शायद ही ऐसा कोई राज्य हो, जहां कांग्रेस की सरकार सत्ता में हो और वहां से पार्टी में अंदरुनी कलह की खबरें ना सामने आई हो। राजस्थान हो या फिर छत्तीसगढ़, पार्टी के अंदर खटपट की खबरें आ चुकी हैं। इस बीच कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा टेंशन पंजाब ने बढ़ाई हुई है। पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने जा रहा है, लेकिन इस बीच यहां कांग्रेस पार्टी की आपसी लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रहे। पंजाब में कांग्रेसकैप्टन अमरिंदरम और सिद्धू के दो खेमों में बंटी हुई है। इस बीच पंजाब की इस लड़ाई को सुलझाने का जिम्मा कांग्रेस पार्टी ने हरीश रावत को सौंपा है।
हरीश रावत के पंज प्यारे बयान पर बवाल!
कांग्रेस की खेमेबाजी के चलते बीते दिन एक बार फिर पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत चंडीगढ़ पहुंचे। इस दौरान हरीश रावत ने एक ऐसी बात कह दी, जिसको लेकर राजनीतिक ही नहीं, धार्मिक बवाल भी खड़ा हो गया।
दरअसल, मंगलवार को चंडीगढ़ पहुंचकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने नवजोत सिंह सिद्धू समेत उनके साथ नियुक्त किए गए चार वर्किंग प्रेसिडेंट्स से मुलाकात की। तब रावत ने सिद्धू और उनके वर्किंग प्रेसिडेंट्स की तुलना सिख धर्म के ‘पंज प्यारे’ से कर दी। उनके इसी बयान को लेकर बवाल मच गया।
यही वजह है कि हरीश रावत के पंज प्यारे वाले बयान को लेकर हंगामा खड़ा हो गया। अकाली दल ने इसे धार्मिक अपमान बताया। वहीं धार्मिक भावनाओं को ठेंस पहुंचाने के लिए हरीश रावत के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग भी उठने लगी।
हालांकि इस बयान पर बढ़ते बवाल को देखते हुए हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिए सिख धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेंस पहुंचाने के लिए माफी मांग ली। साथ ही उन्होंने प्रायश्चित करने के लिए गुरुद्वारे में झाड़ू लगाने की भी बात कही।
रावत ने मांगी माफी और…
हरीश रावत ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया इसमें उन्होंने लिखा- ‘कभी आप आदर व्यक्त करते हुए, कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग कर देते हैं, जो आपत्तिजनक होते हैं। मुझसे भी कल अपने माननीय अध्यक्ष व चार कार्यकारी अध्यक्ष के लिए पंज प्यारे शब्द का उपयोग करने की गलती हुई। मैं देश के इतिहास का विद्यार्थी हूं और पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है।’
कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने आगे कहा- ‘मुझसे ये गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेंस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। मैं प्रायश्चित स्वरूप अपने राज्य के किसी गुरुद्वार में कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई करूंगा। मैं सिख धर्म और उसकी महान परंपराओं के प्रति हमेशा समर्पित भाव और आदर भाव रखता रहता हूं।’
पंज प्यारे के बारे में जानिए…
दरअसल, मान्यताओं के मुताबिक जब गुरु गोविंद सिंह जी ने सिख धर्म की शुरुआत की थी, तब उन्होंने पंज प्यारों यानी 5 ऐसे लोगों को चुना था चुना, जो गुरु और धर्म के लिए कुछ भी कर सकते हो। ऐसे लोग, जो अपने धर्म के लिए जान भी न्यौछावर कर देते हो। इसके बाद से ही ये परंपरा रही कि जब भी सिखों की कोई यात्रा, नगर-कीर्तन या फिर धार्मिक कार्यक्रम होता, जहां पर श्री गुरु ग्रंथ साहिबा को लेकर जाना हो, तो वहां पंज प्यारे उनका नेतृत्व करते हैं।