
देश में कोरोना संक्रमण के बिगड़ते हालातों की वजह से हर किसी की नींद इस वक्त उड़ी हुई है। चाहे वो आम जनता हो या सरकारें कोरोना संक्रमण जिस तेजी से देश में फैल रहा है, उसने सभी को परेशान किया हुआ है। रोजाना सिर्फ कोरोना के मामले ही रिकॉर्ड नहीं बना रहे, बल्कि मौत का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। बुधवार को देश में 2 हजार से भी ज्यादा लोगों की इस वायरस की वजह से मौत हुई।
कोरोना की वजह से बिगड़ते हालातों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार रात 8:45 बजे देश के सामने आए। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कोरोना से जंग में लोगों से धैर्य बनाए रखने को कहा। इसके अलावा पीएम ने संबोधन में लॉकडाउन को "आखिरी विकल्प" के तौर पर इस्तेमाल करने को कहा। साथ में राज्यों को ये सलाह भी दी कि वो जितना हो सके लॉकडाउन जैसा कड़ा फैसला लेने से बचें।
वैसे सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं, बल्कि जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार सत्ता में है, वो भी लॉकडाउन से बचती नजर आ रही है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी लॉकडाउन नहीं लगाना चाहते, जिसके लिए योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई।
दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश की 5 जगहों जहां पर कोरोना संक्रमण बेकाबू हो चुका है, वहां लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था। इसमें लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर, वाराणसी में 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले से योगी सरकार सहमत नहीं थी, जिसके चलते वो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट से योगी सरकार को राहत मिली। SC ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी। हालांकि इसके बाद योगी सरकार ने पूरे यूपी में वीकेंड कर्फ्यू जरूर लगा दिया, लेकिन लॉकडाउन लगाने से वो लगातार बचती नजर आ रही है।
यूपी सरकार का कहना है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए वो लगातार सख्त कदम उठा रही है और आगे भी उठाए जाएंगे। लेकिन लोगों की जिंदगी बचाने के साथ गरीबों की आजीविका भी बचानी है, इसलिए लॉकडाउन नहीं लगाया जा सकता।
इसके अलावा मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भी संपूर्ण लॉकडाउन के फिलहाल पक्ष में नजर नहीं आ रही। शिवराज सरकार ने राज्य के कई बड़े शहरों में कोरोना कर्फ्यू के तहत 30 अप्रैल तक पाबंदियां लगा रखी हैं। लेकिन वो इसको लॉकडाउन की जगह कोरोना कर्फ्यू का नाम दे रही है। सीएम शिवराज ने खुद ये कहा है कि लॉकडाउन लगाने की जरूरत नहीं।
इसी तरह हरियाणा की खट्टर सरकार भी लॉकडाउन लगाने का विचार फिलहाल नहीं कर रही। हरियाणा सरकार का कहना है कि सख्ती और सतर्कता से कोरोना को हराया जा सकता है।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब देश में केवल 350 के करीब ही कोरोना केस थे, तब लॉकडाउन लगाया दिया गया था। लेकिन अब जब कोरोना का आंकड़ा 3 लाख के करीब तक पहुंच गया है, तो क्यों तमाम सरकारें खासकर बीजेपी शासित प्रदेशों की, इससे बचती हुई नजर आ रही हैं?
इसकी कई वजह हो सकती है। दरअसल, जब बीते साल मोदी सरकार ने लॉकडाउन लगाया, तो उनको विपक्ष की जमकर आलोचना का सामना करना पड़ा। यही नहीं कोरोना के चलते बेरोजगारी बढ़ी। लाखों लोगों के रोजगार पर संकट आ गया। अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंची। प्रवासी मजदूरों का जो हाल हुआ, उससे चलते भी मोदी सरकार काफी आलोचनाओं में घिरीं। कई राज्य अब तक पिछले लॉकडाउन से ही उभर नहीं पाया और ऐसे में दोबारा लॉकडाउन लगा दिया जाता है, तो ये संकट गहरा जाएगा। ये वजह हो सकती है कि अब सरकारें लॉकडाउन के पक्ष में नजर नहीं आ रही।
वहीं सोमवार को अमेरिकी ब्रोकेरेज कंपनी बोफा सिक्योरिटीज ने आगाह करते हुए बताया कि अगर अब भारत में एक महीने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लगाया जाता है, तो जीडीपी 2 फीसदी तक नीचे गिर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना महामारी को रोकने के लिए अब स्थानीय स्तर पर ही लॉकडाउन लगाया जाएगा।
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