China supports Pakistan: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान को अब तीन देशों का समर्थन मिल चुका है। चीन, तुर्की और अजरबैजान ने इस्लामाबाद का समर्थन करने की घोषणा की है, खासकर 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद। इस घटना के बाद, दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका जताई जा रही है, जबकि पाकिस्तान ने इसे लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। चीन और तुर्की पहले भी पाकिस्तान के साथ रहे हैं, लेकिन अब अजरबैजान ने भी पाकिस्तान के समर्थन में खुलकर अपनी बात रखी है।
पाकिस्तान को मिल चीन का समर्थन- China supports Pakistan
पाकिस्तान का करीबी साझीदार चीन ने रविवार को पाकिस्तान को संप्रभुता और सुरक्षा हितों की रक्षा करने में समर्थन देने की घोषणा की। चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि यह संघर्ष भारत और पाकिस्तान के हितों में नहीं है और यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरनाक हो सकता है। चीन ने दोनों देशों से संयम बरतने और स्थिति को शांत करने का आग्रह किया है। यह बयान उस समय आया जब पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से फोन पर बातचीत की थी, जिसमें पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अपने आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज किया।
तुर्की और पाकिस्तान का गठबंधन
तुर्की और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से मजबूत संबंध रहे हैं, खासकर कश्मीर मुद्दे पर। तुर्की ने पाकिस्तान का खुले तौर पर समर्थन किया है और इसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दिखाया है। तुर्की ने पाकिस्तान को हाल ही में छह एयरक्राफ्ट की डिलीवरी दी है, जिनमें से पांच इस्लामाबाद में और एक कराची में उतरा है। तुर्की और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग भी लगातार बढ़ रहा है, और दोनों देशों ने कई युद्धाभ्यासों में भाग लिया है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने हमेशा पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दे पर समर्थन किया है, और यूएन में भी इस मुद्दे को उठाया है।
अजरबैजान का समर्थन
अब अजरबैजान ने भी पाकिस्तान का समर्थन करने की घोषणा की है। यह कोई हैरानी की बात नहीं है क्योंकि अजरबैजान और पाकिस्तान के बीच सैन्य संबंध मजबूत हो गए हैं। अजरबैजान ने 2020 में नागोर्नो-काराबाख युद्ध में तुर्की का समर्थन किया था, और पाकिस्तान भी इस संघर्ष में अजरबैजान का समर्थन करता रहा है। दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग में वृद्धि हुई है, जिसमें हथियारों की खरीदारी और सैन्य अभ्यास शामिल हैं। अजरबैजान ने पाकिस्तान को ‘दो देश एक आत्मा’ का नारा भी दिया है, जो उनकी मित्रता को दर्शाता है।
India’s friends and enemies are identifying themselves. China, Turkey, Azerbaijan are clearly on the Paki side. Ideally, there should be costs for doing this but India will reward them with fatter trade deals and defence contracts; Israel is probably the only country with India.…
— sushant sareen (@sushantsareen) April 28, 2025
भारत का रुख और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
भारत ने इस घटनाक्रम को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है, खासकर जब पाकिस्तान के खिलाफ चीन, तुर्की और अजरबैजान ने समर्थन दिया है। भारत के सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को इन देशों से समर्थन मिलना, क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकता है। हालांकि, भारत को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि चीन, तुर्की और अजरबैजान के साथ संबंधों में आर्थिक और रक्षा सौदों का बड़ा योगदान है, जिससे उनकी मदद प्राप्त हो रही है।
भारत के सुरक्षा विशेषज्ञ सुशांत शरीन ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि भारत के दोस्त और दुश्मन अब साफ हो गए हैं। चीन, तुर्की और अजरबैजान पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हैं, जबकि भारत को इसे लेकर कड़ा रुख अपनाना होगा। वहीं, इजराइल शायद एकमात्र ऐसा देश है जो भारत के साथ खड़ा है। अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और रूस जैसे देशों ने इस मामले में हेजिंग किया है, जो भारत के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है।
क्या होगा आगे?
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और अधिक बढ़ सकता है, खासकर जब पाकिस्तान को तीन देशों का समर्थन मिल चुका है। भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि उसे युद्ध के परिणाम भुगतने होंगे, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों और उनके सरपरस्तों को सजा देने का वादा किया है। वहीं, पाकिस्तान के समर्थन में खड़े देशों की स्थिति से यह साफ हो जाता है कि यह विवाद केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भी असर डाल सकता है।