किसानों की फसल को आवारा जानवरों से बचाने के लिए एक उपकरण बनाया गया है और इस उपकरण की मदद से किसानों को बड़ा फायदा होगा क्योंकि अब उनकी फसल आवारा पशु नहीं खा पाएंगे. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस उपकरण से जुडी सभी जानकरी देने जा रहे हैं.
‘ग्रीन लैंड माइन अलार्म’ है उपकरण का नाम
जानकारी के अनुसार, जिस उपकरण की हम बात कर रहे हैं उसका नाम ‘ग्रीन लैंड माइन अलार्म’ है और ये उपकरण इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, गीडा गोरखपुर के कंप्यूटर साइंस द्वितीय वर्ष के छात्र अविनाश वरुण ने बनाया है. वहीं इस उपकरण को बनाने वाले छात्र अविनाश वरुण ने इस उपकरण की जानकारी देते हुए कहा है कि इस “ग्रीन लैंडमाइन” को खेतो के किनारे लगाया जा सकता है, “ग्रीन लैंड माइन” को स्टिल से बने बॉक्स मे डिज़ाइन किया गया है. इसमे एक 3.7वोल्ट की बैटरी का प्रयोग किया गया हैं, जो एक बार चार्ज करने पर 6 से 8 महीने तक काम करता है.
300 से 400 रूपये में बन जायेगा ये डिवाइस
इसी के साथ अविनाश ने ये भी बताया कि इस उपकरण मे एक स्विच सेंसर लगा है, जिस पर दबाव पड़ने पर ये एक्टिवेट हो जाता, इसमें किसान अपना मोबाइल नम्बर सेट कर सकतें है जैसे ही कोई पशु किसान के खेत मे प्रवेश करेगा खेत मे लगा ग्रीन सेंसर एक्टिव हो जायेगा और लाइट ब्लीकिंग के साथ तेज अलार्म बजने लगेगा और सेट किये गए किसान के नंबर पर कॉल भी आ जायेगा, जिससे वक्त रहते जानवरों से किसान अपनी फसल की सुरक्षा कर सकेंगे. वहीँ अविनाश ने ये भी बताया कि इस ग्रीन लैंडमाइन का वजन, तक़रीबन 200 ग्राम है. इसको बनाने मे ट्रांसमीटर, अलार्म, लाइट, स्विच, का इस्तेमाल किया गया है. इसे बनाने मे 300 से 400 रूपये का खर्च आया है.
अप्रूवल के लिए शासन को भेजा जाएगा डिवाइस
इसी के साथ संस्थान के निदेशक डॉ एन के सिंह ने बताया कि कॉलेज के इनोवेशन सेल के माध्यम से हमारे इंस्टीट्यूट के एक छात्र ने इस बार राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर पशुओं से किसानों के फसल की सुरक्षा के लिये इस उपकरण को बनाया है. जो अत्यंत ही सराहनीय है. इस अवसर पर संस्थान के पदाधिकारी सहित सभी शिक्षकों ने छात्र की इस सफलता पर बधाई और शुभकामनाएं दी है. अपने छात्र की सफलता पर एक तरफ जहां प्रबंधन बेहद खुश है, तो इंस्टिट्यूट के छात्र भी अत्यधिक उत्साहित नजर आ रहे.
वहीं इस प्रोजेक्ट को लेकर शिक्षक का कहना है कि इसे अप्रूवल के लिए शासन को भेजा जाएगा, यदि मंजूरी मिलती है तो इसे बड़े पैमाने पर तैयार किया जा सकेगा. जो किसानों के लिए भविष्य में बेहद लाभकारी साबित हो सकता है.
Also Read- जानिए कौन है मक्का के इमाम जो रखेंगे अयोध्या में मस्जिद की नींव.