कोरोना वायरस की सेकेंड वेव बेहद ही खतरनाक रूप लेकर भारत लौटी है। दूसरी लहर के चलते देश के हालात दिन पर दिन बिगड़ते चले जा रहा है। कोरोना की इस लहर ने देश के हेल्थ सिस्टम को पूरी तरह हिलाकर रख दिया। कहीं पर अस्पतालों में बेड की कमी हो रही है, तो कहीं पर सांसों को लेकर जंग छिड़ी हुई है।
भारत कोरोना की दूसरी लहर से काफी प्रभावित होता नजर आ रहा है। इससे राहत कब मिलेगी, इस पर भी अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि कोरोना की वजह से बिगड़ते हुए हालातों के बीच एक अच्छी खबर जरूर आई है।
सरकार ने इस दवा को दी मंजूरी
भारत को कोरोना के खिलाफ जंग में एक और हथियार मिला है। दरअसल, सरकार ने कोरोन मरीजों के इलाज के लिए Zydus की दवा Virafin को मंजूरी दी। इस दवा को कोरोना के मध्यम लक्षण वाले मरीजों के इस्तेमाल के लिए इमरजेंसी अप्रवूल दिया गया है।
7 दिनों में आ सकती है रिपोर्ट नेगिटिव
जायडस कंपनी की तरफ से अपनी इस दवा को लेकर ये दावा किया जाता है कि ये कोरोना मरीजों के लिए असरदार है। Pegylated Interferon Alpha 2b (Virafin) के इस्तेमाल के बाद 7 दिनों में 91.15 प्रतिशत कोरोना मरीजों का RT-PCR टेस्ट नेगिटिव आ जाता है।
कंपनी के मुताबिक अगर कोरोना के शुरुआती दौर में किसी मरीज को विराफिन दी जाती है तो वो जल्दी इससे रिकवर करता है, साथ में जटिलताएं भी दूर होती है। फिलहाल ये दवा सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही मरीजों को दिया जाएगा। इस दवा को अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि भारत के करीब 25 सेंटर्स में इस दवा का ट्रायल किया गया था, जिसके नतीजे अच्छे निकले। इसके बाद ही दवा को इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिलीं।
कंपनी के अनुसार Pegylated Interferon Alpha-2b (Virafin) एक सिंगल डोज दवा है। ये मरीजों के लिए सस्ती होने के साथ ही कम बोझिल होगीं। ट्रायल के दौरान ये भी पाया गया कि इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों को सप्लीमेंट ऑक्सीजन की कम जरूरत पड़ी। जिससे ये साफ तौर पर पता चलता है कि ये दवा सांस लेने में तकलीफ को काबू कर सकती है, जो कोरोना के इलाज में इस वक्त एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
फिलहाल रेमडेसिविर का हो रहा इस्तेमाल
गौरतलब है कि भारत में कोरोना संक्रमण की वजह से हालात आउट ऑफ कंट्रोल होते नजर आ रहे है। अब तक कोरोना मरीजों के इलाज के लिए रेमडेसिविर दवा का काफी इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके चलते बीते दिनों से इसकी डिमांड भी काफी बढ़ी है। इस वजह से कही से रेमडेसिविर दवा की शॉर्टेज तो कहीं से इसकी कालाबाजारी की खबरें भी लगातार सामने आ रही थीं।
वैसे रेमडेसिविर कोरोना को ठीक करने की दवा नहीं है। ये कथित तौर पर शरीर में वायरस को बढ़ने से रोकती है। सरकार ये बात बता चुकी है कि रेमडेसिविर लाइफ सेविंग दवा नहीं है। वहीं WHO का भी कहना कि रेमडेसिविर गंभीर परिस्थितियों में असर नहीं करती। दवा के कई सारे साइड इफेक्ट हैं।