राकेश अस्थाना को कुछ महीनों पहले ही दिल्ली पुलिस के कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया गया। जिसके बाद से ही वो लगातार इन्हीं कोशिशों में जुटे हुए हैं कि वो दिल्ली पुलिस को बेहतर फोर्स बना सकें। इसके लिए वो लगातार नए प्रयोग भी करते हुए नजर आ रहे हैं। अब दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना चाहते हैं कि वो पुलिस के द्वारा होने वाली जांच को भी बेहतर करें, जिसके लिए वो कुछ कदम उठाते हुए दिख रहे हैं।
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना जांच टीम का हिस्सा पढ़े लिखे सिपाहियों और हवालदारों को भी बनाना चाहते हैं, जिससे वो भी आगे आने वाले समय के लिए तैयार हो सके। इसी संबंध में अस्थाना ने सभी जिला DCP को निर्देश भी दिए। उनका मानना है कि अगर सिपाही और हवालदारों को जांच में शामिल किया जाता है, तो इससे केस को सुलझाने और अपराधियों को सजा दिलाने में बड़ी कामयाबी मिलेगी।
इसको लेकर दिल्ली पुलिस के पूर्व DCP एलएन राव ने बताया कि पहले जो हवलदार और सिपाही पुलिस में भर्ती हुआ करते थे वो केवल 10वीं और 12वीं पास होते थे। लेकिन अब करीब एक दशक से पढ़े लिखे सिपाही और हवलदारों जो बी.टेक, MBA, BBA और PG कर चुके हैं, अब उनकी भर्ती हो रही है। इसलिए भले ही वो सिपाही या हवलदार के पद पर काम कर रहे हो, लेकिन उनको अच्छा ज्ञान है।
वैसे फिलहाल जो बहुत ही मामूली अपराध के मामले होते है, उनकी जांच दिल्ली पुलिस में हवलदार से कराई जाती है। दूसरे मामले की जांच ASI या फिर उससे ऊंचे पद के पुलिसकर्मी करते हैं। इसके बारे में उन्होंने बताया कि लंबे वक्त से जांच अधिकारियों की कमी हो रही है। इस वजह से कमिश्नर राकेश अस्थाना ने हवलदार और सिपाही को जांच में शामिल करने की जो पहल की, उससे ये समस्या हल हो सकती है।
वहीं पूर्व DCP वेद भूषण के मुताबिक इस कदम से थाने में जो मामले लंबित पड़े है, उससे जांच में तेजी देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है, जब पुलिसकर्मियों की कमी के चलते जांच ठीक से नहीं हो पाती और ऐसे में आरोपी बरी हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनने के बाद राकेश अस्थाना का जोर जांच को बेहतर करने पर है। इसी के चलते उन्होंने कानून व्यवस्था और जांच को हर थाने में अलग कर दिया। इस पहल से ना केवल लंबित मामलों में तेजी आएगी, बल्कि पुलिसकर्मी जांच को अच्छा समय भी दे सकेंगे, जिससे अपराधियों को सजा दिलवाने में पुलिस को कामयाबी मिलेगी।