Controversial officials of Maha Kumbh: महाकुंभ 2025 के दौरान हुई भगदड़ की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे की जांच के लिए एक योग्य टीम को जिम्मेदारी सौंपी गई है, और जल्द ही असली वजह सामने आने की उम्मीद है। लेकिन, इस घटना ने प्रशासनिक नियुक्तियों, तैयारियों और योजना में हुई खामियों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सत्ता और नौकरशाही के गलियारों में इन मुद्दों पर चर्चाएं जोरों पर हैं।
क्या 2019 की कैग रिपोर्ट से सबक लिया गया? (Controversial officials of Maha Kumbh)
महाकुंभ की तैयारियों की समीक्षा करते समय मौजूदा मेला अधिकारी विजय किरण आनंद पर सबसे अधिक सवाल उठ रहे हैं। विजय किरण आनंद 2019 के कुंभ मेले में भी मेला अधिकारी थे, और उस समय कैग (CAG) रिपोर्ट में महाकुंभ से जुड़ी कई अनियमितताओं और धांधलियों का खुलासा हुआ था। इसके बावजूद, इस बार भी उन्हें इस महत्वपूर्ण आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई।
महा हादसे की जांच शुरू हो गई है, योग्य टीम जांच कर रही है. असल वजह का जल्द पता चलेगा पर कुछ सवाल जो सत्ता-नौकरशाही के गलियारों में विचरण कर रहे हैं, उन्हें जानिए,
१-मौजूदा मेला अधिकारी विजय किरण आनंद साल 2019 में भी मेला अधिकारी थे, उस कुंभ की कैग रिपोर्ट में व्यापक… pic.twitter.com/t5TYh6aySl
— Gyanendra Shukla (@gyanu999) January 31, 2025
यह सवाल उठ रहा है कि क्या 2019 की रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू किया गया? क्या मेला आयोजन में पारदर्शिता सुनिश्चित की गई? अगर 2019 में खामियां पाई गई थीं, तो क्या 2025 में इनसे बचने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए? अगर नहीं, तो फिर वही अधिकारी क्यों नियुक्त किया गया?
डीआईजी वैभव कृष्ण की नियुक्ति पर विवाद
महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था के लिए डीआईजी वैभव कृष्ण को नियुक्त किया गया, लेकिन उनका पिछला रिकॉर्ड विवादों से भरा रहा है।
- 2016 में बुलंदशहर गैंगरेप केस में लापरवाही के कारण वे सस्पेंड हो चुके हैं।
- 2019 में अश्लील वीडियो कांड में शामिल होने के बाद उन्हें 13 महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था।
- बाद में वे बहाल हो गए, लेकिन क्या इतनी बड़ी जिम्मेदारी के लिए उनके चयन की समीक्षा की गई?
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन की सुरक्षा किसी अनुभवी और निष्कलंक छवि वाले अधिकारी को दी जानी चाहिए थी, लेकिन विवादों से घिरे अधिकारी को इस महत्वपूर्ण पद पर तैनात करना प्रशासनिक चूक को दर्शाता है।
वैभव कृष्ण बनाम अजय पाल शर्मा: क्या प्रशासनिक टकराव पड़ा भारी?
2011 बैच के आईपीएस अजय पाल शर्मा और डीआईजी वैभव कृष्ण के बीच विवाद उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक हलकों में खुले आम चर्चा का विषय रहा है।
- वैभव कृष्ण ने अजय पाल शर्मा पर ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
- बाद में अजय पाल शर्मा को क्लीन चिट मिल गई, लेकिन दोनों अधिकारियों के बीच टकराव किसी से छिपा नहीं है।
- इसके बावजूद दोनों को प्रयागराज में तैनात करना कितना उचित था?
- क्या इससे सुरक्षा तैयारियों में आपसी समन्वय की कमी नहीं आई होगी?
यह निर्णय किस स्तर पर लिया गया और किन कारणों से दोनों अधिकारियों को एक साथ महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था सौंपने का फैसला हुआ, यह अब सवालों के घेरे में है।
क्या कुंभ की तैयारियां अधूरी थीं?
महाकुंभ में हर साल करोड़ों श्रद्धालु आते हैं, ऐसे में बेहतर सुरक्षा व्यवस्था, आपदा प्रबंधन और प्रशासनिक समन्वय बेहद जरूरी होता है। लेकिन इस बार हादसे से जुड़ी कुछ बातें स्पष्ट हो रही हैं:
✔ भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।
✔ सुरक्षा बलों में सही तालमेल नहीं था।
✔ आखिरी समय में हुई तैयारियों में जल्दबाजी के कारण अव्यवस्था फैली।
✔ आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं थे।
जब 2019 की कैग रिपोर्ट पहले ही कुंभ की तैयारियों में गड़बड़ियों को उजागर कर चुकी थी, तो 2025 में भी वही गलतियां क्यों दोहराई गईं?