कोरोना की सेकेंड वेव के दौरान देश में जो हालात हो गए थे, उसे भला कौन भूला सकता है। सड़कों पर तड़पते लोग, ऑक्सीजन के लिए लगी लंबी कतारें, श्मशान घाटों में शवों के लगे ढेर…शायद इससे पहले ये मंजर किसी ने कभी नहीं देखा होगा। दूसरी लहर के दौरान देश में सांसों का संकट गहरा गया था। लगातार कई शहरों से ऑक्सीजन की कमी होने की खबरें सामने आ रही थीं। इस दौरान कई लोगों की मौत ऑक्सीजन की किल्लत होने से भी हुई।
केंद्र सरकार के इस बयान पर मचा बवाल
ऑक्सीजन संकट की वजह से कितने लोगों की जानें गई? इसको लेकर देश की राजनीति फिलहाल गरमा गई है। दरअसल, बीते दिन संसद में केंद्र सरकार की तरफ से एक ऐसा बयान दिया गया, जिस पर हंगामा शुरू हुआ। राज्यसभा में केंद्र ने कहा कि किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों ने दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई मौत की कोई जानकारी नहीं दी।
विपक्ष ने खोला मोर्चा
इस बयान को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां इस बयान को लेकर केंद्र सरकार को घेर रही हैं। संसद में किए गए इस दावे को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर सवाल खड़े किए। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार संसद के जरिए देश को गुमराह करने की कोशिश कर रही है, जबकि सभी ने देखा कैसे दिल्ली समेत देश की दूसरी जगहों पर ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोगों की मौतें हुई।
इसके अलावा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मसले को लेकर एक ट्वीट किया। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा- ‘सिर्फ़ ऑक्सीजन की ही कमी नहीं थी. संवेदनशीलता व सत्य की भारी कमी- तब भी थी, आज भी है।’ इसके अलावा भी तमाम राजनीतिक पार्टियां इस बयान को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोल रही हैं।
सफाई में केंद्र सरकार ने क्या कहा?
वहीं बयान पर बढ़ते बवाल को देखते हुए सरकार की तरफ से भी सफाई आई। सरकार ने ये कहा कि राज्यसभा में दावा किया गया, वो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के आधार पर ही किया। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से उन्हें ऑक्सीजन की कमी की वजह से एक भी मौत जानकारी नहीं दी गई, जिसके आधार पर ही ये दावा किया गया।
बुधवार को बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि किसी भी राज्य ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई मौत पर कोई आंकड़ा केंद्र को नहीं भेजा। किसी ने ये नहीं कहा कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी को लेकर मौत हुई। पात्रा ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्ष पर झूठ बोलने का आरोप लगाया।
जीरो डेटा पर राज्य सरकारों का क्या है कहना?
वहीं केंद्र सरकार के इस बयान पर तमाम राज्य की सरकारें भी अपनी प्रतिक्रिया दे रही हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दूसरी लहर के दौरान मीडिया ने दिखाया कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से हाहाकार मचा हुआ है और केंद्र का इस पर कहना कुछ और ही है।
उन्होंने निशाना साधते हुए आगे ये भी कहा कि कल को केंद्र ये भी कह देगा कि कोरोना आया ही नहीं। दिल्ली ही नहीं देश में कई जगहों पर ऑक्सीजन की कमी हुई थी। ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से दिल्ली में हुई मौतों की जांच करने के लिए हमने एक कमेटी भी बनाई थी, लेकिन उसको LG ने मंजूरी नहीं दी। केंद्र ने ये जो बयान दिया है वो जले पर नमक छिड़कना जैसा है।
किन राज्यों ने ‘जीरो डेथ’ का किया दावा?
इसके अलावा कई राज्यों की सरकारों ने भी ये बात मानी है कि उनके यहां ऑक्सीजन की कमी की वजह से एक भी मौत नहीं हुई। इसमें मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा और तमिलनाडु की सरकारें शामिल हैं।
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने प्रभुराम चौधरी ने केंद्र के दावे को सही ठहराया। प्रभुराम चौधरी बोले कि केंद्र ने जो आंकड़ा बताया, वो राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर बताया। उन्होंने ये भी दावा किया कि एमपी में एक भी शख्स की मौत ऑक्सीजन की कमी के चलते नहीं हुई। हां, लेकिन इस दौरान उन्होंने राज्य में ऑक्सीजन की कमी होने की बात जरूर मानी
वहीं बिहार सरकार का भी ऐसा ही कुछ कहना है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री ने दावा किया कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी के चलते कोई मौत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की डिमांड जरूर बढ़ गई थी, लेकिन किसी भी सरकारी-प्राइवेट अस्पताल में इसकी कमी की वजह से किसी की मौत नहीं हुई।
इसके अलावा छत्तीसगढ़, तमिनलाडु और गोवा की सरकारों ने भी अपने यहां ऑक्सीजन की कमी के चलते कोई मौत नहीं होने का दावा किया।