एक तरफ जहां पूरा देश 5जी का जश्न मना रहा है और टेक्नोलॉजी का फायदा लिया जा रहा है, वहीं राजस्थान के संकड़ों गांव 5जी के युग में भी मोबाइल नेटवर्क के मोहताज हैं। आज भी भारत के 25 हजार से ज्यादा गांवों में मोबाइल फोन काम नहीं करते क्योंकि वहां नेटवर्क ही नहीं है। इनमें राजस्थान के गांव भी शामिल हैं। और तो और, देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए तैनात सीमा सुरक्षा बल की 98 चौकियां भी मोबाइल नेटवर्क सुविधा से वंचित हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आजादी के 77 साल बाद भी ये गांव पिछड़ेपन की बेड़ियों में क्यों बंधे हैं। अगर इन गांवों में मोबाइल नेटवर्क ही नहीं है तो हम भारत को डिजिटल इंडिया कैसे कह सकते हैं?
ऐसे में गांव में रहने वाले करे तो क्या करे और गांव में रहे तो कैसे रहे, यह सबसे बड़ा सवाल है। सरपंच से लेकर गांव के हर व्यक्ति ने प्रशासन से गांव में मोबाइल नेटवर्क मुहैया कराने की अपील की है। मगर प्रशासन कोई सुध नहीं ले रहा है। यहां तक कि अपनी सबसे बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी ग्रामीणों को कई किमी की यात्रा करनी पड़ती है।
25,067 गांवों में आज भी मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं
कुछ समय पहले निशिकांत दुबे और जसकौर मीणा, दोनों भाजपा सांसदों ने सरकार से देश के उन गांवों की जानकारी मांगी थी, जहां सेल सेवा नहीं है। केंद्रीय संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश के 5,97,618 आबादी वाले गांवों में से 25,067 में वर्तमान में मोबाइल पहुंच नहीं है। सरकार हर गांव में मोबाइल नेटवर्क लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। फिर भी कुछ राज्य ऐसे हैं, जो मोबाइल नेटवर्क में पिछड़े हुए हैं।
राजस्थान के इन गांवों में नहीं नेटवर्क की सुविधा
मोबाइल नेटवर्क के मामले में राजस्थान के 941 गांव अभी भी मोबाइल सेवा से नहीं जुड़े हैं। आंकड़ों की मानें तो अलवर, बाड़ेमर, जैसलमेर, बांसवाड़ा, उदयपुर, बीकानेर, अजमेर, पाली, जोधपुर, भरतपुर एवं धौलपुर सहित अन्य जिले शामिल हैं। इन जिलों में कई गांवों में आज तक फोन व मोबाइल सुविधाएं नहीं पहुंच पाई थी। सबसे बड़ी बात यह है कि राजस्थान में भारत-पाकिस्तान सीमा पर 98 ऐसी सीमा चौकियां हैं, जहां कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं है। जिसके चलते जवानों को सेना के लैंडलाइन से ही अपने परिवार वालों से फोन पर बात करनी पड़ती है। दूर-दूर तक मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण जवान अपने परिजनों से वीडियो कॉल पर भी बात नहीं कर पाते हैं।
मोबाइल नेटवर्क के कारण नहीं हो रही युवकों की शादी
मुख्यालय से महज 35 किलोमीटर दूर पीपाड़ गांव में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण कई लड़कों की शादी नहीं हो पाती है। लड़की के घरवाले इस बात पर बहस करते हैं कि शादी के बाद वे अपनी बेटी से फोन पर कैसे बात करेंगे।
इसके अलावा गांव में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण यहां के ग्रामीणों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्हें किसी भी योजना की जानकारी समय पर नहीं मिल पाती, जिससे वे वंचित रह जाते हैं। वहीं, गांव में इंटरनेट की कमी के कारण छात्रों और नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगार युवाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इतना सब कुछ होने के बाद भी सरकार इन गांवों पर ध्यान नहीं दे रही है। ऐसे में भारत को डिजिटल इंडिया बनने में अभी काफी समय बाकी है।
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