बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी ने पहले राज्यसभा सांसद बनाया, उसके बाद मोदी कैबिनेट के विस्तार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। मोदी सरकार में उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है।
मोदी कैबिनेट के विस्तार के समय कई मंत्रियों की छुट्टी हो गई थी। जिसमें देश के पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी शामिल थे। खबरों के मुताबिक मंत्री पद से हटाए जाने के बाद भी वह सरकारी बिल्डिंग नहीं छोड़ रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कथित तौर पर उसी बंगले की मांग कर रहे हैं जिसमें पोखरियाल रह रहे हैं। अब इस मामले को लेकर दोनों ही नेताओं के बीच खींचतान वाली स्थिति बनी हुई है।
एक महीने के भीतर खाली करना होता है बंगला
दरअसल, मोदी कैबिनेट से हटाए जाने के बाद भी रमेश पोखरियाल निशंक इस बंगले को खाली करना नहीं चाह रहे हैं। उन्हें मंत्री के तौर पर यह बंगला मिला था और नियमों के मुताबिक एक महीनें में सरकारी बंगले को खाली कर देना होता है। लेकिन पोखरियाल अभी भी वहीं डटे हुए हैं। खबरों के मुताबिक उनका कहना है कि उन्हें डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स से इसकी अनुमति भी मिल गई है।
दूसरी ओर नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से इसी बंगले की मांग की जा रही है। जिसे लेकर बवाल मचा हुआ है।
इसी बंगले में रहते थे माधवराव सिंधिया
बताते चले कि सफदरजंग मकबरे के पास लुटियन दिल्ली के इस बंगले से सिंधिया की यादें जुड़ी है। लोकसभा चुनाव 2019 में मिली हार से पहले सिंधिया इसी बंगले में रहते थे। वहीं, कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे दिवंगत माधवराव सिंधिया भी इसी बंगले में रहते थे।
राजीव गांधी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के बाद उन्हें यह बंगला मिला था। इसी बंगले में उन्होंने अपनी अंतिम सांस भी ली थी। इसलिए इस बंगले से सिंधिया का ज्यादा लगाव बताया जा रहा है। मौजूदा समय में सिंधिया आनंद लोक में स्थित अपने निजी आवास में ही रह रहे हैं।
वह केंद्रीय मंत्री बनने के बाद अभी तक सरकारी बंगले में शिफ्ट नहीं हुए हैं। ऐसे में आने वाले समय में स्थिति क्या होगी…सरकार सिंधिया को खुश करेगी या पोखरियाल को निराश..इस पर सभी की नजरें टिकी हुई है।