भारत में एक साथ दो दो कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल गई। रविवार को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए इजाजत दे दी। जिसके बाद अब बहुत जल्द ही देश में वैक्सीनेशन का प्रोसेस शुरू हो जाएगा।
Covaxin पर उठ रहे सवाल
लेकिन इसी बीच दोनों वैक्सीन को एक साथ मंजूरी दिए जाने पर काफी विवाद भी हो रहा है। ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को हरी झंडी दिखाए जाने के बाद भारत में कोविशील्ड वैक्सीन को इजाजत मिलने की संभावना काफी ज्यादा थीं, लेकिन कोवैक्सीन को भी सरकार मंजूरी दे देगी, इसकी संभावना काफी कम थीं। इसी वजह से अब इस पर बहस छिड़ी हुईं है। एक तरफ इसको लेकर राजनीति चरम पर हैं। कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों के कुछ नेता ये कह चुके हैं कि भारत बायोटेक की वैक्सीन को मंजूरी देने में जल्दबाजी की गई।
Covaxin को पानी कहने पर भड़के अध्यक्ष
वहीं अब वैक्सीन को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के बीच भी विवाद छिड़ गया है। दरअसल, कोवैक्सीन को ‘पानी’ कहने पर भारत बायोटेक के CMD कृष्ण इल्ला ने नाराजगी व्यक्त की और कहा कि हमारी वैक्सीन पर कोई भी सवाल खड़े ना करें। वो बोले की कोवैक्सीन कोई बैकअप नहीं हैं। कुछ लोग इसका राजनीतिकरण कर रहे हैं। वैक्सीन पर राजनीति करना सही नहीं।
सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला का बिना नाम लिए कृष्ण इल्ला ने कहा कि हम 200 प्रतिशत ईमानदार क्लीनिक ट्रायल करते हैं, लेकिन फिर भी हमारी आलोचना की जा रही है। अगर मैं गलत हूं तो मुझे बताएं। हमारे टीके को कुछ कंपनियों ने तो पानी की तरह तक बता दिया। इस बात से इनकार करना चाहता हूं। हम वैज्ञानिक हैं। हमारे ट्रायल पर सवाल ना खड़े करें।
क्या कहा था SII के सीईओ ने?
रविवार को सीरम इंस्टीट्यूट के CEO अदार पूनावाला ने एक इंटरव्यू में ये बात कही थी कि कोरोना के खिलाफ सिर्फ तीन ही टीके असरदार हैं और वो फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका। इसके अलावा बाकी सब केवल पानी की तरह सुरक्षित हैं।
उनके इसी बयान को लेकर कृष्णा इल्ला भड़क गए। उन्होनें कहा कि अमेरिका, यूरोप ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के ट्रायल के डेटा को मंजूर करने से मना कर दिया था। क्योंकि वो स्पष्ट नहीं था। लेकिन फिर भी कोई ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के डेटा पर सवाल नहीं पूछ रहा। उन्होनें कहा कि सुरक्षा और असरदार टीके के उत्पादन का हमारा रिकॉर्ड रहा है। वैक्सीन का पूरा डेटा पारदर्शी है।
‘मार्च तक उपलब्ध होगा तीसरे फेज का डेटा’
‘भारत बायोटेक’ के अध्यक्ष ने आगे कहा कि वैक्सीन के पर्याप्त डेटा का खुलासा पहले ही किया जा चुका है। लोगों के लिए ऑनलाइन मौजूद भी हैं। इस टीके को केवल इसलिए निशाना बनाया जा रहा क्योंकि ये एक भारतीय कंपनी द्वारा बनाया गया उत्पाद है। उन्होनें कहा कि कोवैक्सीन मेडिकल जरूरतों को पूरा करती हैं। इसके रिजल्ट शानदार है। वैक्सीन से इम्युनिटी तेजी से बढ़ती हैं।
कृष्णा इल्ला ने बताया कि तीसरे फेज के ट्रायल से संबंधित डेटा मार्च तक उपलब्ध होगा।तीसरे चरण के ट्रायल का अंतरिम विश्लेषण अभी नहीं हुआ। भारत बायोटेक का टीका फाइजर के टीके से कम नहीं है।
‘कोवैक्सीन बैकअप नहीं’
इसके अलावा उन्होनें दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के बयान पर भी जवाब दिया। दरअसल, गुलेरिया ने एक बयान में कहा था कि कोवैक्सीन को बैकअप की तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। उनके इस बयान पर इल्ला ने कहा कि ये एक वैक्सीन है, कोई बैकअप नहीं। ऐसे बयानों को लेकर लोगों को जिम्मेदार होना चाहिए।