वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने देश में हाहाकार मचा दिया है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर की चपेट में इस वक्त देश बुरी तरह से घिरा हुआ है। इस वक्त भारत ही वो देश है, जो कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित है। रोजाना ही कोरोना के मामले रिकॉर्ड तोड़ रहा है। इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी काफी डराने वाला है।
वहीं कोरोना की इस भयंकर लहर ने हमारे हेल्थ सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है। चाहे वो राजधानी दिल्ली हो, महाराष्ट्र, यूपी या फिर मध्य प्रदेश हर जगह हाल बेहाल है। कई लोगों को टेस्टिंग के लिए भटकाना पड़ रहा है, कहीं पर अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे, तो कहीं ऑक्सीजन और कोरोना की दवाओं की शॉर्टेज होने लगी है। इसके अलावा श्मशान घाटों में शवों के अंतिम संस्कार के लिए जो लाइनें लगी हैं, वो मंजर रूंह कंपा देने वाला है। दिन पर दिन हालात बद से बदतर होते चले जा रहे है।
वैसे सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के और भी कई देश कोरोना के नए वेरिएंट का सामना कर रहे है। हालांकि इससे लड़ने का तरीका सबका अलग अलग है। आइए आज हम आपको बताते है कि आखिर कैसे दूसरे देश कोरोना के नए वेरिएंट से निपट रहे हैं…
यूरोप के ऐसे कई देश हैं, जहां कोरोना की इस लहर के चलते केस काफी तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसमें ब्रिटेन, जर्मनी, इटली और फ्रांस जैसे देश शामिल है। भारत में नए स्ट्रेन के चलते केस तो अप्रैल की शुरुआत में बढ़ने से शुरू हुए, लेकिन कई देशों में मार्च से ही इसके चलते संकट बना हुआ है।
फ्रांस में लॉकडाउन का असर
कोरोना के बढ़ते केस के चलते फ्रांस में 4 हफ्तों का लॉकडाउन लगाया हुआ है। ये लॉकडाउन एक अप्रैल से शुरू हुआ। स्कूल चार हफ्ते के लिए बंद हैं, यात्राएं प्रतिबंधित है। सिर्फ जरूरी सामान की दुकानों ही यहां पर खुली है। फ्रांस में लगे इस लॉकडाउन का असर भी देखा जा रहा है। जहां एक अप्रैल को इस देश से 50 हजार से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आए थे, वो 16 अप्रैल तक घटकर 36 हजार पहुंच गए।
जर्मनी में लगाए गए कड़े प्रतिबंध
10 मार्च से ही जर्मनी में दूसरी लहर ने कहर बरपाना शुरू कर दिया था। जिसके बाद हालातों के मद्देनगर प्रतिबंधों को कड़ा किया गया। यहां रोजाना 29 हजार के करीब कोरोना के नए मामले सामने आ रहे थे। इस लहर का असर सबसे ज्यादा युवाओं पर देखने को मिल रहा था। 15 से 49 साल की उम्र के लोग तेजी से संक्रमण की चपेट में आ रहे थे। अलग-अलग राज्यों ने अपने यहां हालातों को देखते हुए पाबंदियां लगाई। जिसके चलते 14 अप्रैल तक तो जर्मनी में केस बढ़े, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के कदमों के बाद तब से इनमें कमी देखने को मिलीं।
अमेरिका में वैक्सीनेशन पर जोर
अमेरिका में कोरोना का ये लहर भी काफी कहर मचा रही है। यहां रोजाना 80 हजार के करीब केस अभी भी सामने आ रहे हैं, जबकि 900 लोगों की मौत हो रही। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोरोना की नई लहर को रोकने के लिए वैक्सीनेशन तेज कर हर्ड इम्युनिटी विकसित करने का टारगेट रखा। बाइडेन ने 19 अप्रैल तक 90 फीसदी वयस्क आबादी को वैक्सीनेशन की सुविधा के लिए अनुमति देने का प्लान बनाया।
ब्रिटेन में ऐसे कम हुए केस
ब्रिटेन में कोरोना के इस खतरनाक स्ट्रेन को देखते हुए सोशल गैदरिंग के नियमों को कड़ा कर दिया। हालांकि अब यहां केस घटने लगे, जिसके चलते नियमों में थोड़ी ढील दी गई। लेकिन फिर भी कुछ नियम अभी भी ब्रिटेन में कड़े ही किए गए है। ब्रिटेन में एक अप्रैल को 4500 के करीब केस आ रहे थे, वही 16 अप्रैल तक घटकर 2700 तक केस आ गए हैं।
इटली में बढ़ाई गई सख्ती
इटली में बीते साल भी कोरोना का भयंकर कहर देखने को मिला था। वहीं पिछले साल के हालातों से सबक लेते हुए यहां तुरंत सख्त लॉकडाउन लगाया गया। 30 अप्रैल तक इटली में सख्त लॉकडाउन लगाया गया है। हालांकि नई लहर से इटली में कोरोना का संकट भी बड़ा। हालातों के मद्देनजर इटली में कोरोना को दो खतरनाक कटेगिरी रेड और ऑरेंड जोन में रखा, जहां अलग अलग पाबंदियां लगाई गई। एक अप्रैल को जहां इटली में 23 हजार के करीब कोरोना के मामले सामने आ रहे थे, अब ये घटकर 15 हजार तक पहुंच गए है। इटली में मौतों का आंकड़ा भी एक हफ्ते से कम हुआ।
डेनमार्क में ई-पास
डेनमार्क में मरीजों और वैक्सीन लेने वाले लोगों की ट्रैकिंग के लिए ई-पास सुविधा दी गई। 15 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के मोबाइल फोन पर ये पास मौजूद रहेगा। इसमें ये जानकारियां है कि किस व्यक्ति ने वैक्सीन लगवाई, किसको पहले संक्रमण हुआ और बीते 72 घंटों में नेगिटिव रिपोर्ट मिली या नहीं। पास की रिपोर्ट के आधार पर ही लोगों को सार्वजनिक जगहों पर जाने की इजाजत है।
स्पेन में सख्त कर्फ्यू
स्पेन में कोरोना की दूसरी लहर के चलते सख्त कर्फ्यू लगाया गया। पूरे देश में नाइट कर्फ्यू लगाया गया। सार्वजनिक जगहों पर 6 और इंडोर जगहों पर 4 लोगों की मीटिंग की ही इजाजत है। यहां अभी रोजाना 10 हजार के करीब नए मरीज सामने आ रहे हैं, जबकि 100 मौतें रोजाना हो रही है। बीते साल स्पेन में कोरोना की लहर ने भयंकर तबाही मचाई थी। देश में अभी तक 34 लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं, जबकि 77 हजार के करीब लोगों की मौत हो चुकी है।
इजरायल में हर्ड इम्यूनिटी
इजरायल ने 92 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा आबादी को कोरोना की वैक्सीन लगवा दी। यहां के वैज्ञानिकों का दावा हैं कि तेज वैक्सीनेशन के चलते उनके देश में 60 से 67 फीसदी तक हर्ड इम्यूनिटी का लक्ष्य हासिल कर लिया और जल्द ही कोरोना के पूरी तरह से खात्मे की ओर देश बढ़ सकता है।