एक वक्त ऐसा था, जब मुख्तार अंसारी की तूती बोला करती थीं। जब भी उसका काफिला निकला करता था, तो ‘बाहुबली भैया’ के नारे लगना शुरू हो जाते थे। माफिया डॉन और विधायक का दबदबा मऊ के साथ उसके आसपास के जिलों में भी काफी थी। लेकिन कहते है ना समय कभी भी एक जैसा नहीं रहता। ऐसा ही कुछ मुख्तार अंसारी के साथ भी हुआ।
वक्त बदला, सरकार बदली और मुख्तार अंसारी के हालात भी बदल गए। यूपी की सत्ता में योगी सरकार के आते ही मुख्तार अंसारी की मुश्किलें बढ़ना शुरू हो गई। पूर्वांचल में जिस मुख्तार अंसारी का काफी खौफ हुआ करता था, वो अब व्हीलचेयर पर आ गया है। आज यानी बुधवार को बाहुबली मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी लेकर आया गया। आज सुबह ही यूपी पुलिस का काफिला बांदा जेल पहुंचा।
यूपी से क्यों अंसारी को खौफ?
मुख्तार अंसारी ने यूपी पुलिस से बचने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसका एक दांव भी काम नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब की सरकार ने उसे यूपी पुलिस को सौंप दिया। मुख्तार अंसारी को ये अच्छे से पता है कि यूपी में उसकी डगर आसान नहीं होने वाली। योगी सरकार अब उससे हर अपराध का हिसाब करेगी।
2017 में जब से योगी सरकार सत्ता में आई तब से मुख्तार अंसारी शिकंजा कसना शुरू हुआ। यूपी के मुख्यमंत्री उसके खिलाफ काफी कड़ाई से एक्शन ले रहे हैं। मुख्तार अंसारी की कई अवैध संपत्तियों पर योगी का बुलडोजर चल चुका है। सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों योगी सरकार मुख्तार अंसारी के खिलाफ इतनी सख्त है?
16 साल से चली आ ही तकरार
इसका जवाब जानने के कुछ साल पीछे जाना होगा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुख्तार अंसारी के साथ दुश्मनी 16 साल पुरानी है। बात साल 2005 की है, जब मऊ में दंगे हुए थे। तब मुख्तार अंसारी खुली गाड़ी में दंगे वाली जगहों पर घूम रहा था। उस पर दंगे भड़काने का आरोप लगा। वो जब गोरखपुर से मऊ के लिए निकले तो उनको दोहरीघाट में ही रोक दिया गया। उस दौरान यूपी की सत्ता में योगी की सरकार नहीं थीं।
मऊ दंगों को तीन साल बीत गए। साल 2008 में मुख्तार अंसारी ने योगी आदित्यनाथ को एक बार फिर से ललकारा। योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी के नेतृत्व में ये ऐलान किया कि वो आजमगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ रैली निकालेंगे। जिसके लिए टाइम, तारीख सबकुछ तय हो गया। 7 सितंबर 2008 को सीएम योगी ने DAV डिग्री कॉलेज में रैली निकालने का आयोजन किया, जिसके मुख्य वक्ता योगी आदित्यनाथ ही थे। रैली के लिए गोरखपुर मंदिर से 40 वाहनों के करीब का काफिला निकल पड़ा। पहले ही इस रैली के विरोध की आशंका थी, जिसके लिए योगी की टीम भी तैयार थीं।
योगी ने कही थी बदले की बात
जब योगी का काफिला आजमगढ़ के लिए निकला तो पीछे सैकड़ों गाड़ियां। मोटसाइकलों पर योगी योगी के नारे भी लगाए जा रहे थे। इस दौरान एक पत्थर उस गाड़ी में लगा, जिसमें योगी आदित्यनाथ बैठे हुए थे। योगी के काफिलेे पर हमला हुआ। उस दौरान ही योगी ने ये संकेत दे दिए कि हमला मुख्तार अंसारी ने करवाया है। उन्होंने कहा था कि काफिले पर लगातार एक पक्ष से गोलियां चलाई जा रही थी, गाड़ियों को तोड़ा जा रहा था और पुलिस मौन बनी रही।
तब योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि इस लड़ाई को हम आगे लेकर जाएंगे। जिसे भी गोली चलाई, उस पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, तो हम उसको जवाब देंगे, उसी की भाषा में। आजमगढ़ में हुए हमले में मुख्तार अंसारी का हाथ होने का आरोप कई लोगों ने लगाया। हालांकि इसकी कभी पुष्टि नहीं हुई। कुछ इस तरह से मुख्तार अंसारी और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच तकरार सालों से चली आ रही है। लेकिन अब ये अलग ही मोड़ ले चुकी है।