साल 2020 के फरवरी महीने के अंत में दिल्ली में जो कुछ हुआ, उसे भला कौन भूला सकता है। फरवरी 2020 में जहां एक तरफ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर आए हुए थे। तो दूसरी देश की राजधानी दिल्ली दंगों की आग में झुलसी हुई थीं। तब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ लंबे वक्त से जारी प्रदर्शन ने दंगों का रूप ले लिया था। उत्तर पूर्वी दिल्ली में जबरदस्त दंगे भड़क उठे थे। आंकड़ों के अनुसार इन दंगों में 53 लोगों ने अपनी जान गंवाई।
दिल्ली दंगों को लेकर जांच तबसे ही चल रही है। दिल्ली दंगों की जांच में अदालतें पुलिस की कार्यप्रणाली से शुरू से ही काफी नाराज नजर आई। कई बार कोर्ट ने पुलिस को झाड़ भी लगाई, लेकिन गुरुवार को अदालत ने एक बेहद ही सख्त टिप्पणी कर दी।
‘पुलिस की विफलता के लिए हमेशा…’
कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम समेत दो और लोगों को आरोपमुक्त किया। कोर्ट ने इस दौरान एक बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा इन दंगों को दिल्ली पुलिस की विफलता के लिए हमेशा याद रखा जाएगा।
कड़कड़डूमा के एडिशनल सेशन जज विनोद यादव कहा कि मैं खुद को ये कहने से रोक नहीं पा रहा कि इतिहास बंटवारे के बाद इस सबसे भयंकर दंगों को पुलिस की विफलता के तौर पर याद किया जाएगा। जज ने कहा कि इसमें पुलिस अधिकारियों की निगरानी की कमी साफ महसूस हुई। वहीं जांच के नाम पर पुलिस ने कोर्ट की आंखों में पट्टी बांधने का काम किया।
जज ने आगे ये भी कहा कि पुलिस ने जांच के दौरान सिर्फ चार्जशीट दाखिल करने की होड़ दिखाई। सही मायनों में तो केस की जांच नहीं की जा रही थी, ये बस वक्त की बर्बादी है।
ताहिर के भाई समेत अन्य लोगों को बनाया था आरोपी
जिस मामले में कोर्ट ने पुलिस पर ये सख्त टिप्पणी की वो दिल्ली दंगों से जुड़ा। दंगों के दौरान 24 फरवरी को एक शख्स की पान की दुकान को आग लगाई गई थीं। घटना के बाद अगले दिन चांद बाग में फर्नीचर की दुकान में लूटपाट हुई और फिर वहां भी आग लगाई गई। इसको मामले दयालपुर पुलिस ने ताहिर हुसैन के भाई आलम और दो अन्य लोगों को आरोपी बनाया था।
लेकिन अब कोर्ट ने इन तीनों ही लोगों को आरोपमुक्त कर दिया। कोर्ट ने पुलिस की इस जांच को निष्क्रिय करार देते हुए कहा कि घटना को CCTV फुटेज मौजूद नहीं था, जिससे आरोपी की घटनास्थल पर मौजूदगी की पुष्टि हो। साथ ही कोई चश्मदीद गवाह नहीं था और आपराधिक साजिश के बारे में भी कोई सबूत नहीं था।
‘कई लोग सिर्फ इसलिए जेल में, क्योंकि…’
सुनवाई के दौरान जज विनोद यादव ने कुछ आंकड़े भी बताए। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 750 मामले दाखिल किए गए। जिनमें से ज्यादातर केस की सुनवाई कोर्ट द्वारा की जा रही है। केवल 35 मामलों में ही आरोप तय किए गए। उन्होंने कहा कि कई आरोपी तो अभी सिर्फ इसलिए जेल में बंद हैं, क्योंकि अब तक उनके केस की सुनवाई शुरू ही नहीं हुई।