4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव की तारीख काफी नजदीक आ गई हैं। 27 अप्रैल से पश्चिम बंगाल और असम में चुनाव के लिए मतदान शुरू हो जाएंगे। जहां पश्चिम बंगाल में आठ तो असम में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इन सभी राज्यों में सबसे ज्यादा चर्चाओं में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव ही हैं। यहां सत्ता हासिल करने की लड़ाई बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच छिड़ी हुई हैं। वहीं बात अगर कांग्रेस की करें तो बंगाल में पार्टी अभी तक चुनावी मोड़ में नजर नहीं आईं।
असम से कांग्रेस को उम्मीद?
बंगाल की जगह अभी कांग्रेस का पूरा फोकस असम के चुनावों पर हैं। यहां पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दीं। कांग्रेस को असम में सत्ता दोबारा से हासिल होने की पूरी उम्मीद हैं। यही वजह है कि पार्टी के बड़े नेताओं ने खुद असम में चुनाव प्रचार करने का जिम्मा उठाया है। चाहे वो पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हो या कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, तमाम बड़े कांग्रेस नेता धुआंधार अंदाज में असम विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करते नजर आ रहे हैं।
पहले राहुल अब प्रियंका ने संभाला मोर्चा
असम पर पूरा फोकस हैं। दरअसल, असम संवेदनशील राज्य रहा है। यहां हर चुनाव में 2 पार्टियों के बीच टक्कर देखने को मिलती है। कांग्रेस ने अपना पूरा ध्यान असम विधानसभा चुनाव पर लगाया हुआ है। राहुल गांधी ने शनिवार को ही असम में चुनाव प्रचार का पहला चरण पूरा कर लिया। वहीं इसके बाद अब रविवार से प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाल लिया। वो यहां पर 6 रैलियों को संबोधित करने जा रही हैं। इससे पहले प्रियंका इस महीने की शुरुआत में भी असम के दौरे पर आ चुकी हैं। वहीं खबरों की मानें तो दूसरे चरण के चुनाव के लिए भी राहुल गांधी दोबारा असम के दौरे पर आ सकते हैं।
वहीं अब तक कांग्रेस के बड़े नेताओं ने पश्चिम बंगाल से दूरी बनाई हुई हैं। राहुल गांधी असम के अलावा दूसरे राज्यों जहां चुनाव होने जा रहे हैं, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी, वहां प्रचार कर चुके हैं। लेकिन अब तक वो पश्चिम बंगाल नहीं पहुंचे।
CAA है कांग्रेस का मेन मुद्दा
असम में बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस का प्रमुख मुद्दा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का है। कांग्रेस असम में CAA लागू नहीं होने देने की बात कहती नजर आ रही हैं। कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करते हुए राहुल ने कहा कि अगर अगले आम चुनावों में कांग्रेस के हाथों में केंद्र की सत्ता जाती है, तो वो CAA कानून को रद्द कर देंगे। CAA के अलावा कांग्रेस ने असम चुनावों के लिए 5 साल में 5 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी, हर घर में 200 यूनिट फ्री बिजली, चाय बगानों के श्रमिकों को 365 रुपये दिहाड़ी और हर महीने गृहणियों को 2 हजार रुपये देने का वादा किया है।
गौरतलब है कि कांग्रेस 2001 से 2016, 15 सालों तक असम में सत्ता में रहीं। 2016 में बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन यहां सत्ता हासिल करने में कामयाब हुआ। इस बार के चुनावों के लिए कांग्रेस ने कई पार्टियों के साथ गठबंधन किया है। देखना होगा कि असम में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो पाती हैं या फिर नहीं…?