जीतने के बाद ऐसा बदला जा सकता है जीत का रिजल्ट
दिल्ली नगर निगम चुनाव (MCD Election) के वोटिंग की गिनती हो रही है और जल्द ही इन चुनाव का रिजल्ट भी आ जाएगा. वहीं इस बीच इन चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच इन चुनाव को जीतने के लिए रस्सा-कस्सी जारी है लेकिन आपको बता दें, कि अगर AAP इन MCD चुनाव को जीत जाती है तो उसके लिए अपना मेयर बनाने की राह आसान नही होगी.
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दलबदल से बिगड़ सकता है खेल
एमसीडी चुनाव की सभी सीटों के नतीजे आने के बाद ये बात साफ़ होगी की कौन-सी पार्टी इस पर काबिज होगा. अगर आम आदमी पार्टी बहुमत (126 सीट) से 20-25 सीटें ज्यादा पाती है तभी पुख्ता तौर पर माना जाएगा कि इस बार एमसीडी में इसी पार्टी की सरकार होगी. लेकिन अगर पार्टी बहुमत के आसपास अटकती है तो फिर एमसीडी में उसकी सरकार बनना मुश्किल हो सकता है. इसकी वजह है दलबदल कानून लागू न होना.
दलबदल कानून क्या है?
पहले चुनाव में विधायकों और सांसदों को पैसे या किसी और चीज का प्रलोभन देकर दूसरी पार्टी में शामिल कर सरकार बना दी जाती थी. कई बार ऐसा होता है कि जो पार्टी जीत रही हो और बहुमत से एक या दो कदम दूर होने पर किसी भी नेता को अपनी पार्टी में शामिल कर सरकार बना देती थी लेकिन इस पर कानून बना गया है.
ये कानून भ्रष्टाचार कम कराने की कोशिश में लाया गया और इस कानून के कई सारे नियम भी बनाए गये. वहीँ इन नियम के तहत सांसद या विधायक अपनी पार्टी की सदस्यता से खुद की मर्जी से इस्तीफा दे देता है. वहीं सांसद या विधायक पार्टी के निर्देश के खिलाफ जाकर किसी मुद्दे पर सदन में वोट करता है या वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहता है. इसी एक साथ कोई निर्दलीय सांसद या विधायक किसी पार्टी में शामिल हो जाता है और कोई सदस्य मनोनीत होने के 6 महीने बाद किसी पार्टी में शामिल हो जाता है.
पार्षदों नहीं होता ये कानून लागू
वहीं पार्षदों के ऊपर दलबदल का कानून लागू नहीं होता है. वहीं अगर बीजेपी को बहुमत तक पहुंचने में परेशानी आती है तो वो आराम से पर्दे के पीछे से पार्षदों को अपने पार्टी में शामिल कर सकती है.