Delhi News: नॉर्थ घोंडा की गली नंबर-1 में रमजान के दौरान सजाई गई झालर वाली लाइटों को लेकर एक विवाद सामने आया है, जिसने स्थानीय समुदायों के बीच तनाव बढ़ा दिया है। गली में रहने वाले कुछ मुस्लिम परिवारों ने अपने घरों की सजावट के लिए पूरी गली में लाइटें लगाईं, जो उनके धार्मिक उत्सव की खुशी और रौनक का हिस्सा थीं। लेकिन शनिवार को इस मुद्दे ने एक नया मोड़ लिया जब स्थानीय सुभाष मोहल्ला वार्ड की पार्षद मनीषा पुनिया के पति आशीष पुनिया ने निगम कर्मचारियों के साथ मिलकर इन लाइटों को हटवा दिया।
लाइटों को लेकर विवाद और आरोप- Delhi News
आशीष पुनिया ने आरोप लगाया कि लाइटें चोरी की बिजली से जल रही थीं, जो कि कानून के खिलाफ था। उनके मुताबिक, गली में कुछ लोगों को इन लाइटों से आपत्ति थी, और यह समस्या बढ़ती जा रही थी। उन्होंने नगर निगम के कर्मचारियों को साथ लेकर लाइटों को जबरन हटवा दिया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। घटना के बाद कुछ स्थानीय लोगों ने इस घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया, जिससे मामले ने और तूल पकड़ लिया।
इसके अलावा, एक अन्य वीडियो में लाइटों का कनेक्शन घर के मीटर से जोड़कर दिखाया गया, जिससे यह साबित करने की कोशिश की गई कि बिजली चोरी नहीं हो रही थी। इसके बाद गली में रहने वाले मुस्लिम परिवारों ने अपने घरों के बाहर “मकान बिकाऊ” के पोस्टर भी लगा दिए, जो उनके मन में उठते हुए आक्रोश और निराशा को दर्शाते थे।
स्थानीय निवासी का बयान
स्थानीय निवासी गुलफाम ने बताया कि वह 50 साल से अधिक समय से गली में रह रहे हैं और हर साल रमजान के दौरान गली में लाइटें लगाई जाती हैं। गुलफाम का कहना था कि अब तक कभी किसी को इन लाइटों से कोई परेशानी नहीं हुई थी, और दोनों समुदाय मिलकर एक-दूसरे के त्योहारों को मनाते थे। उनका आरोप था कि पार्षद पति और निगम के कर्मचारियों ने बिना कोई चेतावनी दिए लाइटें हटवा दीं और उनसे बदसलूकी भी की। उनका कहना था कि यदि लाइटों के लिए शिकायत की गई थी, तो यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए था कि किसने आपत्ति जताई थी।
आशीष पुनिया का बयान
इस घटना के बाद आशीष पुनिया ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने सफाई दी कि स्थानीय हिंदू समुदाय के लोगों ने पार्षद कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई थी। उनका आरोप था कि लाइटों की वजह से उनके घरों में परेशानी हो रही थी। उन्होंने यह भी बताया कि सभी लाइटें स्ट्रीट लाइटों के तारों से जुड़ी हुई थीं, जो बिजली के खंभों पर लगी हुई थीं। आशीष पुनिया का कहना था कि गली में हिंदू परिवारों की संख्या अधिक है, जबकि मुस्लिम परिवारों के सिर्फ दो या तीन घर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि मुस्लिम परिवारों को अपने घरों पर लाइट लगाने का शौक था, तो पूरी गली में लाइट लगाने की कोई जरूरत नहीं थी।