कुछ साल पहले उत्तर प्रदेशवासियों के लिए आपातकाल में एकदम से एम्बुलेंस मिलना काफी मुश्किल हो जाता था, और तो और तो फ्री सेवा में मिलना तो लोगों के लिए केवल एक सपना ही था. लेकिन जब से एम्बुलेंस सेवा 108 और 102 ने इस सपने को हकीकत में बदल दिया है, तब से प्रदेश के लोगों को काफी राहत मिली है. वहीं अगर आप एम्बुलेंस सेवा 108 और 102 से अनजान है, तो आइए आपको इसके बारे में कुछ असुनी बाते बताते हैं…
पहले तो आपको जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश में 14 सितंबर 2012 को 108 एम्बुलेंस सेवा (समाजवादी स्वास्थ्य सेवा ) शुरू हुई थी, जबकि 17 जनवरी 2014 को 102 एम्बुलेंस सेवा (नेशनल एम्बुलेंस सर्विस) की शुरुआत हुई थी. प्रदेश में इनका संचालन जीवीके एमआरआई संस्था द्वारा किया जा रहा है.
क्या है 108
नंबर 108 का इस्तेमाल चिकित्सा, पुलिस और आग से सम्बंधित आपातकालीन स्थितियों में किया जाता है. ये एक निशुल्क सेवा है जो 24*7 जनहित के लिए उपलब्ध है. 108 नंबर को किसी भी फोन से डायल किया जा सकता है. ये नंबर समाज के सभी वर्ग के लिए है.
कब डायल करें 108 नंबर
- किसी भी तरह की दुर्घटना होने पर.
- तेज पेट दर्द होने पर.
- सांस में दिक्कत होने पर.
- दिल का दौरा पड़ने पर.
- जानवरों के काटने पर.
- अचानक बेहोश होने पर.
- किसी तरह के कोई अपराध होने पर.
- जब आग लगने पर फायर बिग्रेड और एम्बुलेंस की आवश्यकता हो.
- हर तरह की इमरजेंसी स्थिति में.
क्या है 102
102 तीन अंकों का एक टोल फ्री नंबर है. ये बिल्कुल फ्री है आपके इस नंबर पर कॉल करने पर पैसे नहीं लगेंगे. 102 सेवा एक निशुल्क एम्बुलेंस सेवा है, जो 24*7 लोगों की सेवा में होती है.
कब डायल करें 102
आपको बता दें कि एम्बुलेंस सेवा 102 गर्भवती महिला को घर से अस्पताल तक लाने और फिर उसे वापस घर तक छोड़ने के लिए मिलती है. इसके अलावा अच्छे इलाज के लिए गर्भवती महिला और शिशु को एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल तक छोड़ा जाता है. इस सेवा में 1 साल तक के बच्चों को किसी भी तरह की बीमारी होने पर घर से हॉस्पिटल लाने और वापस घर छोड़ा जाता है.
बेवजह न करें 108 और 102 फोन
108 और 102 के आशियाना सयहित कॉल सेंटर में रोजाना हजारों लोगों की जरूरी कॉल्स आती हैं, वहीं बेवजह के फोन्स आने की वजह से आपताकालीन सेवाओं में बाधा पड़ती है. इसके अलावा जरूरतमंदों को समय पर सेवा नहीं मिल पाती है.
इको फ्रेंडली की तरफ एम्बुलेंस सेवा
एम्बुलेंस सेवा 108 और 102 पर्यावरण को बचाने के दिशा में भी अपना योगदान दे रहीं हैं. प्रदेश भर में तैनात इन सभी 3756 एम्बुलेंस में एंड्रॉयड मोबाइल फ़ोन दिए गए हैं, जिसके चलते एम्बुलेंस से जुड़ी रिपोर्टिंग, स्टाफ की स्थिति के साथ-साथ अन्य दैनिक कार्य में इसी आधुनिक फोन के जरिए किए जा रहे हैं. ये ही वजह है कि एम्बुलेंस का दैनिक कामकाज पेपरलेस हो गया है.