पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक जितिन प्रसाद ने बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। साथ ही उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर कई बड़े आरोप लगाए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद कांग्रेस को यह दूसरा बड़ा झटका लगा है।
जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट को लेकर भी चर्चाएं जोरो पर है। प्रसाद के इस्तीफे के बाद पायलट खेमा एक बार फिर से सक्रिय नजर आया।
सचिन पायलट ने पिछले दिनों कहा था कि ‘हमसे किए वादे दस महीनें बाद भी पूरे नहीं’…इस पर राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रतिक्रिया दी थी। जिस पर अब सचिन पायलट ने जबरदस्त पलटवार करते हुए कहा है कि राजस्थान के भाजपा नेताओं को व्यर्थ बयानबाज़ी की बजाय अपनी स्थिति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। वहीं, बीजेपी नेता रीता बहुगुणा जोशी के बयान पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी है।
जानें क्या है पूरा मामला?
कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया के जरिए यह बात कही है। उन्होंने कहा, आपसी फूट एवं अंतर्कलह इतनी हावी है कि राज्य मे भाजपा विपक्ष की भूमिका भी नहीं निभा पा रही। इनकी नाकाम नीतियों से देश में उपजे संकट में जनता को अकेला छोड़ने वालों को जनता करारा जवाब देगी।
दरअसल, सचिन पायलट के बयान ‘हमसे किए गए वादे दस महीने बाद भी पूरे नहीं’ पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा, कांग्रेस के भीतर चल रहे झगड़े और अंतर्कलह का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा को दोषी ठहराया था लेकिन आज हकीकत प्रदेश की जनता के सामने है।
रीता बहुगुणा जोशी को दिया जवाब
वहीं, बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि आखिर मन का दर्द होठों पर आ ही गया। ये चिंगारी कब बारूद बनकर फूटेगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। दूसरी ओर बीजेपी नेता रीता बहुगुणा जोशी ने बयान दिया था कि उन्होंने सचिन पायलट को फोन पर बीजेपी में शामिल होने का न्योता दिया था।
अब सचिन पायलट ने पूरे मामले में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि रीता बहुगुणा जोशी से मेरी कोई बात नहीं हुई। रीता बहुगुणा जोशी ने सचिन तेंदुलकर से बात की होगी। उनकी हिम्मत नहीं है कि वो मेरे पास फोन करें।
कांग्रेस को जीत दिलाने में रही थी पायलट की भूमिका
बता दें, राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल कर प्रदेश में सरकार बनाई। जिसके बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के करीबी बताए जाने वाले अशोक गहलोत राज्य के सीएम बने और पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने अहम भूमिका निभाई थी।
सरकार चलने के कुछ ही दिनों बाद पायलट गुट और गहलोत के समर्थक विधायकों और मंत्रियों के बीच तनाव जारी हो गया था। पिछले साल तो स्थिति ऐसी हो गई थी कि राज्य में कांग्रेस को सत्ता से जाने का डर भी होने लगा था। सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली आ पहुंचे थे।
जिसके बाद कांग्रेस के कई दिग्गज नेता बीच बचाव में आगे आए और मामले को शांत कराया। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने एक सुलह कमेटी बनाई, जिसमें नाराज विधायकों ने अपनी मांगे रखी। सुलह कमेटी के पास सारे मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं, जिसे लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं।