संसद का बजट सत्र जारी हैं। बजट सत्र में जो सबसे ज्यादा चर्चाओं का बहस का मुद्दा बना हुआ है, वो कृषि कानून और किसानों का आंदोलन ही है। विपक्षी पार्टिया सदन में इस मुद्दे को लेकर जमकर हंगामा कर रही हैं। विपक्षी पार्टियां किसानों के मुद्दे पर केंद्र को घेरते हुए कानून वापस लेने की मांग कर रही हैं।
आज यानी गुरुवार को राज्यसभा में किसान आंदोलन और कोरोना के मुद्दे को लेकर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सरकार का पक्ष रखा। इस दौरान उन्होनें कांग्रेस के अपने पुराने साथियों को भी काफी कुछ कहा। राज्यसभा में इस दौरान कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह और बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच एक मजेदार वाक्या भी घटा। दिग्विजय सिंह ने ऐसा कुछ बोल दिया कि सिंधिया ने उनके आगे अपने हाथ जोड़ लिए। ये पूरा किस्सा क्या है, आइए आपको बताते हैं…
दिग्विजय ने कसा सिंधिया पर तंज
दरअसल, सिंधिया के बाद जब राज्यसभा में दिग्विजय सिंह बोलने के लिए खड़े हुए। उन्होनें कहा- ‘सभापति महोदय, मैं आपके जरिए सिंधिया जी को बधाई देना चाहता हूं। वो जितने अच्छे तरीके से UPA के दौरान सरकार का पक्ष रखा करते थे, उतने ही अच्छे ढंग से आज बीजेपी का पक्ष भी रख रहे हैं। आपको बधाई हो, वाह जी महाराज वाह।’
सिंधिया ने दिया ये जवाब
जिसके बाद दिग्विजय की इस बात सिंधिया ने मुस्कुराते हुए हाथ जोड़ लिए। उन्होनें दिग्विजय से कहा- ‘ये सब आपका ही आशीर्वाद है।’ फिर राज्यसभा में ठहाके गूंजने लगे। इसके बाद दिग्विजय ने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया और कहा कि ‘आर्शीवाद हमेशा रहेगा। आप जिस भी पार्टी में रहें, आगे जो भी हो…हमारा आर्शीवाद आपके साथ था है और रहेगा।’
कृषि कानून को लेकर कांग्रेस पर भड़के सिंधिया
किसानों के मुद्दे पर भी सिंधिया ने कांग्रेस को खूब घेरा। ज्योतिरादित्य ने कहा कि अपने चुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने भी कृषि सुधारों का वादा किया था। यही नहीं 2010-11 में NCP नेता और तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने हर मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि प्राइवेट सेक्टर में कृषि की भागीदारी जरूरी है। इसके लिए APMC कानून में संशोधन होना चाहिए। सिंधिया ने कहा कि हमें जुबान बदलने की आदत को बदलना चाहिए। जो कहते हैं उस पर अड़े रहें।
सिंधिया ने राज्यसभा में अपने संबोधन में इमरजेंसी के बारे में बात करते हुए कांग्रेस को जमकर निशाना साधा। उन्होनें कहा कि एक शख्स के अनुरोध पर देश की जनता ने अपनी इच्छा से लॉकडाउन का पालन किया। जबकि 1975 में भी एक लॉकडाउन था, जिसे लोगों पर थोपा गया। पूरे देश को तब जेलखाना बनाया गया। मैं ये बात जितना यहां पर खड़ा होकर कह रहा हूं, उतना ही वहां पर भी खड़ा होकर कहता था। सच, सच ही होता है।’